• 15/07/2025

टल गई निमिषा प्रिया की फांसी, 8 साल से यमन की जेल में है बंद; जानें क्या है पूरा मामला

टल गई निमिषा प्रिया की फांसी, 8 साल से यमन की जेल में है बंद; जानें क्या है पूरा मामला

केरल की नर्स निमिषा प्रिया, जो यमन में 2017 से हत्या के मामले में मौत की सजा का सामना कर रही थीं, उनकी फांसी को फिलहाल टाल दिया गया है। सूत्रों के हवाले से मिली जानकारी के अनुसार, निमिषा को 16 जुलाई 2025 को यमन की राजधानी सना में फांसी दी जानी थी, लेकिन भारतीय सरकार और सामाजिक संगठनों के हस्तक्षेप के बाद यह कार्रवाई स्थगित कर दी गई है।

निमिषा प्रिया मामला: क्या है पूरा घटनाक्रम?

पलक्कड़, केरल की रहने वाली 37 वर्षीय निमिषा प्रिया 2008 में बेहतर रोजगार के लिए यमन गई थीं। वहां उन्होंने कई अस्पतालों में नर्स के रूप में काम किया और 2015 में यमनी नागरिक तलाल एब्दो महदी के साथ मिलकर एक क्लिनिक शुरू किया। यमनी कानून के अनुसार, विदेशी नागरिकों को व्यवसाय शुरू करने के लिए स्थानीय साझेदार की जरूरत होती है। हालांकि, निमिषा और महदी के बीच वित्तीय अनियमितताओं और पासपोर्ट जब्त करने को लेकर विवाद हो गया। निमिषा ने आरोप लगाया कि महदी ने उनका पासपोर्ट जब्त कर लिया और उन्हें धमकियां दीं।

2017 में, अपने पासपोर्ट को वापस लेने के प्रयास में निमिषा ने महदी को बेहोशी का इंजेक्शन दिया, लेकिन ओवरडोज के कारण उनकी मृत्यु हो गई। इसके बाद निमिषा को सऊदी अरब की सीमा के पास गिरफ्तार कर लिया गया। 2018 में यमन की एक अदालत ने उन्हें हत्या का दोषी ठहराया और 2020 में मौत की सजा सुनाई। नवंबर 2023 में यमन के सुप्रीम ज्यूडिशियल काउंसिल ने उनकी अपील खारिज कर दी, हालांकि शरिया कानून के तहत ‘ब्लड मनी’ (दिया) के जरिए माफी की संभावना खुली रखी।

निमिषा की मां प्रेमा कुमारी अप्रैल 2024 से यमन में हैं और ‘सेव निमिषा प्रिया इंटरनेशनल एक्शन काउंसिल’ के साथ मिलकर पीड़ित परिवार से माफी मांगने और ब्लड मनी की पेशकश करने की कोशिश कर रही हैं। काउंसिल ने पीड़ित परिवार को 1 मिलियन डॉलर (लगभग 8.5 करोड़ रुपये) की पेशकश की है, लेकिन अभी तक परिवार ने इसे स्वीकार नहीं किया है।

भारत सरकार और सामाजिक संगठनों की कोशिशें

भारत सरकार ने इस मामले में सक्रियता दिखाई है। विदेश मंत्रालय ने यमनी अधिकारियों और निमिषा के परिवार के साथ लगातार संपर्क बनाए रखा है। सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान अटॉर्नी जनरल आर. वेंकटरमणि ने कहा कि सरकार ने स्थानीय प्रभावशाली लोगों और शेखों के जरिए फांसी को टालने की कोशिश की है। हालांकि, सना में हूती विद्रोहियों के नियंत्रण और भारत के साथ औपचारिक राजनयिक संबंधों की कमी के कारण यह मामला जटिल बना हुआ है।

केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन, राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ अर्लेकर, और कई सांसदों ने भी केंद्र सरकार से इस मामले में हस्तक्षेप की मांग की है। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की अगली सुनवाई 18 जुलाई को निर्धारित की है और सभी पक्षों से स्थिति पर अपडेट देने को कहा है।