• 04/08/2025

तीन बार CM.. हत्या के आरोप.. उम्रकैद फिर बरी.. नरसिम्हाराव सरकार को बचाने वाले JMM नेता शिबू सोरेन का निधन, विवादों से भरा रहा जीवन

तीन बार CM.. हत्या के आरोप.. उम्रकैद फिर बरी.. नरसिम्हाराव सरकार को बचाने वाले JMM नेता शिबू सोरेन का निधन, विवादों से भरा रहा जीवन

झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) के संस्थापक और झारखंड के तीन बार के मुख्यमंत्री शिबू सोरेन का सोमवार सुबह नई दिल्ली के सर गंगा राम अस्पताल में निधन हो गया। वे 81 वर्ष के थे। उनके बेटे और वर्तमान झारखंड मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर उनके निधन की पुष्टि की। हेमंत ने लिखा, “आदरणीय दिशोम गुरुजी हम सभी को छोड़कर चले गए हैं। आज मैं शून्य हो गया हूँ।”

शिबु सोरेन, जिन्हें ‘दिशोम गुरु’ के नाम से जाना जाता था, पिछले एक महीने से किडनी संबंधी बीमारी के कारण अस्पताल में भर्ती थे। उनकी हालत हाल ही में स्ट्रोक के बाद और बिगड़ गई थी, और वे पिछले एक महीने से वेंटिलेटर सपोर्ट पर थे। अस्पताल के बयान के अनुसार, सोरेन का निधन सुबह 8:56 बजे हुआ।

राजनीतिक सफर और उपलब्धियां

शिबू सोरेन का जन्म 11 जनवरी 1944 को तत्कालीन बिहार (अब झारखंड) के रामगढ़ जिले के नेमरा गांव में एक संथाल आदिवासी परिवार में हुआ था। उन्होंने 1972 में बिनोद बिहारी महतो और एके रॉय के साथ मिलकर झारखंड मुक्ति मोर्चा की स्थापना की, जिसका मुख्य उद्देश्य बिहार से अलग झारखंड राज्य का गठन था। यह लक्ष्य 2000 में हासिल हुआ। सोरेन ने लगभग चार दशकों तक JMM का नेतृत्व किया और इसे आदिवासी समुदाय के अधिकारों का प्रतीक बनाया।

सोरेन ने तीन बार झारखंड के मुख्यमंत्री के रूप में कार्य किया: 2005 में 10 दिन (2 मार्च से 11 मार्च), 2008-09, और 2009-10। हालांकि, वे किसी भी कार्यकाल को पूरा नहीं कर सके। उन्होंने 1980 से 2019 तक दुमका लोकसभा सीट से आठ बार सांसद के रूप में जीत हासिल की और 2020 में राज्यसभा सांसद चुने गए। इसके अलावा, वे 2004, 2004-05 और 2006 में केंद्रीय कोयला मंत्री भी रहे।

नरसिम्हाराव सरकार को बचाने में अहम भूमिका

1993 में तत्कालीन प्रधानमंत्री नरसिम्हा राव की सरकार पर आए अविश्वास प्रस्ताव के दौरान शिबू सोरेन और JMM के सांसदों ने कांग्रेस का साथ देकर उनकी सरकार को गिरने से बचाया था। हालांकि, इस समर्थन के बदले कथित तौर पर रिश्वत के आरोप लगे, जिसके चलते सोरेन को विवादों का सामना करना पड़ा।

हत्या का आरोप.. उम्रकैद की सजा फिर बरी

शिबू सोरेन का राजनीतिक जीवन विवादों से भरा रहा। 1975 में गैर-आदिवासियों के खिलाफ अभियान के दौरान 11 लोगों की हत्या के मामले में उन पर आरोप लगे, लेकिन 2008 में उन्हें बरी कर दिया गया। 1994 में उनके निजी सचिव शशिनाथ झा की हत्या के मामले में 2006 में उन्हें उम्रकैद की सजा हुई, जो किसी केंद्रीय मंत्री के लिए पहली ऐसी सजा थी। हालांकि, बाद में वे इस मामले में भी बरी हो गए।

नेताओं ने जताया शोक

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोरेन के निधन पर शोक जताते हुए कहा, “श्री शिबू सोरेन जी एक जमीनी नेता थे, जिन्होंने अटूट समर्पण के साथ जनता की सेवा की। वे विशेष रूप से आदिवासी समुदायों, गरीबों और वंचितों के सशक्तिकरण के लिए समर्पित थे। उनके निधन से मुझे गहरा दुख हुआ है।” कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी वाड्रा और राजद नेता लालू प्रसाद यादव ने भी उनके निधन को झारखंड और आदिवासी राजनीति के लिए बड़ी क्षति बताया।

परिवार और विरासत

शिबू सोरेन अपनी पत्नी रूपी, दो बेटों हेमंत और बसंत, और बेटी अंजलि को छोड़ गए हैं। उनके बड़े बेटे दुर्गा सोरेन का 2009 में निधन हो गया था। हेमंत सोरेन वर्तमान में झारखंड के मुख्यमंत्री और JMM के अध्यक्ष हैं।