• 15/07/2025

भाटिया वाइंस पर 1.20 लाख का जुर्माना, शिवनाथ नदी प्रदूषण मामले में कार्रवाई

भाटिया वाइंस पर 1.20 लाख का जुर्माना, शिवनाथ नदी प्रदूषण मामले में कार्रवाई

छत्तीसगढ़ की शिवनाथ नदी और खजीरी नाले में प्रदूषण के मामले में बिलासपुर हाईकोर्ट की निगरानी में जांच और कार्रवाई का सिलसिला जारी है। सोमवार को छत्तीसगढ़ पर्यावरण संरक्षण मंडल ने हाईकोर्ट में अपनी स्टेटस रिपोर्ट पेश की, जिसमें बताया गया कि भाटिया वाइंस द्वारा नदी में प्रदूषित पानी छोड़े जाने के कारण गंभीर लापरवाही पाई गई। इसके लिए कंपनी पर 1 लाख 20 हजार रुपये का जुर्माना लगाया गया है। हाईकोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई 25 अगस्त 2025 को निर्धारित की है।

क्या है पूरा मामला?

पिछले साल मुंगेली जिले के ग्राम दगौरी में भाटिया वाइंस डिस्टिलरी से निकले प्रदूषित पानी के कारण शिवनाथ नदी में बड़ी संख्या में मछलियों की मौत हो गई थी। इस घटना को लेकर प्रकाशित मीडिया रिपोर्ट्स का संज्ञान लेते हुए छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने जनहित याचिका के तहत सुनवाई शुरू की थी। कोर्ट ने भाटिया वाइंस समेत अन्य संबंधित पक्षों को नोटिस जारी किया और पर्यावरण संरक्षण मंडल को पानी की गुणवत्ता की जांच के निर्देश दिए।

पर्यावरण मंडल की जांच और रिपोर्ट

पर्यावरण मंडल ने 11 अप्रैल से 8 जुलाई 2025 के बीच शिवनाथ नदी के पानी के पांच सैंपलों की जांच की। रिपोर्ट में बताया गया कि नदी में घुलित ऑक्सीजन का स्तर 5.0 से 5.8 मिलीग्राम प्रति लीटर के बीच रहा, जो मछली पालन और अन्य जलीय जीवों के प्रजनन के लिए मानकों के अनुरूप है। हालांकि, खजीरी नाला सूखा पाया गया, जहां पानी की उपलब्धता ही नहीं थी।

4 जुलाई को भाटिया वाइंस के निरीक्षण में मंडल ने गंभीर अव्यवस्थाएं पाईं। डिस्टिलरी से अपशिष्ट जल को नाले के माध्यम से बाहर बहाया जा रहा था और हाउसकीपिंग व्यवस्था बेहद खराब थी। इसके बाद प्रबंधन को नोटिस जारी किया गया। 8 जुलाई को दोबारा निरीक्षण में पाया गया कि कंपनी ने अपशिष्ट जल के उपचार के लिए ड्रायर और रिवर्स ऑस्मोसिस (RO) युक्त बहु-प्रभाव वाष्पीकरण प्रणाली स्थापित की है। गंदे पानी का उपयोग अब शीतलन, पौधरोपण और धूल नियंत्रण में किया जा रहा है। हाउसकीपिंग व्यवस्था भी संतोषजनक पाई गई। फिर भी, पहले हुए उल्लंघन के लिए मंडल ने 9 जुलाई 2025 को 1 लाख 20 हजार रुपये का जुर्माना लगाया।

हाईकोर्ट की सख्ती और निगरानी

हाईकोर्ट ने इस मामले में सख्त रुख अपनाया है। 23 सितंबर 2024 को कोर्ट ने प्रदूषित पानी के स्रोत की पहचान और इसे रोकने के निर्देश दिए थे। 23 अक्टूबर 2024 की सुनवाई में कोर्ट ने माना कि प्रदूषण का सटीक कारण स्पष्ट नहीं हो पाया, लेकिन सुधारात्मक कदमों के बाद नदी के पानी की गुणवत्ता में सुधार देखा गया। सोमवार को मुख्य न्यायाधीश रमेश कुमार सिन्हा और न्यायमूर्ति अमितेंद्र किशोर प्रसाद की खंडपीठ ने पर्यावरण मंडल की रिपोर्ट का अवलोकन किया और नदी की निरंतर निगरानी के लिए विशेष टीम गठित करने के निर्देश दिए।

हाईकोर्ट की सख्ती और पर्यावरण मंडल की कार्रवाई से यह स्पष्ट है कि औद्योगिक इकाइयों को पर्यावरण नियमों का पालन करना होगा। मामले की अगली सुनवाई 25 अगस्त 2025 को होगी, जिसमें नदी की पानी की गुणवत्ता और प्रदूषण नियंत्रण के लिए उठाए गए कदमों की समीक्षा की जाएगी।