- 07/10/2025
यूट्रस-ओरल इन्फेक्शन: जंगल सफारी से बाघिन ‘बिजली’ इलाज के लिए वनतारा शिफ्ट, फॉरेस्ट के अफसरों पर रेलवे की कार्रवाई

छत्तीसगढ़ के नवा रायपुर के नंदनवन जंगल सफारी में रहने वाली 8 वर्षीय बाघिन ‘बिजली’ को गुजरात के वनतारा वाइल्डलाइफ रेस्क्यू एंड रिहैबिलिटेशन सेंटर शिफ्ट किया गया है। बिजली को यूट्रस (गर्भाशय) और ओरल (मुंह) में गंभीर इन्फेक्शन है, जिसके कारण उसे खाने-पीने में भारी परेशानी हो रही थी। बेहतर इलाज के लिए हावड़ा-अहमदाबाद एक्सप्रेस ट्रेन से शाम को रवाना किया गया। वन मंत्री केदार कश्यप ने बताया कि वनतारा में एक महीने तक विशेषज्ञ डॉक्टरों के द्वारा उसका सघन इलाज चलेगा।
ट्रेन रवानगी से पहले रायपुर रेलवे स्टेशन पर वन अधिकारियों और रेलवे कर्मचारियों के बीच जमकर बहस हो गई। वन विभाग के अधिकारी बिना प्लेटफॉर्म टिकट लिए ही बाघिन को लेकर पहुंचे थे। बिजली को एक विशेष पिंजरे में छिपाकर लाया गया था, जिसे रेलवे कर्मचारी जांचना चाहते थे, लेकिन वन अधिकारियों ने इंकार कर दिया। इससे नाराज रेलवे कर्मचारियों ने रेलवे मजिस्ट्रेट से शिकायत की, जिसके आदेश पर वन अधिकारियों का चालान काट दिया गया। बाद में दोनों पक्षों में समझौता होने पर बाघिन को ट्रेन में लादकर रवाना किया गया।
बाघिन बिजली की हालत गंभीर: वन मंत्री का बयान
वन मंत्री केदार कश्यप ने जंगल सफारी का दौरा कर स्थिति का जायजा लिया। उन्होंने बताया, “बिजली पिछले कुछ समय से बीमार चल रही थी। यूट्रस और ओरल इन्फेक्शन के कारण उसका वजन घट रहा है और भोजन ग्रहण करने में कठिनाई हो रही है। छत्तीसगढ़ में उपलब्ध सुविधाओं से बेहतर इलाज के लिए वनतारा भेजा गया है, जहां आधुनिक मेडिकल इक्विपमेंट उपलब्ध हैं। एक महीने के इलाज के बाद उसकी स्थिति की समीक्षा की जाएगी।” कश्यप ने यह भी कहा कि बाघिन की हालत स्थिर है, लेकिन सफर के दौरान विशेषज्ञ वेटरनरी डॉक्टर साथ रहेंगे।
बिजली अप्रैल 2025 में दो बाघ शावकों की मां बनी थी, लेकिन एक शावक जन्म के समय ही मृत पैदा हुआ था, जबकि दूसरा कमजोर होने के कारण कुछ दिनों बाद चल बसा। इस घटना के बाद बिजली की सेहत में गिरावट आनी शुरू हो गई थी। जंगल सफारी प्रबंधन ने तुरंत ईडी (इंडियन वेटरनरी एसोसिएशन) से संपर्क कर वनतारा का चयन किया, जो वन्यजीवों के रेस्क्यू और रिहैबिलिटेशन में विशेषज्ञ है।
वनतारा से पहले सफेद भालू-हिरण का मामला: लौटाने की उठी थी मांग
यह पहला मौका नहीं है जब छत्तीसगढ़ के वन्यजीवों को वनतारा शिफ्ट किया गया हो। अप्रैल 2025 में चिरमिरी क्षेत्र से रेस्क्यू किए गए सफेद भालू और हिरण को भी वनतारा भेजा गया था। बदले में वन विभाग ने वनतारा से जेब्रा जोड़ा, माउस डियर और मीर कैट लाए थे। इन विदेशी प्रजातियों को क्वारेंटाइन में रखा गया था, लेकिन नर जेब्रा को सांप ने काट लिया, जिससे उसकी मौत हो गई। मादा जेब्रा, मीर कैट और माउस डियर अभी भी क्वारेंटाइन में हैं और पर्यटकों के लिए उपलब्ध नहीं हैं।
इस घटना के बाद स्थानीय वन्यजीव प्रेमियों और एनजीओ ने सफेद भालू व हिरण को छत्तीसगढ़ लौटाने की मांग उठाई थी, लेकिन विभाग ने इलाज पूरा होने तक इंतजार का फैसला लिया। जंगल सफारी में विदेशी प्रजातियों को रखने के लिए 12 करोड़ रुपये खर्च कर बाड़े बनाए गए हैं। यहां कुल 32 बाड़े हैं, जिनमें से 8 नए बाड़े अभी खाली पड़े हैं। पिछली सरकार में इनकी मंजूरी मिली थी, और सेंट्रल जू अथॉरिटी को जेब्रा, जिराफ जैसे प्राणियों के अनुरूप डिजाइन भेजा गया है। प्रबंधन का लक्ष्य है कि इन बाड़ों में विदेशी वन्यजीवों को रखकर पर्यटन को बढ़ावा दिया जाए।
जंगल सफारी, एशिया का सबसे बड़ा मानव-निर्मित सफारी पार्क होने के नाते, वन्यजीव संरक्षण और पर्यटन का महत्वपूर्ण केंद्र है। हालांकि, हाल के वर्षों में जानवरों की मौतों और शिफ्टिंग विवादों ने प्रबंधन पर सवाल खड़े किए हैं। विभाग ने आश्वासन दिया है कि बिजली के इलाज पर नजर रखी जाएगी और भविष्य में ऐसी घटनाओं से बचाव के लिए बेहतर सुविधाएं विकसित की जाएंगी।