- 09/10/2025
22 मौत: 2 और मासूमों ने तोड़ा दम, ‘कोल्ड्रिफ’ से MP में अब तक 22 बच्चों की मौत, बढ़ सकता है आंकड़ा,जहरीली कफ सिरप बनाने वाला कंपनी मालिक गिरफ्तार

मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा जिले में जहरीली कफ सिरप ‘कोल्ड्रिफ’ से बच्चों की मौतों का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा। आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, अब तक 22 मासूमों की जान जा चुकी है, जबकि कई बच्चे अभी भी अस्पतालों में जिंदगी और मौत के बीच लड़ रहे हैं। जांच में सिरप में डाइएथिलीन ग्लाइकॉल (DEG) नामक जहरीले रसायन की मौजूदगी की पुष्टि हुई है, जो किडनी फेलियर का कारण बन रहा है। राज्य सरकार ने सिरप और कंपनी के सभी उत्पादों पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया है, जबकि पुलिस ने निर्माता कंपनी के मालिक को गिरफ्तार कर लिया है।
नवीनतम मौतें: नागपुर में दो और बच्चे शिकार
जिले के अतिरिक्त कलेक्टर धीरेंद्र सिंह नेत्री ने बताया कि बुधवार शाम को पांच वर्षीय विशाल और देर रात चार वर्षीय मयंक सूर्यवंशी की मौत हो गई। दोनों परासिया कस्बे के निवासी थे और नागपुर के एक अस्पताल में इलाजरत थे। इससे पहले छिंदवाड़ा में 19, पांढुर्ना में एक और बैतूल में दो बच्चों की मौत दर्ज की गई थी। डिप्टी सीएम राजेंद्र शुक्ला ने 7 अक्टूबर को बताया कि 20 मौतें हो चुकी हैं, जबकि पांच बच्चे किडनी फेलियर से पीड़ित हैं। अब कुल 22 का आंकड़ा सामने आया है।
प्रभावित बच्चे मुख्य रूप से पांच साल से कम उम्र के हैं, जो सर्दी-खांसी के इलाज के लिए सिरप दिए जाने के बाद बीमार पड़े। शुरुआती लक्षण उल्टी और पेशाब संबंधी समस्या के रूप में दिखे, जो तेजी से किडनी फेलियर में बदल गए।
जांच में लापरवाही का खुलासा: डॉक्टरों की भूमिका संदिग्ध
प्रारंभिक जांच में सामने आया है कि कुछ निजी चिकित्सकों, विशेष रूप से डॉ. प्रवीण सोनी ने बच्चों को कोल्ड्रिफ सिरप लिखा था। सिरप पीने के कुछ घंटों बाद ही किडनी प्रभावित होने लगी। तमिलनाडु ड्रग कंट्रोल विभाग की रिपोर्ट में सिरप के सैंपल (बैच नंबर SR-13, मई 2025 में निर्मित) में 48.6% डाइएथिलीन ग्लाइकॉल पाया गया, जो एंटीफ्रीज और ब्रेक फ्लूइड में इस्तेमाल होने वाला जहरीला रसायन है। यह पदार्थ शरीर में पहुंचकर किडनी को नष्ट कर देता है।
घटना अगस्त के अंत में शुरू हुई, जब परासिया तहसील के गांवों में कई बच्चे अचानक बीमार पड़े। डॉक्टरों ने सामान्य सर्दी-खांसी का इलाज बताकर सिरप दिया, लेकिन मौतों के बाद लापरवाही उजागर हुई।
अब तक की कार्रवाई: गिरफ्तारी, प्रतिबंध और जांच समिति
छिंदवाड़ा एसपी अजय पांडे ने बताया कि श्रीसन फार्मा (तमिलनाडु की कांचीपुरम स्थित) के मालिक एस. रंगनाथन को चेन्नई से गिरफ्तार कर लिया गया। उन्हें स्थानीय अदालत में पेश कर ट्रांजिट रिमांड प्राप्त करने के बाद छिंदवाड़ा लाया जाएगा। इससे पहले डॉ. प्रवीण सोनी को भी गिरफ्तार किया जा चुका है, जिन्होंने कई बच्चों को सिरप लिखा था।
मध्य प्रदेश सरकार ने 4 अक्टूबर को कोल्ड्रिफ सिरप और श्रीसन फार्मा के सभी उत्पादों पर पूर्ण बैन लगा दिया। ड्रग इंस्पेक्टरों को स्टॉक जब्त करने और सैंपल जांच के निर्देश दिए गए। मुख्यमंत्री मोहन यादव ने प्रभावित बच्चों के इलाज का खर्च राज्य वहन करने का ऐलान किया। साथ ही, उच्चस्तरीय जांच के लिए विशेष समिति गठित की गई है, जो सिरप के बाजार में आने, लापरवाही और दोषियों की पहचान करेगी। एक एसआईटी ने चेन्नई फैक्टरी का निरीक्षण किया, जहां 350 उल्लंघन और अवैध रसायनों के इस्तेमाल के सबूत मिले।
अन्य राज्यों में अलर्ट: यूपी, केरल, तमिलनाडु में भी बैन
यह सिरप राजस्थान, महाराष्ट्र, पुदुच्चेरी और अन्य राज्यों में भी सप्लाई हुआ था। यूपी ने 5 अक्टूबर को बैन लगाया, जबकि केरल और तमिलनाडु ने पहले ही कार्रवाई की। केंद्र सरकार ने हिमाचल, उत्तराखंड, गुजरात, तमिलनाडु, एमपी और महाराष्ट्र में ड्रग यूनिट्स का निरीक्षण शुरू कर दिया है।
क्या है डाइएथिलीन ग्लाइकॉल का खतरा?
DEG एक सस्ता ग्लाइकॉल है, जो कभी-कभी प्रोपाइलीन ग्लाइकॉल की जगह इस्तेमाल किया जाता है। यह सिरप को मीठा बनाने के लिए मिलाया जाता है, लेकिन घातक है। भारत में पहले भी 2023 के कफ सिरप घोटाले में 70 बच्चों की मौत हुई थी, जहां DEG ही जिम्मेदार था। विशेषज्ञों का कहना है कि ड्रग टेस्टिंग में ढिलाई ने इस त्रासदी को जन्म दिया।
परिवारों का गुस्सा भड़क रहा है। छिंदवाड़ा में विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं, और विपक्ष ने सरकार पर लापरवाही का आरोप लगाया है। सीएम यादव ने इसे “अत्यंत दुखद” बताते हुए सख्त कार्रवाई का वादा किया। जांच पूरी होने पर और खुलासे हो सकते हैं, लेकिन सवाल वही है—मासूमों की जान बचाने के लिए सिस्टम कब सुधरेगा?