• 20/04/2025

पूर्व विस. अध्यक्ष राजेंद्र प्रसाद शुक्ल की मौत का मामला, अपोलो अस्पताल और फर्जी डॉक्टर नरेंद्र जॉन कैम के खिलाफ FIR

पूर्व विस. अध्यक्ष राजेंद्र प्रसाद शुक्ल की मौत का मामला, अपोलो अस्पताल और फर्जी डॉक्टर नरेंद्र जॉन कैम के खिलाफ FIR

छत्तीसगढ़ विधानसभा के प्रथम अध्यक्ष पं. राजेंद्र प्रसाद शुक्ल की मौत के मामले में बिलासपुर के अपोलो अस्पताल और फर्जी कार्डियोलॉजिस्ट नरेंद्र विक्रमादित्य यादव उर्फ डॉ. जॉन केम के खिलाफ FIR दर्ज की गई है। शुक्ल के बेटे प्रदीप शुक्ला ने आरोप लगाया कि फर्जी डॉक्टर की लापरवाही भरी सर्जरी के कारण उनके पिता की जान गई। इस मामले ने मध्यप्रदेश के दमोह में 7 हार्ट पेशेंट्स की मौत के बाद और तूल पकड़ा, जहां यादव ने फर्जी डिग्री के आधार पर सर्जरी की थी।

ऑपरेशन के बाद हुआ था निधन

2006 में अपोलो अस्पताल, बिलासपुर में नरेंद्र विक्रमादित्य यादव, जो खुद को यूके-प्रशिक्षित कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. जॉन केम बताता था, ने राजेंद्र प्रसाद शुक्ल की हार्ट सर्जरी की थी। सर्जरी के 18 दिन बाद वेंटिलेटर पर रहने के बाद शुक्ल का निधन हो गया। प्रदीप शुक्ला ने दावा किया कि सर्जरी के दौरान बार-बार कैथेटर डालने की गलती हुई और डॉक्टर की योग्यता पर पहले भी सवाल उठे थे। उस समय भारतीय चिकित्सा संघ (IMA) ने जांच की थी, लेकिन कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई।

दमोह कनेक्शन और गिरफ्तारी

यह मामला तब फिर सुर्खियों में आया जब दमोह के मिशन अस्पताल में यादव ने दिसंबर 2024 से फरवरी 2025 के बीच 15 हार्ट सर्जरी कीं, जिनमें 7 मरीजों की मौत हो गई। जांच में पता चला कि यादव ने ब्रिटिश कार्डियोलॉजिस्ट प्रो. जॉन केम की पहचान चुराकर फर्जी डिग्री के आधार पर काम किया। 7 अप्रैल 2025 को उसे प्रयागराज से गिरफ्तार किया गया। दमोह पुलिस ने धोखाधड़ी, जालसाजी और गैर-इरादतन हत्या के आरोप में FIR दर्ज की।

अपोलो अस्पताल पर आरोप

प्रदीप शुक्ला की शिकायत पर बिलासपुर पुलिस ने IPC की धाराओं 420 (धोखाधड़ी), 465, 466, 468, 471 (जालसाजी), 304 (गैर-इरादतन हत्या), और 34 के तहत अपोलो अस्पताल प्रबंधन और नरेंद्र यादव के खिलाफ FIR दर्ज की। आरोप है कि अस्पताल ने बिना दस्तावेज सत्यापन के फर्जी डॉक्टर को नियुक्त किया, जिससे गंभीर लापरवाही हुई। प्रदीप ने कहा, “अस्पताल ने लाखों रुपये लिए और हमें बताया कि यह लंदन से आए विशेषज्ञ हैं। बाद में IMA ने बताया कि वह फर्जी है, लेकिन उसे सिर्फ स्थानांतरित किया गया।”

जांच और कार्रवाई

  • बिलासपुर: छत्तीसगढ़ इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज में तीन सदस्यीय जांच कमेटी गठित की गई है, जो शुक्ल के इलाज की जांच कर रही है। कमेटी को एक सप्ताह में रिपोर्ट सौंपने को कहा गया है।
  • CMHO की कार्रवाई: बिलासपुर के CMHO डॉ. प्रमोद तिवारी ने अपोलो को नोटिस जारी कर यादव की नियुक्ति, शैक्षणिक योग्यता, सर्जरी के रिकॉर्ड और शिकायतों पर जवाब मांगा। अस्पताल ने जवाब में कहा कि यादव जून 2006 से मार्च 2007 तक कार्यरत था, लेकिन दस्तावेज चेन्नई मुख्यालय में हैं और 20 साल पुराने रिकॉर्ड ढूंढना मुश्किल है।
  • दमोह: NHRC ने दमोह मामले की जांच शुरू की, और मिशन अस्पताल का लाइसेंस निलंबित कर दिया गया।
  • कांग्रेस की मांग: कांग्रेस नेता विजय केशरवानी ने अपोलो से यादव द्वारा की गई सभी सर्जरी की सूची और मरीजों के परिजनों को ब्याज सहित रिफंड की मांग की। उन्होंने अपोलो के संस्थापक और प्रबंधन के खिलाफ भी FIR की मांग की।

फर्जी डॉक्टर का इतिहास

पुलिस जांच में पता चला कि नरेंद्र यादव ने 1996 में नॉर्थ बंगाल मेडिकल कॉलेज से MBBS किया, लेकिन उसकी MD और कार्डियोलॉजी की डिग्री फर्जी थी। उसने हैदराबाद, भुवनेश्वर, कोटा और जर्मनी के अस्पतालों में भी काम किया। 2018 में उसने प्रो. जॉन केम की पहचान चुराई और कई अस्पतालों में फर्जीवाड़ा किया। 2006 में बिलासपुर में उसकी लापरवाही से 8 मरीजों की मौत की भी बात सामने आई है।

अपोलो की प्रतिक्रिया

अपोलो के जनसंपर्क अधिकारी देवेश गोपाल ने कहा, “यह 18-19 साल पुराना मामला है। हम दस्तावेजों की जांच के बाद ही जानकारी दे सकते हैं।” अस्पताल ने CMHO के नोटिस का आंशिक जवाब दिया, लेकिन पूर्ण जानकारी नहीं दी।