- 09/09/2022
BIG BREAKING : डी पुरंदेश्वरी को बीजेपी ने हटाया, इन्हें सौंपा गया प्रदेश प्रभारी की कमान, नड्डा के साथ कर रही थीं बैठक और आ गया आदेश
BJP ने विभिन्न राज्यों के प्रभारियों के नाम घोषित कर दिए हैं. विनोद तावड़े को बिहार, ओम माथुर को छत्तीसगढ़, बिप्लब कुमार देब को हरियाणा, लक्ष्मीकांत वाजपेयी को झारखंड, प्रकाश जावडेकर को केरल, राधामोहन अग्रवाल को लक्षद्वीप, पी मुरलीधर राव को मध्य प्रदेश, विजय रूपाणी को पंजाब, तरुण चुघ को तेलंगाना, अरुण सिंह को राजस्थान, महेश शर्मा को त्रिपुरा, मंगल पांडे को पश्चिम बंगाल और संबित पात्रा को पूर्वोत्तर का प्रभारी बनाया गया है.
बता दें कि बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा छत्तीसगढ़ के दौरे पर हैं. नड्डा के दौरे के दौरान ही बीजेपी ने बड़ी सर्जरी करते हुए छत्तीसगढ़ की प्रभारी डी पुरंदेश्वरी को पद से हटा दिया है. उनकी जगह ओम माथुर को प्रदेश प्रभारी बनाया गया है. डी पुरंदेश्वरी को हटाने का ये आदेश उस वक्त आया जब वे रायपुर में बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा के साथ पार्टी की एक महत्वपूर्ण बैठक में शिरकत कर रही थीं. यह आदेश पार्टी महासचिव अरुण सिंह ने जारी किया है.
देखिए किसे कहां मिली जिम्मेदारी
- राज्यों से हटाए गए कुछ मुख्यमंत्रियों और केंद्र से हटाए गए मंत्रियों को संगठन की जिम्मेदारी दी गई है.
- गुजरात के पूर्व मुख्यमंत्री विजय रूपाणी, त्रिपुरा के पूर्व मुख्यमंत्री बिप्लब कुमार देब और पूर्व केंद्रीय प्रकाश जावडेकर और महेश शर्मा को राज्यों का प्रभार मिला है.
- कुछ राज्यो के प्रभारी बरकरार रखे गए हैं जैसे राजस्थान में अरुण सिंह और मध्य प्रदेश में मुरलीधर राव.
- बिहार की जिम्मेदारी अब तेजतर्रार विनोद तावड़े के हाथों में आ गई है. वे पहले हरियाणा के प्रभारी थे.
- पीएम मोदी के विश्वस्त माने जाने वाले वरिष्ठ नेता ओम माथुर पर पार्टी नेतृत्व का भरोसा कायम है. उन्हें केंद्रीय चुनाव समिति में जगह मिलने के बाद अब छत्तीसगढ़ की जिम्मेदारी दी गई है जहां अगले साल चुनाव हैं.
- मंगल पांडे को भी पश्चिम बंगाल जैसे महत्वपूर्ण राज्य की जिम्मेदारी देकर उन पर भरोसा जताया गया है. वे सुनील बंसल के साथ काम करेंगे, जिन्हें पश्चिम बंगाल के साथ तेलंगाना जैसे कुछ राज्यों का प्रभार सौंपा गया है.
ऐसे अधिकांश नेताओं को राज्य का प्रभार दिया गया है जो पार्टी पदाधिकारी नहीं हैं लेकिन चुनाव प्रभारी रह चुके हैं. इस तरह उन्हें चुनावों और संगठन के विस्तार में ज्यादा आसानी रहेगी क्योंकि उनके पास पार्टी के दूसरे कामों की जिम्मेदारी नहीं रहेगी.