- 20/09/2025
High Court: “गरीबों पर सख्ती, रसूखदारों के सामने नख-दंतहीन बाघ”, हाईकोर्ट की पुलिस को फटकार, जानें क्या है मामला

छत्तीसगढ़ के बिलासपुर हाईकोर्ट ने मस्तूरी रोड पर कारों से खतरनाक स्टंट करने वाले युवकों के मामले में पुलिस की ढीली कार्रवाई पर कड़ी नाराजगी जताई है। चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा की अगुवाई वाली डिवीजन बेंच ने पुलिस को फटकार लगाते हुए कहा कि पुलिस गरीब, मध्यम वर्ग और दलितों पर तो सख्ती दिखाती है, लेकिन पैसे और रसूख वालों के सामने ‘नख-दंतहीन बाघ’ बन जाती है। कोर्ट ने सख्त निर्देश दिए हैं कि मस्तूरी पुलिस द्वारा जब्त 18 कारों को कोर्ट की अनुमति के बिना रिहा नहीं किया जाएगा। साथ ही, छत्तीसगढ़ सरकार के मुख्य सचिव को 23 सितंबर की अगली सुनवाई में शपथ पत्र दाखिल कर यह बताना होगा कि आरोपियों के खिलाफ अब तक क्या ठोस कार्रवाई की गई है।
पुलिस की कार्रवाई को कोर्ट ने बताया ‘दिखावा’
सुनवाई के दौरान महाधिवक्ता प्रफुल्ल एन भारत ने डिवीजन बेंच को बताया कि पुलिस ने मोटर वाहन अधिनियम के तहत अपराध दर्ज किए हैं, वाहनों को जब्त किया गया है, और ड्राइविंग लाइसेंस रद्द करने की सिफारिश की गई है। हालांकि, कोर्ट ने इसे ‘आंखों में धूल झोंकने’ जैसा करार दिया। चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा ने कहा कि यह आश्चर्यजनक है कि पुलिस सिर्फ मोटर वाहन अधिनियम की हल्की धाराओं तक सीमित रही, जबकि ऐसे मामलों में भारतीय न्याय संहिता, 2023 की कठोर धाराओं के तहत कार्रवाई होनी चाहिए। कोर्ट ने सवाल उठाया कि आखिर पुलिस को ऐसे अपराधियों के खिलाफ कठोर कानूनी कार्रवाई करने से कौन रोकता है, जो अपनी लापरवाही और गैर-जिम्मेदाराना हरकतों से दूसरों की जान खतरे में डालते हैं।
कोर्ट का सख्त रुख: ‘ऐसे गुंडों को सबक सिखाएं’
चीफ जस्टिस ने कहा कि पुलिस की कार्रवाई ऐसी होनी चाहिए जो स्टंटबाजों के लिए जिंदगी भर का सबक बने। कोर्ट ने माना कि वर्तमान मामले में पुलिस की कार्रवाई मात्र दिखावा है। कोर्ट ने स्पष्ट निर्देश दिए कि मस्तूरी पुलिस द्वारा जब्त 18 कारों को बिना कोर्ट की अनुमति के रिहा नहीं किया जाएगा। साथ ही, मुख्य सचिव को शपथ पत्र के जरिए यह स्पष्ट करना होगा कि इन अपराधियों के खिलाफ क्या कार्रवाई हुई। कोर्ट ने आदेश की प्रति तत्काल मुख्य सचिव, छत्तीसगढ़ शासन, रायपुर को भेजने का निर्देश दिया। अगली सुनवाई 23 सितंबर को होगी।
क्या है पूरा मामला?
17 सितंबर को बिलासपुर-मस्तूरी नेशनल हाईवे (NH-49) पर ग्राम लावर के पास एक फॉर्म हाउस में जन्मदिन की पार्टी के लिए जा रहे कुछ युवक कारों की खिड़कियों और सनरूफ से लटककर खतरनाक स्टंट कर रहे थे। तेज रफ्तार और लापरवाही से गाड़ी चलाने के कारण हाईवे पर जाम की स्थिति पैदा हो गई थी। इन हरकतों से राहगीरों की जान को खतरा उत्पन्न हो रहा था। वहां से गुजर रहे लोगों ने इस स्टंटबाजी का वीडियो बनाकर पुलिस को सूचना दी। मस्तूरी पुलिस ने त्वरित कार्रवाई करते हुए 18 कारों को जब्त किया और शामिल व्यक्तियों के खिलाफ प्रतिबंधात्मक कार्रवाई शुरू की। इस मामले को बिलासपुर हाईकोर्ट ने स्वतः संज्ञान में लिया और सुनवाई शुरू की।
कोर्ट की टिप्पणी: ‘पुलिस का दोहरा रवैया’
कोर्ट ने पुलिस के दोहरे रवैये पर कड़ी टिप्पणी की। चीफ जस्टिस ने कहा कि पुलिस का प्रकोप सिर्फ गरीब, मध्यम वर्ग और दलितों पर दिखता है, लेकिन जब अपराधी धन, बाहुबल या राजनीतिक रसूख वाला होता है, तो पुलिस मामूली जुर्माना लगाकर या वाहन वापस करके उन्हें छोड़ देती है। कोर्ट ने इस प्रवृत्ति पर सवाल उठाते हुए कहा कि ऐसी लापरवाही और सड़क पर गुंडागर्दी को रोकने के लिए कठोर कार्रवाई जरूरी है। कोर्ट ने पहले भी 3 फरवरी को इसी तरह की घटनाओं का संज्ञान लिया था और मुख्य सचिव व पुलिस महानिदेशक से सड़क सुरक्षा के लिए उठाए गए कदमों पर हलफनामा मांगा था।