• 09/05/2025

पहली बार अमेरिकी पोप: रॉबर्ट फ्रांसिस प्रीवोस्ट बने नए पोप, लियो XIV होगा नाम

पहली बार अमेरिकी पोप: रॉबर्ट फ्रांसिस प्रीवोस्ट बने नए पोप, लियो XIV होगा नाम

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वेटिकन सिटी, 9 मई 2025। कैथोलिक चर्च के इतिहास में पहली बार एक अमेरिकी को पोप चुना गया है। 69 वर्षीय कार्डिनल रॉबर्ट फ्रांसिस प्रीवोस्ट को 133 कार्डिनल्स ने मिलकर नया पोप चुना। उन्होंने पोप लियो XIV का नाम लिया है। यह घोषणा गुरुवार शाम 6:07 बजे (स्थानीय समय) सिस्टिन चैपल की चिमनी से सफेद धुआं निकलने के बाद की गई, जो नए पोप के चुनाव का संकेत था। इसके बाद सेंट पीटर बेसिलिका की घंटियाँ बजीं और हजारों लोग सेंट पीटर स्क्वायर में जमा हो गए।

कौन हैं नए पोप लियो XIV ?

रॉबर्ट फ्रांसिस प्रीवोस्ट शिकागो में जन्मे हैं और उन्होंने अपने करियर का बड़ा हिस्सा पेरू में मिशनरी के रूप में बिताया। वह 2023 में कार्डिनल बने थे और वेटिकन में महत्वपूर्ण भूमिकाएँ निभा चुके हैं। प्रीवोस्ट को पोप फ्रांसिस का करीबी माना जाता था, जिनकी मृत्यु 21 अप्रैल 2025 को 88 वर्ष की आयु में हुई थी। पोप फ्रांसिस पहले लैटिन अमेरिकी पोप थे और उन्होंने अपने 12 साल के कार्यकाल में चर्च को उदार दिशा दी थी।

चुनाव प्रक्रिया दो दिन चली। बुधवार को पहले मतदान में कोई नतीजा नहीं निकला, जिसके बाद सिस्टिन चैपल से काला धुआं निकला। गुरुवार को चार मतदान सत्रों के बाद सफेद धुआं देखा गया। प्रीवोस्ट को कम से कम 89 वोट (दो-तिहाई बहुमत) मिले, जो पोप चुने जाने के लिए जरूरी थे। फ्रांसीसी कार्डिनल डोमिनिक मैमबर्टी ने सेंट पीटर बेसिलिका की बालकनी से “हबेमुस पापम” (हमारे पास पोप है) कहकर नए पोप का ऐलान किया। इसके बाद पोप लियो XIV ने पहली बार जनता को संबोधित किया और आशीर्वाद दिया।

यह चुनाव सबसे अधिक भौगोलिक रूप से विविध कॉन्क्लेव में हुआ, जिसमें 70 देशों के कार्डिनल्स शामिल थे। पोप फ्रांसिस ने अपने कार्यकाल में कई नए देशों से कार्डिनल्स नियुक्त किए थे, जिससे यह संभावना बढ़ी थी कि नया पोप गैर-यूरोपीय हो सकता है। प्रीवोस्ट का चुनाव उन लोगों के लिए भी राहत की बात है, जो चर्च में सुधार और गरीबों की मदद पर जोर चाहते थे, जैसा कि पोप फ्रांसिस ने किया था।

हालांकि, कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि एक अमेरिकी पोप का चुनाव चर्च के लिए चुनौतियाँ भी ला सकता है, क्योंकि अमेरिका की वैश्विक छवि हमेशा सकारात्मक नहीं रही है। फिर भी, प्रीवोस्ट के पेरू में मिशनरी अनुभव और उनकी विनम्र छवि को सकारात्मक माना जा रहा है।

सोशल मीडिया पर भी इस खबर को लेकर उत्साह देखा गया। कई लोगों ने इसे ऐतिहासिक कदम बताया, तो कुछ ने मजाक में कहा कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप, जिन्होंने हाल ही में पोप बनने की इच्छा जताई थी, अब निराश होंगे।