- 30/03/2024
DGP अशोक जुनेजा हाईकोर्ट की अवमानना में फंसे, हाईकोर्ट ने जारी किया नोटिस, जानें contempt of court में क्या है सजा का प्रावधान


छत्तीसगढ़ पुलिस के डीजीपी अशोक जुनेजा न्यायालय की अवमानना के घेरे में आ गए हैं। अवमानना से नाराज हाईकोर्ट ने डीजीपी को नोटिस जारी कर कोर्ट के सामने तत्काल जवाब पेश करने का आदेश दिया है। दरअसल स्थानांतरण के एक मामले की सुनवाई करते हुए कोर्ट ने डीजीपी को नोटिस जारी कर दो महीने के भीतर याचिकाकर्ता के अभ्यावेदन का निराकरण करने का निर्देश दिया था। लेकिन तय वक्त में निराकरण नहीं करने से याचिकाकर्ता ने डीजीपी के खिलाफ डीजीपी के खिलाफ न्यायालय के समक्ष अवमानना याचिका दाखिल की।
राजनांदगांव निवासी श्रवण कुमार चौबे सीआईडी रायपुर में इंस्पेक्टर के पद पर पदस्थ हैं। उनके द्वारा गृह जिले में पदस्थ किए जाने हेतु हाईकोर्ट के समक्ष रिट याचिका दायर किया था। याचिका की सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने डीजीपी अशोक जुनेजा को स्थानांतरण नीति 1 अप्रैल 2006 के तहत दो महीने के भीतर याचिकाकर्ता के अभ्यावेदन का निराकरण करने का निर्देश दिया था। लेकिन दो महीने से ज्यादा का वक्त बीत जाने के बाद भी गृह जिले में पदस्थ नहीं किया गया। जिसके बाद याचिकाकर्ता ने अधिवक्ता अभिषेक पाण्डेय और दुर्गा मेहर के माध्यम से डीजीपी अशोक जुनेजा के खिलाफ हाईकोर्ट में अवमानना याचिका दायर की।
अवमानना याचिका की सुनवाई के दौरान अधिवक्ता अभिषेक पाण्डेय और दुर्गा मेहर ने कोर्ट के सामने दलील दी कि सचिव, छत्तीगसढ़ शासन, गृह विभाग द्वारा एक अप्रैल.2006 को जारी पुलिस विभाग हेतु स्थानांतरण नीति के पैरा 04 (iv) के तहत जो पुलिस अधिकारी और कर्मचारी 60 वर्ष की सेवा पूरी कर चुके हैं एवं उनके रिटायरमेंट को सिर्फ दो वर्ष शेष हैं, उन्हें गृह जिला या पसंद के जिले में पदस्थ किये जाने का प्रविधान है।
अधिवक्ताओं ने कहा कि रिट याचिका की सुनवाई के दौरान कोर्ट ने डीजीपी को दो माह के भीतर अभ्यावेदन का निराकरण करने का निर्देश दिया था। लेकिन अभी तक गृह जिले में पदस्थ नहीं किया गया है।
याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने कोर्ट को बताया कि वरिष्ठ आईपीएस अफसरों द्वारा हाईकोर्ट के आदेशों को निर्धारित अवधि में पालन नहीं किए जाने से उच्च न्यायालय में अवमानना याचिकाओं के मामलों की संख्या में लगातार वृद्धि हो रही है।
जुर्माने के साथ 6 महीने के कारावास का प्रावधान
अधिवक्ता अभिषेक पाण्डेय ने कहा कि न्यायालय की अवमाननना अधिनियम 1971 के उपनियम 12 में न्यायालय के आदेश की अवमानना पर छह माह का कारावास एवं 2000 रुपये जुर्माना का भी प्रविधान है। न्यायालय के आदेश का समयसीमा में पालन कराए जाने और उच्च न्यायालय का कीमती समय बचाने के लिए अवमानना याचिका में अधिकारियों को दंडित किया जाना आवश्यक है।
मामले की सुनवाई के बाद न्यायालय ने डीजीपी अशोक जुनेजा को अवमानना नोटिस जारी कर तत्काल जवाब प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है।