• 18/07/2025

कोल लेवी घोटाला: देवेंद्र को EOW-ACB ने किया  गिरफ्तार, 100 करोड़ की अवैध वसूली का खुलासा

कोल लेवी घोटाला: देवेंद्र को EOW-ACB ने किया  गिरफ्तार, 100 करोड़ की अवैध वसूली का खुलासा

छत्तीसगढ़ के बहुचर्चित अवैध कोल लेवी घोटाले में आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो (EOW) और एंटी करप्शन ब्यूरो (ACB) ने बड़ी सफलता हासिल करते हुए लंबे समय से फरार आरोपी देवेंद्र डड़सेना को गिरफ्तार कर लिया है। EOW-ACB की संयुक्त टीम ने डड़सेना को धर दबोचा, जो 2022 से प्रवर्तन निदेशालय (ED) की छापेमारी के बाद से फरार चल रहा था। इस घोटाले में डड़सेना पर कांग्रेस नेता रामगोपाल अग्रवाल के साथ मिलकर 100 करोड़ रुपये की अवैध वसूली का आरोप है, जिसे कथित तौर पर राजनीतिक गतिविधियों में खर्च किया गया।

EOW के अनुसार, यह मामला अपराध क्रमांक 03/2024 के तहत दर्ज है। डड़सेना के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 (संशोधित 2018) की धारा 7, 7A, 12 और भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 420 (धोखाधड़ी), 120बी (आपराधिक साजिश), 384 (उगाही), 467, 468, 471 (जालसाजी) के तहत गंभीर आरोपों में प्रकरण दर्ज है। जांच के दौरान डड़सेना के खिलाफ कोर्ट से स्थायी गिरफ्तारी वारंट भी जारी किया गया था। गिरफ्तारी के बाद उसे रायपुर की विशेष अदालत में पेश किया गया, जहां से उसे पुलिस रिमांड पर भेज दिया गया है। EOW सूत्रों का कहना है कि पूछताछ में घोटाले से जुड़े कई अहम खुलासे होने की उम्मीद है।

क्या है कोल लेवी घोटाला?

जांच एजेंसियों के अनुसार, यह घोटाला 2020 से 2022 के बीच हुआ, जिसमें कोयला परिवहन के नाम पर हर टन कोयले पर 25 रुपये की अवैध लेवी वसूली गई। इस अवैध वसूली का मास्टरमाइंड रायपुर का कारोबारी सूर्यकांत तिवारी माना जाता है, जो पहले से ही न्यायिक हिरासत में है। डड़सेना और कांग्रेस नेता रामगोपाल अग्रवाल इस सिंडिकेट का हिस्सा थे, जिसने अधिकारियों, ट्रांसपोर्टरों और बिचौलियों की मिलीभगत से 570 करोड़ रुपये की ब्लैक मनी इकट्ठा की। EOW की जांच में सामने आया कि डड़सेना ने 100 करोड़ रुपये की वसूली में अहम भूमिका निभाई, जिसका बड़ा हिस्सा राजनीतिक गतिविधियों और चुनावी खर्चों में इस्तेमाल किया गया।

ED ने इस मामले में 14 अगस्त 2023 को छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट में याचिका दायर कर सीबीआई जांच की मांग की थी, जिसमें दावा किया गया था कि EOW-ACB पूरी तरह राज्य सरकार के नियंत्रण में है, जिससे निष्पक्ष जांच पर सवाल उठते हैं। हाल ही में, राज्य सरकार ने दिल्ली विशेष पुलिस स्थापना अधिनियम (DSPE Act) की धारा-6 के तहत सीबीआई को जांच की मंजूरी दी है, जिससे इस मामले में और बड़े खुलासों की संभावना है।

प्रति टन 25 रुपये की अवैध वसूली

जांच में पता चला कि कोल परिवहन के लिए ऑनलाइन परमिट सिस्टम को 15 जुलाई 2020 को तत्कालीन खनिज विभाग संचालक IAS समीर विश्नोई ने ऑफलाइन कर दिया था। इस बदलाव का फायदा उठाकर सूर्यकांत तिवारी और उनके सहयोगियों, जिसमें डड़सेना शामिल था, ने कोल व्यापारियों से 25 रुपये प्रति टन की दर से अवैध वसूली की। इस राशि को रिश्वत के रूप में सरकारी अधिकारियों और राजनेताओं को बांटा गया, और इसका उपयोग चल-अचल संपत्तियों की खरीद और चुनावी खर्चों में किया गया।

कौन-कौन है आरोपी

इस मामले में अब तक कई बड़े नाम सामने आ चुके हैं:

  • सूर्यकांत तिवारी: घोटाले का मास्टरमाइंड, जो न्यायिक हिरासत में है। उनकी जमानत याचिका हाईकोर्ट ने खारिज कर दी थी।
  • नवनीत तिवारी: सूर्यकांत का भाई, जिसे 13 जुलाई 2025 को EOW ने गिरफ्तार किया।
  • रानू साहू, समीर विश्नोई, सौम्या चौरसिया: तीनों को सुप्रीम कोर्ट ने मई 2025 में सशर्त जमानत दी, लेकिन छत्तीसगढ़ में रहने पर पाबंदी है।