• 20/08/2025

PM, CM से लेकर मंत्रियों तक की जाएगी कुर्सी, जेल जाने पर छोड़ना पड़ेगा पद, शाह संसद में पेश करेंगे विधेयक, जानें विपक्ष को बिल पर क्यों है आपत्ति?

PM, CM से लेकर मंत्रियों तक की जाएगी कुर्सी, जेल जाने पर छोड़ना पड़ेगा पद, शाह संसद में पेश करेंगे विधेयक, जानें विपक्ष को बिल पर क्यों है आपत्ति?

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार आज संसद के मानसून सत्र में तीन ऐतिहासिक विधेयक पेश करने जा रही है, जो भारतीय राजनीति में अपराधीकरण पर नकेल कसने का दावा करते हैं। इन विधेयकों में प्रावधान है कि यदि प्रधानमंत्री, केंद्रीय मंत्री, मुख्यमंत्री, या किसी राज्य अथवा केंद्र शासित प्रदेश के मंत्री को गंभीर आपराधिक आरोपों में लगातार 30 दिनों तक हिरासत में रखा जाता है, तो उन्हें 31वें दिन पद से हटा दिया जाएगा। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह इन विधेयकों को लोकसभा में पेश करेंगे और इन्हें संसद की संयुक्त समिति (JPC) को भेजने का प्रस्ताव भी रखेंगे।

👉🏼 इसे भी पढ़ें: कौन हैं शपथ लेने वाले तीनों मंत्री.. गजेंद्र, खुशवंत, राजेश को मंत्रिमंडल में मिलेगी क्या जिम्मेदारी? पहली बार छत्तीसगढ़ में 14 मंत्रियों की कैबिनेट

तीन विधेयक कौन से हैं?

केंद्र सरकार आज निम्नलिखित तीन विधेयक पेश करेगी:

  1.  संविधान (130वां संशोधन) विधेयक, 2025 : यह विधेयक संविधान के अनुच्छेद 75, 164, और 239AA में संशोधन का प्रस्ताव करता है, ताकि गंभीर आपराधिक आरोपों में हिरासत में लिए गए प्रधानमंत्री, केंद्रीय मंत्रियों, मुख्यमंत्रियों, और राज्य मंत्रियों को पद से हटाने का कानूनी ढांचा तैयार किया जा सके।
  2.   जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन (संशोधन) विधेयक, 2025 : यह विधेयक जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम, 2019 की धारा 54 में संशोधन करेगा, ताकि गंभीर आपराधिक आरोपों में हिरासत में लिए गए मुख्यमंत्री या मंत्रियों को हटाने का प्रावधान जोड़ा जाए।
  3.  संघ राज्य क्षेत्र सरकार (संशोधन) विधेयक, 2025 : यह विधेयक केंद्र शासित प्रदेश सरकार अधिनियम, 1963 की धारा 45 में संशोधन करेगा, ताकि केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्यमंत्री या मंत्रियों को गंभीर आपराधिक आरोपों में हिरासत के बाद हटाने का प्रावधान बनाया जा सके।

👉🏼 इसे भी पढ़ें: दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता पर जनसुनवाई के दौरान हमला,आरोपी हिरासत में, सुरक्षा चूक की जांच शुरू

विधेयक में क्या प्रावधान?

इन विधेयकों में स्पष्ट किया गया है कि यदि कोई प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री, या मंत्री किसी ऐसे अपराध के लिए लगातार 30 दिनों तक हिरासत में रहता है, जिसकी सजा 5 साल या उससे अधिक हो सकती है, तो उसे 31वें दिन तक पद से हटा दिया जाएगा। इसके लिए राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री की सलाह पर कार्रवाई करेंगे। यदि 31वें दिन तक सलाह नहीं दी जाती, तो संबंधित व्यक्ति स्वतः ही अगले दिन से पदमुक्त हो जाएगा।

विधेयक में यह भी प्रावधान है कि हिरासत से रिहा होने के बाद संबंधित व्यक्ति को राष्ट्रपति या राज्यपाल द्वारा पुनः नियुक्त किए जाने पर कोई रोक नहीं होगी।

मौजूदा कानूनों में कमी

वर्तमान में संविधान, जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम, 2019, और केंद्र शासित प्रदेश सरकार अधिनियम, 1963 में कोई प्रावधान नहीं है, जो गंभीर आपराधिक आरोपों में गिरफ्तार या हिरासत में लिए गए नेताओं को पद से हटाने की अनुमति देता हो। इस कमी को उजागर करते हुए हाल के उदाहरणों में दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और तमिलनाडु के मंत्री वी. सेंथिल बालाजी का मामला सामने आया, जहां गिरफ्तारी के बावजूद उन्होंने अपने पद नहीं छोड़े। इन विधेयकों का उद्देश्य ऐसी खामियों को दूर करना और सुशासन व संवैधानिक नैतिकता को बढ़ावा देना है।

कांग्रेस का तीखा विरोध

कांग्रेस पार्टी ने इन विधेयकों को लेकर केंद्र सरकार पर तीखा हमला बोला है। कांग्रेस का दावा है कि ये विधेयक बिहार में राहुल गांधी की ‘वोटर अधिकार रैली’ से जनता का ध्यान भटकाने की साजिश हैं। कांग्रेस नेता गौरव गोगोई ने X पर पोस्ट कर कहा, “ये बिल अमित शाह की ओर से राहुल गांधी की वोटर अधिकार यात्रा से ध्यान हटाने की हताश कोशिश हैं। बिहार में बदलाव की बयार बह रही है।”

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने X पर लिखा, “यह एक दुष्चक्र है। गिरफ्तारी के लिए कोई दिशानिर्देश नहीं हैं, और विपक्षी नेताओं की मनमानी गिरफ्तारियां हो रही हैं। यह विधेयक विपक्षी मुख्यमंत्रियों को अस्थिर करने और उन्हें हटाने का हथियार है, जबकि सत्तारूढ़ दल के नेताओं को छुआ तक नहीं जाता।” उन्होंने इसे विपक्ष को कमजोर करने की रणनीति करार दिया।

विपक्षी सांसदों ने इन विधेयकों का कड़ा विरोध करने की चेतावनी दी है, और कुछ ने तो “बिल फाड़ने” और “टेबल तोड़ने” तक की धमकी दी है। लोकसभा में आज हंगामेदार सत्र की संभावना है।

विधेयकों का महत्व

इन विधेयकों को राजनीति में अपराधीकरण पर लगाम लगाने की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है। सरकार का कहना है कि जनता द्वारा चुने गए नेताओं का चरित्र और आचरण संदेह से परे होना चाहिए, और गंभीर आपराधिक आरोपों में हिरासत में लिए गए नेताओं का पद पर बने रहना संवैधानिक विश्वास को कमजोर करता है।

हालांकि, विपक्ष का आरोप है कि ये विधेयक केंद्र सरकार को केंद्रीय एजेंसियों के माध्यम से विपक्षी नेताओं को निशाना बनाने और उनकी सरकारों को अस्थिर करने का हथियार दे सकते हैं।