• 14/12/2022

भीमा-कोरेगांव : स्टैन स्वामी को फंसाने के लिए कंप्यूटर में प्लांट किए गए थे सबूत, अमेरिकी फॉरेंसिक फर्म का दावा

भीमा-कोरेगांव : स्टैन स्वामी को फंसाने के लिए कंप्यूटर में प्लांट किए गए थे सबूत, अमेरिकी फॉरेंसिक फर्म का दावा

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भीमा-कोरेगांव मामले में स्टैन स्वामी की गिरफ्तारी को लेकर एक बड़ा खुलासा हुआ है। अमेरिका की एक फॉरेंसिक फर्म ने दावा किया है कि स्टैन स्वामी को गिरफ्तार करने के लिए डिजिटल सबूत को उनके कंप्यूटर की हार्ड ड्राइव में प्लांट किया गया था। एल्गार परिषद-माओवादियों से संबंध के आरोप में 84 वर्षीय स्टैन स्वामी को साल 2020 में नक्सलियों से सांठगांठ के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। जुलाई 2021 में उनकी मौत हो गई थी।

मैसाचुसेट्स स्थित डिजिटल फॉरेंसिक फर्म आर्सेनल कंसल्टिंग ने स्टैन के कंप्यूटर की एक इलेक्ट्रॉनिक कॉपी की जांच की। जिसमें उन्होंने पाया कि हैकर ने उनके कंप्यूटर में सबूतों को प्लांट किया था। फर्म ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि स्टैन स्वामी के हार्ड ड्राइव में 50 से ज्यादा फाइलें डाली गई। जिनमें दस्तावेजों को ऐसा बनाया गया था कि उससे यह लगे कि उनके और माओवादियों के बीच संबंध है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि स्वामी के घर छापे से एक हफ्ते पहले 5 जून, 2019 को उनके कंप्यूटर पर अंतिम आपत्तिजनक दस्तावेज को डाला गया था। इन दस्तावेजों के आधार पर ही स्वामी को भीमा कोरेगांव मामले में पहली बार गिरफ्तार किया गया था। जबकि विशेषज्ञों ने दस्तावेजों की प्रामाणिकता पर संदेह जताया था।

ये है मामला

31 दिसंबर 2017 को पुणे के शनिवारवाड़ा में आयोजित एल्गार परिष्द सम्मेलन में कथित भड़काउ भाषण दिए गए थे। पुलिस का दावा है कि इस भाषण की वजह से शहर के बाहरी इलाके में स्थित भीमा-कोरेगांव युद्द स्मारक के पास हिंसा भड़की थी। पुणे पुलिस ने दावा किया था कि सम्मेलन को माओवादियों का समर्थन प्राप्त था। इस मामले में मानवाधिकार कार्यकर्ताओं के साथ ही अकादमिक जगत के लोगों को आरोपी बनाया गया है।

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