- 26/03/2025
जहां मिले अधजले नोट, वह पूरा इलाका सील; जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ जांच तेज


दिल्ली हाई कोर्ट के जज जस्टिस यशवंत वर्मा के आवास पर अधजले नोटों की खोज के बाद जांच ने नया मोड़ ले लिया है। सुप्रीम कोर्ट द्वारा इस मामले में गंभीरता दिखाए जाने के बाद अब पूरे इलाके को सील कर दिया गया है, जहां ये अधजले नोट पाए गए थे। इस घटना ने न केवल न्यायिक हलकों में हलचल मचा दी है, बल्कि आम जनता के बीच भी कई सवाल खड़े कर दिए हैं।
14 मार्च 2025 को जस्टिस यशवंत वर्मा के आधिकारिक आवास के एक स्टोररूम में आग लगने की घटना हुई थी। आग बुझाने के बाद वहां से चार से पांच बोरे अधजले नोट बरामद किए गए, जिनमें 500 रुपये के नोटों के टुकड़े शामिल थे। इस घटना के बाद सुप्रीम कोर्ट ने 22 मार्च को एक विस्तृत रिपोर्ट सार्वजनिक की, जिसमें आग की घटना के दौरान की तस्वीरें और वीडियो भी शामिल थे। रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि स्टोररूम में कोई जबरन घुसपैठ के सबूत नहीं मिले, जिससे संदेह गहरा गया कि इस कमरे तक केवल जस्टिस वर्मा से जुड़े लोगों की ही पहुंच थी।
सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की गंभीरता को देखते हुए तीन सदस्यीय समिति का गठन किया है, जिसमें पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस शील नागू, हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस जी.एस. संधवालिया और कर्नाटक हाई कोर्ट की जज जस्टिस अनु सिवराम शामिल हैं। समिति को इस मामले की गहन जांच करने और नोटों के स्रोत का पता लगाने का जिम्मा सौंपा गया है। साथ ही, जस्टिस वर्मा को अगले आदेश तक किसी भी न्यायिक कार्य से दूर रहने का निर्देश दिया गया है।
दिल्ली हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश देवेंद्र कुमार उपाध्याय ने अपनी रिपोर्ट में बताया कि उन्होंने दिल्ली पुलिस आयुक्त से जस्टिस वर्मा के मोबाइल फोन के कॉल डिटेल रिकॉर्ड (सीडीआर) और इंटरनेट प्रोटोकॉल डिटेल रिकॉर्ड (आईपीडीआर) मांगे थे, जो पिछले छह महीनों (1 सितंबर 2024 से अब तक) के हैं। ये रिकॉर्ड एक पेन ड्राइव में सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना को भेजे गए हैं। इसके अलावा, जस्टिस वर्मा के आवास पर तैनात सुरक्षा गार्डों और निजी सुरक्षा अधिकारियों की जानकारी भी मांगी गई है।
जांच के दौरान एक सफाई कर्मचारी, इंदरजीत, ने बताया कि उसने इलाके में कचरा इकट्ठा करते समय 500 रुपये के अधजले नोटों के टुकड़े पाए थे। उसने कहा, “हमने चार-पांच दिन पहले भी ऐसे नोट देखे थे, लेकिन हमें नहीं पता कि आग कैसे लगी या यह कहां से आया।” इस बयान ने जांच को और पेचीदा बना दिया है।
जस्टिस यशवंत वर्मा ने इन आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए इसे “उनके खिलाफ साजिश” करार दिया है। उन्होंने कहा कि न तो उनके पास और न ही उनके परिवार के पास उस स्टोररूम में कोई नकदी रखी गई थी। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट द्वारा जारी वीडियो पर भी हैरानी जताई, जिसमें जले हुए नोटों के बंडल दिखाए गए थे।
इस बीच, सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर पूरे इलाके को सील कर दिया गया है ताकि किसी भी तरह के सबूतों के साथ छेड़छाड़ न हो सके। जांच एजेंसियां अब इस बात की तह तक जाने की कोशिश कर रही हैं कि ये नोट कहां से आए और इनका जस्टिस वर्मा से क्या संबंध है। इस मामले ने न केवल न्यायपालिका की पारदर्शिता पर सवाल उठाए हैं, बल्कि भ्रष्टाचार के खिलाफ चल रही लड़ाई को भी एक नई दिशा दी है।
जांच अभी जारी है और आने वाले दिनों में इस मामले में और खुलासे होने की संभावना है। जनता और मीडिया की नजरें अब सुप्रीम कोर्ट की समिति की रिपोर्ट पर टिकी हैं, जो इस पूरे प्रकरण की सच्चाई सामने लाएगी।