- 15/10/2025
पटाखों से कैसे अलग हैं ग्रीन पटाखे, दिल्ली में सुप्रीम कोर्ट ने दिवाली में आतिशबाजी की दी छूट लेकिन… पढ़िए पूरी खबर

सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को दिल्ली-एनसीआर में दीवाली के दौरान ग्रीन पटाखों की बिक्री और उपयोग की अनुमति दे दी। मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई और जस्टिस विनोद चंद्रन की बेंच ने आदेश दिया कि 18 अक्टूबर से 21 अक्टूबर तक ग्रीन पटाखों की बिक्री की जाएगी, लेकिन इन्हें जलाने का समय शाम 6 बजे से रात 10 बजे तक सीमित रहेगा। कोर्ट ने सख्ती से निर्देश दिया कि केवल सीएसआईआर-नीरी (National Environmental Engineering Research Institute) द्वारा प्रमाणित ग्रीन पटाखे ही बेचे और इस्तेमाल किए जाएं, जिनकी पहचान हरे लोगो और एन्क्रिप्टेड क्यूआर कोड से होगी।
ग्रीन पटाखे: पर्यावरण के लिए कम हानिकारक
ग्रीन पटाखे पारंपरिक पटाखों की तुलना में पर्यावरण को कम नुकसान पहुंचाते हैं। इनमें एल्यूमिनियम, पोटेशियम नाइट्रेट, सल्फर और बेरियम जैसे हानिकारक रसायनों का उपयोग न के बराबर होता है। बेरियम, जो पारंपरिक पटाखों में हरा रंग देने के लिए इस्तेमाल होता है, ग्रीन पटाखों में पूरी तरह अनुपस्थित होता है। सीएसआईआर-नीरी द्वारा विकसित इन पटाखों की ध्वनि 110 से 125 डेसीबल तक सीमित होती है, जबकि सामान्य पटाखे 160 डेसीबल तक शोर करते हैं। इससे वायु और ध्वनि प्रदूषण में कमी आती है। ग्रीन पटाखों में पेंसिल, फुलझड़ियां, मरून और चकरी जैसे विकल्प शामिल हैं।
सुप्रीम कोर्ट के आदेश की मुख्य बातें
- बिक्री का समय: 18 अक्टूबर से 21 अक्टूबर तक केवल ग्रीन पटाखों की बिक्री की अनुमति।
- उपयोग का समय: ग्रीन पटाखे केवल शाम 6 बजे से रात 10 बजे तक जलाए जा सकेंगे।
- निगरानी: दिल्ली पुलिस को पेट्रोलिंग टीमें गठित करने का निर्देश, जो यह सुनिश्चित करेंगी कि केवल क्यूआर कोड वाले प्रमाणित ग्रीन पटाखे ही बेचे जाएं।
- ई-कॉमर्स पर रोक: कोर्ट ने साफ किया कि ई-कॉमर्स वेबसाइटों के जरिए किसी भी प्रकार के पटाखों की बिक्री नहीं होगी।
- पारंपरिक पटाखों पर सख्ती: कोर्ट ने पारंपरिक पटाखों की तस्करी पर चिंता जताते हुए कहा कि ये अधिक प्रदूषण फैलाते हैं और इन्हें पूरी तरह रोका जाए।
ग्रीन पटाखों की पहचान और महत्व
सीएसआईआर-नीरी द्वारा विकसित ग्रीन पटाखों की पैकेजिंग पर हरा लोगो और एन्क्रिप्टेड क्यूआर कोड होता है, जो उनकी प्रामाणिकता सुनिश्चित करता है। ये पटाखे न केवल ध्वनि प्रदूषण को कम करते हैं, बल्कि हानिकारक धुएं और रासायनिक उत्सर्जन को भी नियंत्रित करते हैं।