- 02/01/2024
रिम्स मेडिकल कॉलेज में छात्रों से अवैध वसूली! पैसे नहीं दिया तो किया डिबार, चिकित्सा शिक्षा विभाग ने मांगी रिपोर्ट


छत्तीसगढ़ में निजी मेडिकल कॉलेजों की मनमानी थमने का नाम नहीं ले रही है। एक बार फिर राजधानी के गोढ़ी में स्थित रिम्स मेडिकल कॉलेज में छात्रों से अवैध तरीके से पैसे वसूलने का मामला सामने आया है। मामले में चिकित्सा शिक्षा विभाग के आयुक्त ने कॉलेज प्रबंधन से जवाब तलब किया है।
शिकायत के मुताबिक कॉलेज प्रबंधन ने बड़ी संख्या में छात्रों को परीक्षा से वंचित कर दिया था और परीक्षा में सम्मिलित होने वाले योग्य छात्रों की सूची जारी कर दी। आरोप है कि वंंचित किए गए छात्रों से प्रबंधन द्वारा पैसों की डिमांड की गई। साल खराब होने से डरकर जिन छात्रों ने पैसे दे दिए, उन्हें परीक्षा में बैठने के लिए योग्य घोषित कर दिया। इस तरह कॉलेज प्रबंधन द्वारा टुकड़े-टुकड़े में लिस्ट जारी की जा रही है।
छात्रों का आरोप है कि जिन छात्रों की शॉर्ट अटेंडेंस थी और जो इंटरनल एग्जाम में फेल हो गए थे। पैसे देने के बाद उनका भी नाम नए लिस्ट में आ गया है।
फोन नहीं उठाया
छात्रों के आरोप पर कॉलेज प्रबंधन का पक्ष जानने के लिए हमने उनसे संपर्क करने की कोशिश की। लेकिन कॉलेज के डीन ने फोन नहीं उठाया।
रिपोर्ट मांगी गई है- आयुक्त
उधर इस मामले में चिकित्सा शिक्षा विभाग के आयुक्त जेपी मौर्य ने बताया कि रिम्स से रिपोर्ट मांगी गई है कि क्यों और किन परिस्थितियों में बार-बार संशोधन किया गया। पैसे मांगने की शिकायत सही है अथवा नहीं। जिसके बाद हम कार्रवाई करेंगे।
हॉस्टल, मेस और ट्रांसपोर्टिंग किया था अनिवार्य
आपको बता दें रिम्स मेडिकल कॉलेज की मनमानी का यह पहला मामला नहीं है। इसके पहले कॉलेज प्रबंधन ने नियमों के खिलाफ जाते हुए एमबीबीएस और एमएस के छात्रों के लिए हॉस्टल और मेस अनिवार्य कर दिया था। एमबीबीएस के छात्रों के लिए हॉस्टल और मेस के लिए 3 लाख, वहीं पीजी के छात्रों के लिए 4.5 लाख रुपये जमा करना अनिवार्य कर दिया था।
यही नहीं ट्रांसपोर्टिंग के लिए भी एमबीबीएस छात्रों को 55 हजार रुपये जमा करना अनिवार्य कर दिया था। जबकि फीस विनियामक समिति ने हॉस्टल और ट्रांसपोर्टिंग को वैकल्पिक सुविधा में शामिल किया है। इसके साथ ही इसकी फीस को नो प्रॉफिट और नो लॉस के आधार पर निर्धारित करने के लिए कहा था।