- 21/04/2025
EOW ने IOB बैंक प्रबंधक और दो लिपिक को किया गिरफ्तार, 1.65 करोड़ का फर्जी ज्वेल लोन घोटाला केस में कार्रवाई


छत्तीसगढ़ के गरियाबंद जिले की राजिम शाखा में इंडियन ओवरसीज बैंक (IOB) में हुए फर्जी ज्वेल लोन घोटाले में आर्थिक अपराध शाखा (EOW) ने बड़ी कार्रवाई की है। EOW ने बैंक के प्रबंधक सुनील कुमार और दो लिपिकों, खेमन लाल कंवर और योगेश पटेल, को गिरफ्तार किया है। यह कार्रवाई 2022 में दर्ज अपराध क्रमांक 01/2023 के तहत की गई, जिसमें भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 (यथा संशोधित 2018) की धारा 13(1)(क) और भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 409 (आपराधिक विश्वासघात) के तहत मामला दर्ज है।
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क्या है मामला?
जांच में सामने आया कि 2022 में राजिम शाखा में बैंक अधिकारियों ने खाताधारकों के बंद खातों का दुरुपयोग कर फर्जी ज्वेल लोन स्वीकृत किए। इस घोटाले में बैंक के सर्विलांस और मॉनिटरिंग तंत्र को धोखा देकर प्रत्येक स्तर पर फर्जी सत्यापन और मंजूरी दी गई। गरीब किसानों के खातों में लोन की राशि डालकर यह पैसा पूर्व में गिरफ्तार सहायक प्रबंधक सुश्री अंकिता पाविग्रही के खाते में हस्तांतरित किया गया। इसके बाद, इस राशि को जोरोधा नामक शेयर ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म पर फ्यूचर्स और ऑप्शन ट्रेडिंग स्कीमों में निवेश किया गया। जांच के अनुसार, 1.65 करोड़ रुपये का निवेश किया गया, जो पूरी तरह नुकसान में बदल गया, जिससे बैंक को भारी आर्थिक क्षति हुई।
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EOW की कार्रवाई
EOW ने शिकायत के आधार पर जांच शुरू की और पाया कि यह घोटाला सुनियोजित तरीके से अंजाम दिया गया। 21 अप्रैल 2025 को EOW ने प्रबंधक सुनील कुमार को बिहार से और लिपिक खेमन लाल कंवर व योगेश पटेल को छत्तीसगढ़ से गिरफ्तार किया। तीनों को विधिवत गिरफ्तारी के बाद पुलिस रिमांड पर लिया गया है। EOW के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, “आरोपियों से पूछताछ जारी है, और हम अन्य संलिप्त लोगों व वित्तीय लेनदेन की गहराई से जांच कर रहे हैं।”
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जांच में खुलासा
- फर्जी लोन की प्रक्रिया: बंद खातों का उपयोग कर फर्जी ज्वेल लोन स्वीकृत किए गए, जिसमें सत्यापन प्रक्रिया को दरकिनार किया गया।
- पैसे का हस्तांतरण: लोन की राशि पहले किसानों के खातों में डाली गई, फिर सहायक प्रबंधक अंकिता पाविग्रही के खाते में स्थानांतरित की गई।
- ट्रेडिंग में नुकसान: जीरोधा प्लेटफॉर्म पर 1.65 करोड़ रुपये का निवेश फ्यूचर्स और ऑप्शन ट्रेडिंग में किया गया, जो पूरी तरह डूब गया।
- बैंक का नुकसान: इस घोटाले से इंडियन ओवरसीज बैंक को 1.65 करोड़ रुपये की आर्थिक हानि हुई।
आरोपियों के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 की धारा 13(1)(क) और IPC की धारा 409 के तहत मामला दर्ज है। गिरफ्तारी के बाद तीनों को गरियाबंद के विशेष कोर्ट में पेश किया गया, जहां से उन्हें न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया। EOW ने बैंक के अन्य कर्मचारियों और संभावित बाहरी साझेदारों की भूमिका की जांच शुरू की है। इसके अलावा, जोरोधा प्लेटफॉर्म के जरिए हुए लेनदेन की भी गहन पड़ताल की जा रही है।