• 02/08/2025

बड़ी खबर: ननों को NIA कोर्ट ने दी जमानत, छत्तीसगढ़ में धर्मांतरण-मानव तस्करी मामले में 9 दिन बाद राहत

बड़ी खबर: ननों को NIA कोर्ट ने दी जमानत, छत्तीसगढ़ में धर्मांतरण-मानव तस्करी मामले में 9 दिन बाद राहत

छत्तीसगढ़ के बिलासपुर स्थित राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) कोर्ट ने शनिवार को कथित मानव तस्करी और मतांतरण के मामले में गिरफ्तार दो कैथोलिक ननों—सिस्टर प्रीति मेरी और सिस्टर वंदना फ्रांसिस—तथा पास्टर सुखमन मंडावी को जमानत दे दी। एनआईए कोर्ट के प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश सिराजुद्दीन कुरैशी ने शुक्रवार को दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रखा था और आज जमानत मंजूर की। ननों की गिरफ्तारी के बाद यह मामला छत्तीसगढ़ से लेकर केरल और दिल्ली तक सियासी तूफान का केंद्र बना हुआ था।

क्या है पूरा मामला?

25 जुलाई को दुर्ग रेलवे स्टेशन पर बजरंग दल के कार्यकर्ता रवि निगम की शिकायत पर रेलवे पुलिस ने सिस्टर प्रीति मेरी, सिस्टर वंदना फ्रांसिस और सुखमन मंडावी को गिरफ्तार किया था। इन पर नारायणपुर जिले की तीन आदिवासी युवतियों को जबरन मतांतरण और मानव तस्करी के लिए आगरा ले जाने का आरोप था। दोनों नन केरल की अस्सीसी सिस्टर्स ऑफ मैरी इम्मैकुलेट से जुड़ी हैं और आगरा के एक अस्पताल में सेवा कर रही थीं। आरोप था कि वे तीनों युवतियों (18-22 वर्ष) को आगरा में कॉन्वेंट में रसोई सहायक की नौकरी के लिए ले जा रही थीं।

कोर्ट में दलीलें और जमानत

शुक्रवार को एनआईए कोर्ट में सुनवाई के दौरान बचाव पक्ष के वकील अमृतो दास ने दावा किया कि तीनों युवतियां बालिग हैं और उनके परिवार कई वर्षों से ईसाई धर्म का पालन कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि FIR केवल “आशंकाओं” पर आधारित है और पुलिस के पास कोई ठोस सबूत नहीं है। विशेष लोक अभियोजक दौलाराम चंद्रवंशी ने जमानत का विरोध करते हुए कहा कि जांच प्रारंभिक चरण में है। हालांकि, कोर्ट ने सबूतों के अभाव और मामले की परिस्थितियों को देखते हुए तीनों आरोपियों को जमानत दे दी।

युवती का बयान

मामले में नया मोड़ तब आया जब तीन युवतियों में से एक, 21 वर्षीय कमलेश्वरी प्रधान ने मीडिया के सामने दावा किया कि ननों ने उनके साथ कोई गलत व्यवहार नहीं किया। उसने कहा, “दुर्ग में हमसे मारपीट की गई और बजरंग दल के कार्यकर्ताओं ने जबरन बयान बदलवाया।” इस बयान ने मामले की विश्वसनीयता पर सवाल उठाए हैं।

सियासी बवाल और विरोध प्रदर्शन

ननों की गिरफ्तारी के बाद छत्तीसगढ़, केरल और दिल्ली में व्यापक विरोध प्रदर्शन हुए। लोकसभा और राज्यसभा में यह मुद्दा जोर-शोर से उठा। केरल से कांग्रेस, सीपीआई(एम) और केरल कांग्रेस के सांसदों ने इसे अल्पसंख्यकों के खिलाफ लक्षित कार्रवाई करार दिया। कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने इसे “गंभीर अन्याय” बताया, जबकि सीपीआई(एम) की बृंदा करात ने गिरफ्तारी को “असंवैधानिक” और “फर्जी” करार देते हुए FIR रद्द करने की मांग की।

केरल से पांच सांसदों—जॉन ब्रिटास, जोस के मणि, पी संतोष, चंडी ओमेन और सनी जोसेफ—का प्रतिनिधिमंडल शुक्रवार को ननों से मिलने दुर्ग जेल पहुंचा। सांसद हिबी ईडन ने कहा, “यह फर्जी केस है। सरकार ने ननों को साजिश के तहत जेल में डाला।” मेघालय के मुख्यमंत्री कॉनराड संगमा ने भी इस मामले को रद्द करने की अपील की।

केरल में डैमेज कंट्रोल की कोशिश

केरल भाजपा अध्यक्ष राजीव चंद्रशेखर ने कैथोलिक बिशप्स कॉन्फ्रेंस ऑफ इंडिया के अध्यक्ष आर्चबिशप एंड्रयूज थाझथ से मुलाकात कर डैमेज कंट्रोल की कोशिश की। आर्चबिशप ने कहा कि सिस्टर प्रीति मेरी तीन दशकों से कुष्ठ रोगियों की सेवा कर रही थीं और यह गिरफ्तारी चर्च के लिए दुखद है। उन्होंने बताया कि मामला प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह तक पहुंचाया गया है, जिन्होंने मदद का आश्वासन दिया है।

क्या था छत्तीसगढ़ सरकार का रुख?

छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने कहा, “कानून अपना काम कर रहा है। अदालत का फैसला मान्य होगा।” वहीं, उपमुख्यमंत्री विजय शर्मा ने मतांतरण को सामाजिक ताने-बाने के लिए खतरा बताया। दूसरी ओर, कांग्रेस और वाम दलों ने इसे सांप्रदायिक सौहार्द के खिलाफ कार्रवाई करार दिया।

जमानत के बाद ननों की रिहाई से मामला शांत होने की उम्मीद है, लेकिन राजनीतिक और सामाजिक स्तर पर यह विवाद अभी थमने का नाम नहीं ले रहा। केरल में एलडीएफ और यूडीएफ ने अलग-अलग विरोध प्रदर्शन किए, जबकि कांग्रेस नेता केसी वेणुगोपाल ने संसद में केंद्र से हस्तक्षेप की मांग की। यह मामला धार्मिक स्वतंत्रता और अल्पसंख्यक अधिकारों पर बहस को और तेज कर सकता है।