- 16/04/2025
प्रेम में सहमति से बने शारीरिक संबंध रेप नहीं, नाबालिग से बलात्कार केस में हाईकोर्ट का बड़ा फैसला


छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने प्रेम प्रसंग में सहमति से बने शारीरिक संबंधों को लेकर एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है। कोर्ट ने कहा कि ऐसे मामलों में बलात्कार (दुष्कर्म) और पॉक्सो एक्ट की धाराएं लागू नहीं होतीं। इस आधार पर हाईकोर्ट ने नाबालिग के साथ कथित दुष्कर्म के मामले में छह साल से जेल में बंद 19 वर्षीय युवक को बरी कर दिया और तत्काल रिहाई का आदेश जारी किया।
मामला 2018 का है, जब तरुण सेन पर एक नाबालिग लड़की को बहला-फुसलाकर भगाने और उसके साथ शारीरिक संबंध बनाने का आरोप लगा था। लड़की के पिता की शिकायत पर 12 जुलाई 2018 को पुलिस ने केस दर्ज किया और 18 जुलाई को लड़की को दुर्ग से बरामद किया। विशेष न्यायाधीश (अत्याचार निवारण अधिनियम), रायपुर ने 27 सितंबर 2019 को तरुण को भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 376(2)(एन) और पॉक्सो एक्ट की धारा 6 के तहत 10-10 साल की सजा सुनाई थी, जो एक साथ चलनी थी।
हाईकोर्ट की सिंगल बेंच में अपील की सुनवाई के दौरान अभियोजन पक्ष यह साबित नहीं कर पाया कि घटना के समय पीड़िता की उम्र 18 वर्ष से कम थी। साथ ही, पीड़िता ने कोर्ट में स्वीकार किया कि उसके और तरुण के बीच प्रेम संबंध थे और शारीरिक संबंध आपसी सहमति से बने थे। हाईकोर्ट ने इस बयान और सबूतों की कमी को आधार बनाते हुए निचली अदालत के फैसले को रद्द कर दिया।
कोर्ट ने अपने फैसले में कहा, “प्रेम प्रसंग के आधार पर सहमति से बने शारीरिक संबंधों को बलात्कार की श्रेणी में नहीं रखा जा सकता। ऐसे मामलों में पॉक्सो एक्ट का उद्देश्य बच्चों को यौन शोषण से बचाना है, न कि सहमति से बने संबंधों को दंडित करना।” कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि अभियोजन पक्ष पीड़िता की उम्र और जबरन संबंध के आरोपों को साबित करने में विफल रहा।