• 01/07/2024

मेधा पाटकर को 5 महीने कारावास की सजा और 10 लाख का जुर्माना, कोर्ट ने इस मामले में सुनाया फैसला

मेधा पाटकर को 5 महीने कारावास की सजा और 10 लाख का जुर्माना, कोर्ट ने इस मामले में सुनाया फैसला

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दिल्ली की साकेत कोर्ट ने एक मामले में सामाजिक कार्यकर्ता मेधा पाटकर को 5 महीने साधारण कारावास की सजा सुनाई है। इसके साथ ही कोर्ट ने मेधा पाटकर पर 10 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया है। कोर्ट ने दिल्ली के उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना की ओर से दायर आपराधिक मानहानि के मामले में सामाजिक कार्यकर्ता को सजा सुनाई है।

मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट राघव शर्मा की अदालत ने मेधा पाटकर को मानहानि का दोषी पाया था। कोर्ट ने उन्हें विनय कुमार सक्सेना को 10 लाख रुपये भुगतान करने का निर्देश दिया है। हालांकि कोर्ट ने उनकी सजा को 1 अगस्त क निलंबित कर दिया है ताकि वो आदेश के खिलाफ अपील कर सकें।

कोर्ट के फैसले पर मेधा पाटकर ने कहा कि वो सजा के फैसले को चुनौती देंगी। उन्होंने कहा, “सत्य कभी पराजित नहीं हो सकता। हमने किसी को बदनाम करने की कोशिश नहीं की, हम केवल अपना काम करते हैं। हम अदालत के फैसले को चुनौती देंगे।”

क्या है मामला?

आपको बता दें साल 2000 में मेधा पाटकर ने वीके सक्सेना के खिलाफ उनके और नर्मदा बचाओ आंदोलन (NBA) के खिलाफ विज्ञापन छापने के आरोप में केस दर्ज किया था। जिसके बाद से ही दोनों के बीच कानूनी लड़ाई चल रही थी। उस दौरान वीके सक्सेना अहमदाबाद स्थित एनजीओ नेशनल काउंसिल फॉर सिविल लिबर्टीज के प्रमुख थे। सक्सेना ने साल 2001 में मेधा पाटेकर के खिलाफ अपमानजनक प्रेस नोट जारी करने के आरोप में मानहानि का मामला दर्ज कराया था।

मेधा पाटकर ने प्रेस नोट जारी कर कहा था कि वीके सक्सेना देशभक्त नहीं बल्कि कायर थे। पाटकर ने प्रेस नोट में कहा था, ”हवाला लेनदेन से आहत वीके सक्सेना खुद मालेगांव आए। उन्होंने एनबीए की प्रशंसा की और 40 हजार रुपये का चेक दिया। लोक समिति ने भोलेपन में तुरंत रसीद और पत्र भेज दिया। जो कि ईमानदारी और अच्छे रिकॉर्ड रखने को दर्शाता है। लेकिन चेक भुनाया नहीं जा सका और बाउंस हो गया। पूछताछ करने पर बैंक ने बताया कि ऐसा कोई अकाउंट मौजूद ही नहीं है।”