• 21/04/2025

राहुल गांधी भारतीय नागरिक हैं या नहीं? इलाहाबाद हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार से 10 दिन में मांगा जवाब

राहुल गांधी भारतीय नागरिक हैं या नहीं? इलाहाबाद हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार से 10 दिन में मांगा जवाब

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कांग्रेस नेता और लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी की नागरिकता को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने सख्त रुख अपनाया है। कोर्ट ने केंद्र सरकार को निर्देश दिया है कि वह 10 दिन के भीतर राहुल गांधी की नागरिकता पर स्पष्ट स्थिति रिपोर्ट प्रस्तुत करे। यह आदेश एक जनहित याचिका (PIL) की सुनवाई के दौरान दिया गया, जिसमें दावा किया गया है कि राहुल गांधी के पास ब्रिटिश नागरिकता है, जो भारतीय संविधान के तहत उनकी भारतीय नागरिकता को अमान्य करता है।

याचिका में क्या हैं आरोप?

कर्नाटक के भाजपा कार्यकर्ता और अधिवक्ता एस. विग्नेश शिशिर द्वारा दायर याचिका में आरोप लगाया गया है कि राहुल गांधी के पास ब्रिटिश नागरिकता है। याचिकाकर्ता ने दावा किया कि 2003 में यूनाइटेड किंगडम में पंजीकृत कंपनी ‘बैकॉप्स लिमिटेड’ के दस्तावेजों में राहुल गांधी ने खुद को ब्रिटिश नागरिक घोषित किया था। याचिका में कहा गया है कि 2005 और 2006 के वार्षिक रिटर्न में उनकी जन्मतिथि 19 जून 1970 और राष्ट्रीयता ब्रिटिश बताई गई थी।

याचिकाकर्ता ने यह भी दावा किया कि 2022 में यूके सरकार से प्राप्त ईमेल में राहुल गांधी की ब्रिटिश नागरिकता की जानकारी का संकेत मिलता है, हालांकि डेटा संरक्षण कानूनों के कारण पूरी जानकारी नहीं दी गई। याचिका में भारतीय संविधान के अनुच्छेद 9 का हवाला दिया गया, जो दोहरी नागरिकता की अनुमति नहीं देता, और मांग की गई कि राहुल गांधी की भारतीय नागरिकता रद्द की जाए। इसके अलावा, याचिकाकर्ता ने केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) से इस मामले की जांच और रायबरेली से राहुल गांधी के सांसद निर्वाचन प्रमाणपत्र को रद्द करने की मांग की है।

केंद्र सरकार का रुख

सोमवार को सुनवाई के दौरान, जस्टिस एआर मसूदी और जस्टिस अजय कुमार श्रीवास्तव की खंडपीठ ने केंद्र सरकार से पूछा, “राहुल गांधी भारतीय नागरिक हैं या नहीं?” केंद्र सरकार की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल (ASG) चेतन शर्मा ने कहा कि याचिकाकर्ता की शिकायत गृह मंत्रालय को प्राप्त हुई है और यह विचाराधीन है। हालांकि, सरकार ने स्पष्ट जवाब देने के लिए आठ सप्ताह का समय मांगा, जिसे कोर्ट ने अस्वीकार कर दिया और 10 दिन में स्थिति स्पष्ट करने का आदेश दिया। अगली सुनवाई 1 मई, 2025 को होगी।

इससे पहले, 25 नवंबर 2024 को कोर्ट ने गृह मंत्रालय से याचिकाकर्ता की शिकायत पर कार्रवाई की स्थिति पूछी थी। 19 दिसंबर 2024 को सुनवाई में कोर्ट ने कहा था कि नागरिकता के मामलों में केंद्र सरकार ही सक्षम प्राधिकारी है। सरकार ने तब जवाब देने के लिए और समय मांगा, जिसे 24 मार्च 2025 तक बढ़ाया गया।

दिल्ली हाईकोर्ट में भी मामला

राहुल गांधी की नागरिकता को लेकर एक समानांतर याचिका भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने दिल्ली हाईकोर्ट में दायर की है। स्वामी ने 2019 में गृह मंत्रालय को पत्र लिखकर दावा किया था कि राहुल गांधी ने बैकॉप्स लिमिटेड के दस्तावेजों में ब्रिटिश नागरिकता की घोषणा की थी। दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा कि दो कोर्ट एक ही मुद्दे पर सुनवाई नहीं कर सकते, और उसने केंद्र से इलाहाबाद हाईकोर्ट में चल रहे मामले की स्थिति का ब्योरा मांगा। दिल्ली हाईकोर्ट में अगली सुनवाई 28 मई, 2025 को होगी।

पहले भी उठ चुका है मुद्दा

यह विवाद नया नहीं है। 2019 में सुब्रमण्यम स्वामी ने गृह मंत्रालय को पत्र लिखकर राहुल गांधी की नागरिकता पर सवाल उठाए थे, जिसके बाद मंत्रालय ने राहुल गांधी को नोटिस जारी कर दो सप्ताह में स्थिति स्पष्ट करने को कहा था। स्वामी ने दावा किया कि राहुल ने जवाब नहीं दिया, और सरकार ने भी कोई कार्रवाई नहीं की। मई 2019 में सुप्रीम कोर्ट ने राहुल गांधी को 2019 के आम चुनावों में भाग लेने से रोकने की याचिका खारिज कर दी थी।

इस मामले ने राजनीतिक हलकों में हलचल मचा दी है। भाजपा कार्यकर्ताओं ने सोशल मीडिया पर राहुल गांधी की नागरिकता पर सवाल उठाते हुए इसे राष्ट्रीय महत्व का मुद्दा बताया। वहीं, कांग्रेस ने इसे राजनीतिक साजिश करार देते हुए कहा कि यह विपक्ष को बदनाम करने की कोशिश है।

आगे क्या?

इलाहाबाद हाईकोर्ट का यह आदेश राहुल गांधी और कांग्रेस के लिए एक महत्वपूर्ण मोड़ हो सकता है। यदि गृह मंत्रालय की रिपोर्ट में कोई ठोस सबूत सामने आता है, तो यह राहुल गांधी के सांसद पद और राजनीतिक करियर को प्रभावित कर सकता है। दूसरी ओर, यदि आरोप निराधार साबित होते हैं, तो यह कांग्रेस को भाजपा पर जवाबी हमले का मौका दे सकता है। फिलहाल, सभी की निगाहें केंद्र सरकार की 10 दिन बाद आने वाली रिपोर्ट पर टिकी हैं।