- 08/02/2023
जुर्माना के आधार पर नहीं हो सकती विभागीय जांच, हाईकोर्ट का अहम फैसला
विभागीय जांंच को लेकर छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट का एक महत्वपूर्ण आदेश आया है। एक मामले की सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने कहा कि मामूली जुर्माना को आधार बनाकर किसी कर्मचारी के खिलाफ विभागीय जांच का आदेश नहीं दिया जा सकता। हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ता को राहत देते हुए स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया (SAIL) के एक अधिकारी के खिलाफ विभागीय जांच के आदेश को रद्द कर दिया है। इसके साथ ही हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ता अधिकारी के लंबित भुगतान और वार्षिक वेतन वृद्धि को बहाल कने का निर्देश दिया है।
याचिकाकर्ता एसके द्विवेदी सेल के भिलाई स्टील प्लांट में डीजीएम के पद पर पदस्थ थे। सेल प्रबंधन ने साल 2007 में नवंबर-दिसंबर के महीने में राउरकेला और नार्केतपल्ली में कुछ रिफ्रेक्ट्रिज के फायरब्रिक्स के निरीक्षण के लिए निरीक्षण अधिकारिियों की नियुक्ति की थी। अधिकारियोंं द्वारा किए गए निरीक्षण और उनके अनुमोदन के बाद विक्रेताओं ने भिलाई स्टील प्लांट को उनकी आपूर्ति की।
ईंटो के विभिन्न लॉट के 17 नमूनों को बीएसपी की प्रयोगशाला में परीक्षण के लिए लाया गया। जिसमें से 17 में से सिर्फ 5 नमूने ही पास हुए बाकि फेल हो गए। तकनीकी जांच के परीक्षण के बाद से प्रबंधन ने उन पर कदाचरण का आरोप लगाते हुए 9 जून 2008 को आरोप पत्र जारी किया। आरोप पत्र मिलने पर उन्होंने अपना विस्तृत जवाब पेश किया। जिसके बाद सेल प्रबंधन ने उनके खिलाफ आरोप पत्र दायर किया।
याचिकाकर्ता ने सेल प्रबंधन द्वारा जारी किए गए आरोपपत्र को चुनौती देते हुए कहा कि सामग्री की आपूर्ति के दौरान वह ना तो उपरोक्त स्थान पर मौजूद थे और ना ही उन स्थानों पर फायर ब्रिक्स का कोई निरीक्षण या परीक्षण किया गया है। याचिकाकर्ता के मुताबिक उसने भारतीय इस्पात प्राधिकरण के अध्यक्ष के समक्ष विवादित आदेश को चुनौती दी। उनके अभ्यावेदन पर सुनवाई करने के बाद आवेदन को इस आधार पर खारिज कर दिया गया कि मामूली जुर्माना लगाया गया है, इसमें किसी हस्तक्षेप की आवश्यकता नहीं है। भारतीय प्राधिकरण के अध्यक्ष के फैसले को आधार बनाते हुए याचिकाकर्ता ने अपने अधिवक्ता के जरिए हाईकोर्ट में याचिका दायर की ।