- 02/08/2025
‘बैड टच किया, पीटा..’ नन गिरफ्तारी केस में बजरंगदल कार्यकर्ताओं पर FIR की मांग, एसपी को 3 लड़कियों ने दिया आवेदन

छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिले में धर्मांतरण और मानव तस्करी के आरोप में गिरफ्तार की गई दो ननों के मामले ने तूल पकड़ लिया है। दोनों ननों को एनआईए कोर्ट से मिली जमानत के बीच तीन युवतियों ने बजरंगदल के कार्यकर्ताओं के खिलाफ FIR दर्ज करने की मांग की है। युवतियों ने नारायणपुर एसपी को आवेदन दिया है, जिसमें आरोप लगाया गया है कि 100 से 200 बजरंगदल के कार्यकर्ताओं ने उन्हें बैड टच किया है, उन्हें पीटा गया और जातिगत गालियां दी गई।
अबूझमाड़ की तीन युवतियों—21 वर्षीय कमलेश्वरी प्रधान और दो 19 वर्षीय युवतियां—ने नारायणपुर एसपी को लिखित आवेदन देकर बजरंगदल के कार्यकर्ताओं और सामाजिक कार्यकर्ता ज्योति शर्मा के खिलाफ FIR दर्ज करने की मांग की है। उनका आरोप है कि दुर्ग रेलवे स्टेशन पर 100 से 200 लड़कों ने उन्हें घेर लिया, जातिगत गालियां दीं, और बैड टच किया गया। इसके बाद पुलिस स्टेशन ले जाकर उन्हें एक कमरे में बंद कर पीटा गया और कोरे कागज पर दस्तखत करवाए गए।
युवतियों के आरोप
युवतियों का कहना है कि उन्हें सखी वन स्टॉप सेंटर में 4 दिनों तक एक कमरे में बंद रखा गया, जहां न तो किसी से बात करने दिया गया और न ही बाहर जाने दिया गया। उनका दावा है कि वे अपने परिजनों की इजाजत से ननों के साथ जा रही थीं और स्वेच्छा से काम के लिए यात्रा कर रही थीं। उन्होंने कहा कि बजरंगदल और ज्योति शर्मा ने उन्हें धर्मांतरण और तस्करी के झूठे मामले में फंसाने के लिए दबाव डाला और जबरन बयान बदलवाया।
पुलिस की कार्रवाई
युवतियों ने 2 अगस्त 2025 को नारायणपुर एसपी रॉबिंसन गोरिया को आवेदन दिया, जिसमें FIR दर्ज करने की मांग की गई। पुलिस ने आवेदन प्राप्त कर लिया है और जांच का आश्वासन दिया है, लेकिन अभी तक कोई FIR दर्ज नहीं की गई है।
यह मामला राजनीतिक तनाव को बढ़ा सकता है, क्योंकि विपक्षी दलों ने सरकार पर साजिश रचने का आरोप लगाया है, जबकि सरकार ने कहा है कि कानून अपना काम कर रहा है। केरल से सांसदों का एक प्रतिनिधिमंडल भी ननों से मिलने दुर्ग जेल पहुंचा था और इसे फर्जी केस करार दिया था। मेघालय के मुख्यमंत्री कॉनराड संगमा ने भी मामले को रद्द करने की अपील की थी।
क्या है मामला?
यह मामला 25 जुलाई 2025 को दुर्ग रेलवे स्टेशन पर शुरू हुआ, जब बजरंगदल के कार्यकर्ताओं ने दो ननों और एक स्थानीय व्यक्ति को तीन आदिवासी युवतियों के साथ पकड़ा। इन पर मानव तस्करी और जबरन धर्मांतरण का आरोप लगाया गया। ननों को गिरफ्तार कर जेल भेजा गया, लेकिन 2 अगस्त 2025 को बिलासपुर एनआईए कोर्ट ने उन्हें जमानत दे दी।