• 17/09/2025

नक्सलियों ने हथियार छोड़ने का किया ऐलान, क्या सरकार करेगी शांति वार्ता? छत्तीसगढ़ के गृहमंत्री विजय शर्मा ने बताया क्या होगा स्टैंड

नक्सलियों ने हथियार छोड़ने का किया ऐलान, क्या सरकार करेगी शांति वार्ता? छत्तीसगढ़ के गृहमंत्री विजय शर्मा ने बताया क्या होगा स्टैंड

छत्तीसगढ़ में लंबे समय से चले आ रहे नक्सल संघर्ष में एक महत्वपूर्ण मोड़ आ गया है। प्रतिबंधित संगठन सीपीआई (माओवादी) की केंद्रीय समिति के प्रवक्ता ‘अभय’ ने जारी एक प्रेस नोट में शांति वार्ता की पेशकश की है। यह प्रेस नोट 15 अगस्त 2025 का है, जो कि अब वायरल हो रहा है। इसमें नक्सलियों ने हथियार छोड़ने और मुख्यधारा में शामिल होने की इच्छा जताई है, साथ ही केंद्र और राज्य सरकार से एक माह के औपचारिक सीजफायर की मांग की है। यह प्रस्ताव सरकार की आक्रामक नक्सल-विरोधी कार्रवाइयों के बीच आया है, जिससे संगठन कमजोर पड़ रहा है।

प्रेस नोट में ‘अभय’ ने कहा है कि मार्च 2025 से ही उनकी पार्टी शांति वार्ता के लिए गंभीर प्रयासरत है। उन्होंने 10 मई 2025 को भी एक बयान जारी कर हथियार छोड़ने पर विचार-विमर्श के लिए एक माह का समय मांगा था, लेकिन केंद्र सरकार की ओर से कोई सकारात्मक प्रतिक्रिया न मिलने पर नक्सल-उन्मूलन अभियान और तेज हो गया। जनवरी 2024 से शुरू हुए ‘ऑपरेशन कगार’ (Operation Kagaar) के तहत हजारों सशस्त्र पुलिस बल तैनात कर हमले किए गए हैं। विशेष रूप से, 21 मई 2025 को माड़ के मुंडेकोट क्षेत्र में हुई मुठभेड़ में पार्टी के महासचिव बसवराजू सहित केंद्रीय समिति के 28 सदस्य शहीद हो गए।

नक्सलियों ने प्रेस नोट में स्पष्ट किया है कि बदलते विश्व और देश की परिस्थितियों को देखते हुए, प्रधानमंत्री, गृहमंत्री अमित शाह और वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों के अनुरोध पर वे हथियार छोड़ने का निर्णय ले चुके हैं। “हम हथियारबंद संघर्ष पर अस्थायी रूप से विराम लगाने का फैसला लिए हैं। भविष्य में जन समस्याओं पर अन्य राजनीतिक दलों और संघर्षरत संस्थाओं के साथ कंधे से कंधा मिलाकर काम करेंगे,” प्रेस नोट में कहा गया है। हालांकि, उन्होंने यह भी चेतावनी दी है कि जरूरत पड़ने पर जन आंदोलन जारी रखेंगे।

शांति वार्ता के लिए संपर्क माध्यम जारी

शांति प्रक्रिया को आगे बढ़ाने के लिए नक्सलियों ने ईमेल आईडी (nampet(2025)@gmail.com) और फेसबुक आईडी जारी की है। ‘अभय’ ने कहा कि सरकार यदि सहमति जताती है, तो इन माध्यमों से विचार-विमर्श किया जा सकता है। उन्होंने अनुरोध किया है कि सरकार का निर्णय आकाशवाणी (एआईआर) और दूरदर्शन के माध्यम से इंटरनेट से दूर रहने वाले कैडरों तक पहुंचाया जाए।

वार्ता के लिए नक्सली केंद्र के गृहमंत्री अमित शाह या उनके द्वारा नियुक्त प्रतिनिधिमंडल से मिलने को तैयार हैं। लेकिन पहले पार्टी के सभी कैडरों और जेल में बंद सदस्यों से सलाह लेने के लिए एक माह का समय चाहिए। प्रारंभिक चर्चा के लिए वीडियो कॉल का भी प्रस्ताव दिया गया है। “खोजी अभियानों को रोककर जंगलों को खून से शांतिपूर्ण क्षेत्रों में तब्दील करना सरकार के अनुकूल रुख पर निर्भर करेगा,” प्रेस नोट में कहा गया है।

गृहमंत्री विजय शर्मा का बयान: जांच के बाद सकारात्मक निर्णय

प्रदेश के गृह मंत्री विजय शर्मा ने पत्र की प्रामाणिकता पर सवाल उठाते हुए कहा कि इसकी जांच की जाएगी। उन्होंने केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह और मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के निर्देशानुसार निर्णय लिया जाएगा। “15 अगस्त को जारी पत्र कितना ऑथेंटिक है, इसकी जांच जरूरी है। पत्र की शब्दावली में परिवर्तन है, जो विरोधाभास पैदा करता है। लेकिन यदि सच्चाई है, तो जरूर निर्णय लेंगे,” शर्मा ने कहा।

उन्होंने जोर देकर कहा कि राज्य में कोई युद्ध जैसी स्थिति नहीं है, इसलिए ‘सीजफायर’ शब्द आपत्तिजनक है। “सरकार नक्सलियों से बात करने को तैयार है, यदि वे हथियार छोड़कर मुख्यधारा में आते हैं। व्हाट्सएप, फोन, वीडियो कॉल या प्रतिनिधि भेजकर चर्चा हो सकती है। छत्तीसगढ़ की पुनर्वास नीति देश की सर्वश्रेष्ठ है,” शर्मा ने कहा। सरकार बस्तर में शांति स्थापित करने के लिए हर संभव प्रयास कर रही है।

नक्सल अभियानों से हड़बड़ाए माओवादी

2025 में नक्सल-विरोधी अभियानों में सीपीआई (माओवादी) को भारी नुकसान हुआ है। बसवराजू समेत सात केंद्रीय समिति सदस्य मारे गए हैं। केंद्र सरकार ने 31 मार्च 2026 तक नक्सलवाद उन्मूलन का लक्ष्य रखा है। बस्तर के आदिवासी-बहुल जिलों में सैन्यीकरण बढ़ा है, जिससे माओवादियों का प्रभाव कमजोर पड़ रहा है। यह पहली बार है जब संगठन ने राष्ट्रीय स्तर पर औपचारिक सीजफायर घोषित किया है, हालांकि अप्रैल 2025 में भी शर्तों के साथ शांति वार्ता का प्रस्ताव दिया गया था।