• 04/09/2025

बड़ी खबर: NHM के 16000 संविदा कर्मियों ने दिया सामूहिक इस्तीफा, संकट में स्वास्थ्य सेवाएं

बड़ी खबर: NHM के 16000 संविदा कर्मियों ने दिया सामूहिक इस्तीफा, संकट में स्वास्थ्य सेवाएं

छत्तीसगढ़ में राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (NHM) के करीब 16,000 संविदा कर्मचारियों ने अपनी 10 सूत्रीय मांगों को लेकर चल रही अनिश्चितकालीन हड़ताल के बीच सामूहिक इस्तीफे दे दिया है। 18 अगस्त 2025 से शुरू हुई इस हड़ताल के 18वें दिन, कर्मचारियों ने प्रदेश के सभी जिलों में मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारियों (CMHO) को अपने त्यागपत्र सौंप दिए। इस कदम ने पहले से ही चरमराई स्वास्थ्य सेवाओं को और गहरे संकट में डाल दिया है।

क्यों उठाया गया यह कदम?

NHM कर्मचारी संगठन ने 25 कर्मचारियों की बर्खास्तगी के विरोध में सामूहिक इस्तीफे का फैसला लिया, जिसमें संगठन के प्रदेश संरक्षक हेमंत सिन्हा और महासचिव कौशलेश तिवारी भी शामिल हैं। कर्मचारियों का आरोप है कि सरकार ने उनकी मांगों को नजरअंदाज किया और बातचीत के रास्ते बंद कर दिए। रायपुर में 1,400, दुर्ग में 850, बलौदाबाजार में 421, और कांकेर में 655 कर्मचारियों ने अपने इस्तीफे CMHO को सौंपे हैं। कर्मचारियों का कहना है कि 20 वर्षों से नियमितीकरण का वादा अधूरा है, और “मोदी की गारंटी” के तहत 100 दिनों में नियमितीकरण का वादा भी पूरा नहीं हुआ।

क्या हैं मांगें?

NHM कर्मचारियों की 10 सूत्रीय मांगों में शामिल हैं:

  •  संविदा कर्मचारियों का नियमितीकरण।
  •  समान काम, समान वेतन।
  •  पब्लिक हेल्थ कैडर की स्थापना।
  •  27% लंबित वेतन वृद्धि।
  •  नियमित भर्ती में 50% सीटों का आरक्षण।
  •  अनुकंपा नियुक्ति और मेडिकल अवकाश।
  •  पारदर्शी स्थानांतरण नीति।
  •  10 लाख रुपये का कैशलेस स्वास्थ्य बीमा।

अब तक क्या-क्या हुआ?

हड़ताल के दौरान कर्मचारियों ने अनोखे तरीकों से विरोध दर्ज किया, जैसे धमतरी में छत्तीसगढ़ी गाने “मोर पथरा के देवता” पर नृत्य, बिलासपुर में “क्या हुआ तेरा वादा” गाने पर प्रदर्शन, और कोरबा में खून से पत्र लिखकर मांगें उठाईं। सरकार ने 13 अगस्त को 10 में से 5 मांगों पर सहमति जताई थी, लेकिन कर्मचारियों ने लिखित आदेश की मांग की। इसके जवाब में, सरकार ने सख्ती दिखाते हुए 24 घंटे में ड्यूटी पर लौटने का अल्टीमेटम दिया और “नो-वर्क, नो-पे” नीति लागू की। 25 कर्मचारियों की बर्खास्तगी के बाद कर्मचारियों का आक्रोश और बढ़ गया।

स्वास्थ्य सेवाओं पर गहरा असर

हड़ताल के कारण प्रदेश भर में स्वास्थ्य सेवाएं ठप हैं। अस्पतालों में टीकाकरण, संस्थागत प्रसव, पैथोलॉजी जांच, और ऑपरेशन थिएटर बंद हैं। मरीज निजी अस्पतालों की शरण लेने को मजबूर हैं। प्रशासन ने नियमित कर्मचारियों की छुट्टियां रद्द कर दी हैं, लेकिन स्थिति सुधरने के आसार नहीं दिख रहे। बस्तर में हड़ताल के दौरान स्वास्थ्यकर्मी बीएस मरकाम की हार्ट अटैक से मौत ने आंदोलन को और संवेदनशील बना दिया है।

BJP के दो सांसद आए समर्थन में

भाजपा सांसद विजय बघेल और बृजमोहन अग्रवाल ने कर्मचारियों की मांगों को जायज बताया और मुख्यमंत्री से बात करने का आश्वासन दिया। वहीं, पूर्व डिप्टी सीएम टीएस सिंहदेव ने स्वीकार किया कि कांग्रेस सरकार ने नियमितीकरण का वादा पूरा नहीं किया। कांग्रेस इस मुद्दे पर बीजेपी को घेर रही है, जबकि कर्मचारी संगठन ने स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल के बयानों को तथ्यहीन करार दिया।

यह सामूहिक इस्तीफा छत्तीसगढ़ की स्वास्थ्य व्यवस्था और सरकार के लिए बड़ी चुनौती बन गया है। यदि मांगें जल्द पूरी नहीं हुईं, तो स्वास्थ्य सेवाओं का संकट और गहरा सकता है।