- 24/03/2025
हरभजन सिंह और मंकीगेट विवाद: जोफ्रा आर्चर से पहले एंड्रयू साइमंड्स के साथ हुआ था टकराव, जानें क्या है मंकी गेट विवाद; जिससे तबाह हो गया क्रिकेटर का कैरियर


भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व स्पिनर हरभजन सिंह एक बार फिर सुर्खियों में हैं। हाल ही में आईपीएल 2025 के दौरान उन्होंने इंग्लैंड के तेज गेंदबाज जोफ्रा आर्चर की गेंदबाजी की तुलना “काली टैक्सी” से की, जिसे लेकर विवाद छिड़ गया है। लेकिन यह पहली बार नहीं है जब हरभजन नस्लीय टिप्पणी के आरोपों से घिरे हों। इससे पहले 2008 में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ सिडनी टेस्ट के दौरान एंड्रयू साइमंड्स के साथ हुआ “मंकीगेट” विवाद क्रिकेट इतिहास के सबसे चर्चित प्रकरणों में से एक बन गया था। आइए जानते हैं कि क्या था यह मंकीगेट विवाद और कैसे हरभजन इसके केंद्र में आए।
मंकीगेट विवाद की शुरुआत
यह घटना 2007-08 में भारत के ऑस्ट्रेलिया दौरे के दौरान हुई। सिडनी में खेले गए दूसरे टेस्ट मैच में हरभजन सिंह और एंड्रयू साइमंड्स के बीच मैदान पर तीखी नोकझोंक हुई। साइमंड्स उस वक्त बल्लेबाजी कर रहे थे और हरभजन गेंदबाजी। खेल के दौरान दोनों के बीच कुछ कहासुनी हुई, जिसके बाद ऑस्ट्रेलियाई कप्तान रिकी पोंटिंग ने अंपायर से शिकायत की कि हरभजन ने साइमंड्स को “मंकी” (बंदर) कहकर नस्लीय टिप्पणी की। यह आरोप बेहद गंभीर था, क्योंकि अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (आईसीसी) के नियमों में नस्लीय टिप्पणी को लेवल तीन का अपराध माना जाता है, जिसके लिए कड़ा दंड मिल सकता है।
विवाद का बढ़ना और सुनवाई
मैच खत्म होने के बाद इस मामले की सुनवाई शुरू हुई, जो देर रात तक चली। ऑस्ट्रेलियाई खिलाड़ियों मैथ्यू हेडन, एडम गिलक्रिस्ट, माइकल क्लार्क और रिकी पोंटिंग ने दावा किया कि उन्होंने हरभजन को कुछ कहते सुना। हालांकि, हरभजन ने इन आरोपों से साफ इनकार किया। भारतीय टीम, कप्तान अनिल कुंबले के नेतृत्व में, अपने खिलाड़ी के साथ मजबूती से खड़ी रही और बीसीसीआई ने दौरा रद्द करने की धमकी तक दे डाली। सुनवाई में सचिन तेंदुलकर, जो उस वक्त मैदान पर मौजूद थे, ने गवाही दी कि उन्हें ऐसी कोई टिप्पणी सुनाई नहीं दी।
प्रारंभिक सुनवाई में हरभजन को दोषी ठहराया गया और उन पर तीन टेस्ट मैचों का प्रतिबंध लगा। लेकिन विवाद बढ़ने पर मामला न्यूजीलैंड के जज जॉन हेंसन को सौंपा गया। जज ने सबूतों के अभाव में नस्लीय टिप्पणी के आरोप को खारिज कर दिया और कहा कि हरभजन ने शायद “तेरी मां की” जैसा कुछ कहा था, जिसे साइमंड्स ने गलत समझा। इसके बाद प्रतिबंध हटाकर हरभजन पर केवल जुर्माना लगाया गया।
मंकीगेट का असर
इस घटना का साइमंड्स के करियर पर गहरा असर पड़ा। उन्होंने बाद में स्वीकार किया कि मंकीगेट ने उनके क्रिकेट जीवन को प्रभावित किया और वह शराब की लत में पड़ गए। 2009 में ऑस्ट्रेलिया के लिए उनका आखिरी मैच खेलने के बाद क्रिकेट ऑस्ट्रेलिया ने उनका अनुबंध समाप्त कर दिया। दूसरी ओर, हरभजन ने इस विवाद के बाद भी अपने करियर को आगे बढ़ाया। दिलचस्प बात यह है कि बाद में आईपीएल में हरभजन और साइमंड्स मुंबई इंडियंस के लिए साथ खेले और दोनों के बीच दोस्ती भी हो गई। साइमंड्स की 2022 में एक कार दुर्घटना में मृत्यु के बाद हरभजन ने उनके प्रति संवेदना व्यक्त की थी।
जोफ्रा आर्चर विवाद से तुलना
अब 2025 में जोफ्रा आर्चर पर की गई टिप्पणी ने एक बार फिर हरभजन को नस्लवाद के आरोपों के घेरे में ला दिया है। हालांकि, मंकीगेट की तरह यह मामला अभी औपचारिक सुनवाई तक नहीं पहुंचा है, लेकिन सोशल मीडिया पर इसे लेकर बहस छिड़ी हुई है। क्रिकेट प्रशंसक और विशेषज्ञ इस बात पर चर्चा कर रहे हैं कि क्या हरभजन की यह टिप्पणी मजाक थी या इसमें नस्लीय संदर्भ छिपा था।
मंकीगेट विवाद क्रिकेट के इतिहास में एक ऐसा अध्याय है जो खेल भावना, नस्लवाद और मैदान के बाहर की राजनीति को उजागर करता है। हरभजन और साइमंड्स के बीच का यह टकराव न केवल खेल जगत बल्कि भारत-ऑस्ट्रेलिया के क्रिकेट संबंधों पर भी एक बड़ा सवाल बनकर उभरा था। अब जोफ्रा आर्चर के साथ ताजा विवाद ने उस पुरानी घटना को फिर से चर्चा में ला दिया है, जिससे यह सवाल उठता है कि क्या हरभजन का आक्रामक स्वभाव और बयानबाजी उनके करियर का स्थायी हिस्सा बन चुके हैं।