- 16/07/2022
सिंहदेव ने 4 पेज में दिया इस्तीफा, पेसा कानून सहित मंत्रियों के अधिकार को मुख्य सचिव को देने से थे नाराज, पढ़िए पूरा इस्तीफा
रायपुर। मंत्री टीएस सिंहदेव ने भूपेश बघेल के मंत्रीमंडल से पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग के मंत्री के रुप में अपना इस्तीफा दे दिया है। हालांकि सिंहदेव अभी स्वास्थ्य मंत्री बने रहेंगे। सीएम भूपेश बघेल को भेजे गए 4 पेज के अपने इस्तीफे में टीएस सिंहदेव ने अपनी पीड़ा व्यक्त की है, साथ ही उन वजहों का जिक्र भी किया है, जिसकी वजह से उन्होंने इतना बड़ा कदम उठाया है।
सिंहदेव ने अपने इस्तीफे की जिन बड़ी वजहों का जिक्र किया है उनमें से एक वजह यह भी है कि मंत्री होने के बावजूद उनके विभाग की योजनाओं के अंतर्गत कार्यों का अनुमोदन का देने के बाद भी अंतिम निर्णय का अधिकार नियम विरुद्ध तरीके से मुख्य सचिव को दे दिया गया था। सिंहदेव ने इसे लेकर कई बार आपत्ति दर्ज कराई लेकिन उसे दरकिनार कर दिया गया।
सिंहदेव ने कहा, “किसी भी विभाग के अधीन Discretionary योजनाओं के अंतर्गत कार्यों की स्वीकृति का अनुमोदन उस विभाग के भारसाधक मंत्री का निर्धारित अधिकार है। किन्तु मुख्यमंत्री समग्र ग्रामीण विकास योजना के अंतर्गत कार्यों की अंतिम स्वीकृति हेतु Rules of Business के विपरीत मुख्य सचिव की अध्यक्षता में सचिवों की एक रागिति गठित की गयी। कार्यों की स्वीकृति हेतु मंत्री के अनुमोदन उपरांत अंतिम निर्णय मुख्य सचिव की समिति द्वारा लिये जाने की प्रक्रिया बनायी गयी जो प्रोटोकाल के विपरीत और सर्वथा अनुचित है, जिस पर मेरे द्वारा समय–समय पर लिखित रूप रो आपत्ति दर्ज करायी गयी। किन्तु आजपर्यन्त इस व्यवस्था को सुधारा नहीं जा सका है फलस्वरूप 500 करोड़ से ज्यादा की राशि का उपयोग मंत्री/ विधायक/जनप्रतिनिधि के सुझावों के अनुसार विकास कार्यों में नहीं किया जा सका। वर्तमान में पंचायतों में अनके विकास कार्य प्रारंभ ही नहीं हो पाये।”
सिंहदेव ने पेसा कानून के प्रावधानों को लेकर भी अपनी नाराजगी जाहिर की है। पेसा कानून का मसौदा तैयार करने की जिम्मेदारी टीएस सिंहदेव को दी गई थी। सिंहदेव आदिवासी क्षेत्रों का सघन दौरान कर आदिवासी समाज के प्रतिनिधियों के साथ चर्चा कर इसका मसौदा तैयार किए थे। लेकिन कैबिनेट में उस मसौदे से कई प्रावधानों को उनकी जानकारी के बगैर ही हटा दिया गया था। सिंहदेव ने इस पर आपत्ति जताते हुए मुख्यमंत्री को पत्र भी लिखा था।
सिंहदेव ने कहा, “पेसा अधिनियम आदिवासी भाई–बहनों के अधिकारों के संरक्षण के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है। इसे प्रदेश में लागू करने के संबंध में जनघोषणा–पत्र में भी वादा किया था तथा काफी मेहनत से नियम बनाये गये थे ताकि उसे सफलतापूर्वक प्रदेश में लागू किया जा सके। दिनांक 13 जून, 2020 से प्रदेश के आदिवासी ब्लाकों में जाकर, वहां के स्थानीय लोगों, स्थानीय जनप्रतिनिधियों इत्यादि से निरंतर 02 वर्षों से संवाद स्थापित कर इसका प्रारूप तैयार किया गया। किन्तु विभाग द्वारा जो प्रारूप कैबिनेट कमेटी को भेजा गया था जिराके अनुसार चर्चा हुई उसमें जल, जंगल जगीन से संबंधित महत्वपूर्ण बिन्दुओं को बदल कर कैबिनेट की प्रेसिका में शायद पहली बार बदल दिया गया। भारसाधक मंत्री को विश्वास में नहीं लिया गया जो कि अस्वस्थ्य परम्परा को स्थापित करेगा। इस विषय पर पृथक से मैंने व्यक्तिगत पत्र भी आपको लिखा है।”
सिंहदेव ने अपने इस्तीफे में जनघोषणा पत्र का भी जिक्र किया है। सिंहदेव के नेतृत्व में ही जनघोषणा पत्र तैयार किया गया था। इसी जनघोषणा पत्र की वजह से कांग्रेस का 15 साल का सूखा खत्म हुआ था और पार्टी ने प्रदेश में भूपेश बघेल के नेतृत्व में सरकार बनाई। सिंहदेव ने जनघोषणा पत्र के वादे का जिक्र करते हुए कहा कि पंचायत प्रतिनिधियों के अधिकारों को पूर्ण रुप से लागू करने का वादा किया गया था लेकिन कई बार चर्चा होने के बावजूद इस पर कोई कदम नहीं उठाया गया।
सिंहदेव ने कहा, “जनघोषणा–पत्र में किये गये वादों में पंचायत प्रतिनिधियों के अधिकारों को पूर्ण रूप से लागू करना भी है जिराके लिए मैंने आपसे कई बार चर्चा तथा विभागीय तौर पर भी पहल की किन्तु मुझे यह निराश मन से कहना पड़ रहा है कि इस पर आजपर्यन्। कोई भी सहमति/राकारात्मक पहल नहीं हो पायी।”
इसके साथ ही सिंहदेव ने प्रधानमंत्री आवास योजना के लिए चर्चा के बावजूद राशि आबंटित नहीं होने की वजह से भी निराशा जताई है। उन्होंने कहा कि उन्हें दुख है कि छत्तीसगढ़ के आवास विहीन लोगों को इस योजना का लाभ नहीं मिल सका।
सिंहदेव ने कहा, “प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत् प्रदेश के आवास विहीन लोगों को आवास बनाकर दिया जाना था जिसके लिए मैंने कई बार आपसे चर्चा कर राशि आबंटन का अनुरोध किया था किन्तु इस योजना में राशि उपलब्ध नहीं की जा सकी फलस्वरूप प्रदेश के लगभग 8 लाख लोगों के लिए आवास नहीं बनाये जा सके। इसके अतिरिक्त 8 लाख घर बनाने में से करीब 10 हजार करोड़ प्रदेश की अर्थव्यवस्था में सहायक होते। हमारे जन घोषणा पत्र में छत्तीसगढ़ के 36 लक्ष्य अंतर्गत ग्रामीण आवास का अधिकार प्रमुख रूप से उल्लेखित है। विचारणीय है कि, प्रदेश में वर्तमान सरकार के कार्यकाल में बेघर लोगों के लिए एक भी आवास नहीं बनाया जा सका और योजना की प्रगति निरंक रही। मुझे दुःख है कि इस योजना का लाभ प्रदेश के आवास विहीन लोगों को नहीं मिल सका।”