- 10/07/2025
RSS प्रमुख के निशाने पर कौन? मोहन भागवत ने कहा- 75 वर्ष बाद दूसरों को दें अवसर

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के सरसंघचालक मोहन भागवत ने बुधवार, 9 जुलाई 2025 को नागपुर के वनमती हॉल में आयोजित एक समारोह में कहा कि 75 वर्ष की आयु के बाद व्यक्ति को दूसरों को अवसर देना चाहिए। यह बात उन्होंने संघ के वरिष्ठ पदाधिकारी रहे मोरोपंत पिंगले के जीवन पर आधारित एक अंग्रेजी पुस्तक के विमोचन समारोह में कही। भागवत ने पिंगले के जीवन और उनकी सीखों को याद करते हुए उनके त्याग, समर्पण और प्रसिद्धि से दूरी बनाए रखने की प्रवृत्ति को प्रेरणादायक बताया।
मोरोपंत पिंगले की 75 वर्ष की सीख
मोहन भागवत ने बताया कि वृंदावन में आयोजित संघ की एक बैठक में मोरोपंत पिंगले को 75 वर्ष की आयु पूरी होने पर सम्मानित करने का निर्णय लिया गया था। तत्कालीन सरकार्यवाह शेषाद्रि ने उन्हें शॉल ओढ़ाकर सम्मानित किया। इस अवसर पर पिंगले ने कहा, “मैं 75 का अर्थ समझता हूं।” भागवत ने कहा कि यह पिंगले की सीख थी कि 75 वर्ष की आयु के बाद व्यक्ति को संन्यास लेना चाहिए और दूसरों को अवसर देना चाहिए। उन्होंने बिना प्रचार के संघ के लिए काम करने की उनकी शैली को भी रेखांकित किया।
आपातकाल के बाद भविष्यवाणी का जिक्र
भागवत ने आपातकाल (1975-77) के बाद हुए राजनीतिक बदलावों का उल्लेख करते हुए पिंगले की दूरदर्शिता की प्रशंसा की। उन्होंने बताया कि जब विपक्षी दलों के एकजुट होने की चर्चा चल रही थी, तब पिंगले ने भविष्यवाणी की थी कि यदि सभी विपक्षी दल एक साथ आएं तो वे 276 लोकसभा सीटें जीत सकते हैं। आश्चर्यजनक रूप से, चुनाव परिणामों में विपक्ष को ठीक 276 सीटें ही मिलीं। भागवत ने बताया कि परिणामों के समय पिंगले सतारा जिले के सज्जनगढ़ किले में थे और इन चर्चाओं से पूरी तरह दूर थे।
राम जन्मभूमि आंदोलन में पिंगले का योगदान
सरसंघचालक ने राम जन्मभूमि आंदोलन में भी पिंगले की भूमिका का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि पिंगले ने इस आंदोलन में विश्व हिंदू परिषद के नेता अशोक सिंघल को आगे रखा और स्वयं पर्दे के पीछे रहे। भागवत ने कहा कि पिंगले ने अपने आचरण से प्रसिद्धि से दूर रहकर कार्य करने का अनुकरणीय उदाहरण प्रस्तुत किया। बचपन से ही आत्मत्याग की साधना करने वाले पिंगले का संघ के प्रति समर्पण इतना गहरा था कि उन्होंने कभी व्यक्तिगत महत्वाकांक्षा को स्थान नहीं दिया।
मोरोपंत पिंगले के जीवन पर आधारित अंग्रेजी पुस्तक के विमोचन समारोह में भागवत ने उनके जीवन से प्रेरणा लेने की अपील की। उन्होंने कहा कि पिंगले का जीवन संघ के स्वयंसेवकों और समाज के लिए एक आदर्श है, जो सिखाता है कि बिना स्वार्थ के समाज सेवा कैसे की जाए। समारोह में संघ के कई वरिष्ठ पदाधिकारी और कार्यकर्ता मौजूद थे।