• 21/11/2022

बड़ी खबर : भानुप्रतापपुर उपचुनाव में सर्व आदिवासी समाज ने इस पूर्व IPS को बनाया प्रत्याशी, 11 निर्दलीय उम्मीदवारों ने भी दिया समर्थन, बीजेपी-कांग्रेस की बढ़ी मुश्किलें

बड़ी खबर : भानुप्रतापपुर उपचुनाव में सर्व आदिवासी समाज ने इस पूर्व IPS को बनाया प्रत्याशी, 11 निर्दलीय उम्मीदवारों ने भी दिया समर्थन, बीजेपी-कांग्रेस की बढ़ी मुश्किलें

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भानुप्रतापपुर उपचुनाव में बीजेपी और कांग्रेस की राह आसान नजर नहीं आ रही है। आरक्षण को लेकर नाराज चल रहा सर्व आदिवासी समाज ने उपचुनाव में अपना प्रत्याशी उतार दिया है। सर्व आदिवासी समाज ने पूर्व IPS अधिकारी अकबर राम कोर्राम प्रत्याशी को अपना प्रत्याशी बनाया है। अकबर राम कोर्राम के समर्थन में अब निर्दलीय उम्मीदवार खुलकर मैदान में आ गए हैं। 11 निर्दलीय प्रत्याशियों ने सर्व आदिवासी समाज के प्रत्याशी अकबर राम कोर्राम को अपना समर्थन देने की घोषणा की है।

अकबर राम कोर्राम अपनी साफ सुथरी छवि के अधिकारी के रुप में गिने जाते थे। आदिवासी समाज के बीच में भी उनकी अच्छी खासी पकड़ है। वहीं रिटायर होने के बाद से वे लगातार समाजिक कार्यों में सक्रिय रहे हैं।

बीजेपी प्रत्याशी के ऊपर रेप का आरोप

मनोज मंडावी की हार्ट अटैक से मृत्यु के बाद हो रहे भानुप्रतापपुर उपचुनाव में कांग्रेस ने उनकी पत्नी सविता मंडावी को अपना उम्मीदवार बनाया है। वहीं बीजेपी ने पूर्व विधायक ब्रह्मानंत नेताम को मैदान में उतारा है। ब्रम्हानंद नेताम के खिलाफ कांग्रेस ने 15 साल की नाबालिग लड़की के साथ रेप और उसे देह व्यापार में उतारने का आरोप लगाया है। मामले में कांग्रेस ने जिला निर्वाचन अधिकारी से बीजेपी प्रत्याशी ब्रम्हानंद नेताम का नामांकन निरस्त करने की मांग की है। कांग्रेस ने अपनी शिकायत में आरोप लगाया है कि ब्रम्हानंद नेताम द्वारा नामांकन में झूठा शपथ पत्र देने और आपराधिक जानकारी छिपाने का आऱोप लगाया है।

इस वजह से है आदिवासी समाज नाराज

वहीं छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने 19 सितंबर को सुनाए गए अपने फैसले में 50 फीसदी से ज्यादा के आरक्षण को असंवैधानिक बताते हुए प्रदेश में दिए जा रहे 58 प्रतिशत आरक्षण को रद्द कर दिया था। जिसके बाद से प्रदेश में आरक्षण शून्य हो गया है। आरक्षण रद्द होने की वजह से आदिवासी समाज में काफी नाराजगी है। हाल ही में सर्व आदिवासी समाज ने प्रदेश भर में आर्थिक नाकेबंदी करते हुए रेल और नेशनल हाईवे में चक्का जाम किया था। इस दौरान आदिवासी नेताओं ने सरकार के ऊपर समाज को छलने जैसा कई गंभीर आरोप लगाया था।

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