• 14/08/2024

आजादी की पूर्व संध्या पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू का देश को संबोधन, 78वें स्वतंत्रता दिवस का जश्न मनाने की तैयारी

आजादी की पूर्व संध्या पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू का देश को संबोधन, 78वें स्वतंत्रता दिवस का जश्न मनाने की तैयारी

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स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने देशवासियों को शुभकामनाएं दीं।राष्ट्रपति ने सभी देशवासियों को स्वतंत्रता दिवस की बधाई भी दी। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कहा, “मैं आप सभी को स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं देती हूं। मुझे यह देखकर खुशी हो रही है कि देश 78वें स्वतंत्रता दिवस का जश्न मनाने की तैयारी कर रहा है।

 

स्वतंत्रता दिवस मनाने से एक दिन पहले, हम उस अभूतपूर्व मानवीय त्रासदी को याद करते हैं और उन परिवारों के साथ खड़े हैं जो टूट गए थे। हम संविधान की 75वीं वर्षगांठ मना रहे हैं।न्याय, समानता, स्वतंत्रता और बंधुता के संवैधानिक आदर्शों पर दृढ़ रहते हुए, हम इस अभियान के साथ आगे बढ़ रहे हैं कि भारत, विश्व-पटल पर अपना गौरवशाली स्थान पुनः प्राप्त करे।

 

 

राष्ट्रपति ने अपने संबोधन में पेरिस ओलंपिक खेलों में भारतीय खिलाड़ियों के उत्कृष्ट प्रदर्शन की सराहना की। राष्ट्रपति ने कहा कि सरकार ने खेल के बुनियादी ढांचे के विकास को समुचित प्राथमिकता दी है और इसके परिणाम सामने आ रहे हैं। उन्होंने कहा कि हाल ही में संपन्न पेरिस ओलंपिक खेलों में भारतीय दल ने अपना उत्कृष्ट प्रयास किया। मैं खिलाड़ियों की निष्ठा और परिश्रम की सराहना करती हूं। उन्होंने युवाओं में प्रेरणा का संचार किया है।

 

राष्ट्रपति ने कहा कि इस वर्ष जुलाई से भारतीय न्याय संहिता को लागू करने में, हमने औपनिवेशिक युग के एक और अवशेष को हटा दिया है। नई संहिता का उद्देश्य, केवल दंड देने की बजाय, अपराध-पीड़ितों के लिए न्याय सुनिश्चित करना है। मैं इस बदलाव को स्वाधीनता सेनानियों के प्रति श्रद्धांजलि के रूप में देखती हूं। उन्होंने कहा कि आज के युवा हमारी स्वतंत्रता की शताब्दी तक के ‘अमृत काल’ को यानी आज से लगभग एक चौथाई सदी के कालखंड को स्वरूप प्रदान करेंगे।

 

राष्ट्रपति ने कहा कि वर्ष 2021 से वर्ष 2024 के बीच 8 प्रतिशत की औसत वार्षिक वृद्धि दर हासिल करके, भारत सबसे तेज गति से बढ़ने वाली बड़ी अर्थ-व्यवस्थाओं में शामिल है। इससे न केवल देशवासियों के हाथों में अधिक पैसा आया है, बल्कि गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले लोगों की संख्या में भी भारी कमी आई है।