• 19/04/2025

महाराष्ट्र की सियासत में नया मोड़: मतभेद भुलाकर उद्धव और राज ठाकरे आएंगे साथ, दिए एकजुट होने के संकेत

महाराष्ट्र की सियासत में नया मोड़: मतभेद भुलाकर उद्धव और राज ठाकरे आएंगे साथ, दिए एकजुट होने के संकेत

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महाराष्ट्र की राजनीति में एक बड़े उलटफेर के संकेत मिले हैं, क्योंकि शिवसेना (यूबीटी) प्रमुख उद्धव ठाकरे और महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) अध्यक्ष राज ठाकरे ने लगभग दो दशकों के राजनीतिक मतभेदों को दरकिनार कर एक साथ आने की इच्छा जताई है। दोनों नेताओं ने मराठी अस्मिता और महाराष्ट्र के हितों को सर्वोपरि बताते हुए छोटे-मोटे विवादों को भुलाने की बात कही है। यह विकास हिंदी भाषा को स्कूलों में अनिवार्य करने के राज्य सरकार के फैसले के खिलाफ चल रहे विवाद के बीच हुआ है।

शनिवार को एक पॉडकास्ट में अभिनेता-फिल्म निर्माता महेश मांजरेकर के साथ बातचीत में राज ठाकरे ने कहा, “मेरे और उद्धव के बीच के झगड़े छोटे हैं, महाराष्ट्र उससे कहीं बड़ा है। मराठी लोगों और महाराष्ट्र के हित के लिए मैं किरकोळ मतभेदों को भुलाने को तैयार हूँ। सवाल यह है कि क्या दूसरी तरफ भी ऐसी इच्छा है?” उन्होंने जोर देकर कहा कि सभी मराठी लोगों को राजनीतिक दलों की सीमाओं से ऊपर उठकर एकजुट होकर एक ही पार्टी बनानी चाहिए।

इसके जवाब में, भारतीय कामगार सेना के एक कार्यक्रम में उद्धव ठाकरे ने सशर्त एकता की बात कही। उन्होंने कहा, “मैं भी मराठी भाषा और महाराष्ट्र के लिए छोटे-मोटे विवाद भूलने को तैयार हूँ। लेकिन मेरी शर्त है कि राज को उन लोगों और दलों का समर्थन बंद करना होगा जो महाराष्ट्र के हितों के खिलाफ हैं। अगर हम पहले एकजुट होते, जब हमने संसद में गुजरात में उद्योगों के स्थानांतरण का मुद्दा उठाया था, तो हम महाराष्ट्र के लिए काम करने वाली सरकार बना सकते थे।” उद्धव ने यह भी स्पष्ट किया कि वह उन लोगों के साथ नहीं बैठेंगे जो महाराष्ट्र के खिलाफ काम करते हैं।

यह बयान उस समय आया है जब दोनों नेताओं ने भाजपा नीत महायुति सरकार के स्कूलों में पहली से पांचवीं कक्षा तक हिंदी को अनिवार्य विषय बनाने के फैसले की कड़ी आलोचना की है। राज ठाकरे ने सोशल मीडिया पर लिखा, “मनसे इस हिंदी की अनिवार्यता को बिल्कुल स्वीकार नहीं करेगी। केंद्र सरकार के ‘हिंदीकरण’ के प्रयासों को महाराष्ट्र में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।” उद्धव ने भी इस नीति को मराठी भाषा की सांस्कृतिक स्थिति के लिए खतरा बताया।

दोनों नेताओं के बीच यह संवाद हाल के महीनों में उनके कई बार सार्वजनिक रूप से एक साथ दिखने के बाद हुआ है। पिछले दो महीनों में वे तीन बार, विशेष रूप से एक सरकारी अधिकारी के बेटे की शादी में, एक साथ नजर आए, जिसने सुलह की अटकलों को और हवा दी। मनसे के महासचिव संदीप देशपांडे ने सुलह के स्वर का स्वागत करते हुए कहा, “राज ठाकरे ने सही सवाल उठाया है कि क्या दूसरी तरफ भी एकजुट होने की इच्छा है? जब तक यह स्पष्ट नहीं होता, बात अधूरी है।”

वहीं, शिवसेना (यूबीटी) के नेता अंबादास दानवे ने कहा, “मराठी मानुष के लिए सभी ताकतों का एकजुट होना जरूरी है। उद्धव और राज भाई हैं, और कई लोग इस मामले में मध्यस्थता करने को तैयार हैं।”

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि अगर उद्धव और राज वाकई एकजुट होते हैं, तो यह महाराष्ट्र की सियासत में बड़ा बदलाव ला सकता है, खासकर आगामी बृहन्मुंबई नगर निगम (बीएमसी) चुनावों के मद्देनजर। दोनों पार्टियाँ मराठी भाषी मतदाताओं के बीच समान आधार साझा करती हैं, और उनकी एकता भाजपा और एकनाथ शिंदे की शिवसेना के लिए चुनौती बन सकती है।