• 12/08/2024

शराब घोटाले में ED का दावा: मंत्री की हैसियत रखता था अनवर ढेबर, टुटेजा और त्रिपाठी को लेकर भी खुलासा

शराब घोटाले में ED का दावा: मंत्री की हैसियत रखता था अनवर ढेबर, टुटेजा और त्रिपाठी को लेकर भी खुलासा

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प्रवर्तन निदेशालय (ED) छत्तीसगढ़ में हुए शराब घोटाले के मामले में आरोपी अनवर ढेबर और अरुणपति त्रिपाठी को रिमांड पर लेकर पूछताछ कर रही है। मेरठ जेल से दोनों आरोपियों को लाकर जांच एजेंसी ने 14 अगस्त तक पूछताछ के लिए रायपुर की स्पेशल कोर्ट से रिमांड पर लिया है। ईडी ने दावा किया है कि अनवर ढेबर तत्कालीन कांग्रेस की भूपेश बघेल सरकार में आबकारी मंत्री की हैसियत रखता था। उसने आबकारी विभाग में अपने पसंदीदा अधिकारियों को नियुक्त किया था।

ईडी ने प्रेस नोट जारी कर कहा कि जांच में पता चला कि अनवर ढेबर तत्कालीन IAS अफसर अनिल टुटेजा के साथ मिलकर शराब सिंडिकेट चला रहा था। दोनों ने मिलकर पूरे घोटाले की योजना बनाई थी।

ED की जांच से यह भी पता चला कि अरुणपति त्रिपाठी ने CSMCL सरकारी शऱाब की दुकानों (पार्ट B ) के माध्यम से बिना हिसाब की गई शराब की बिक्री की योजना में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उसने ही 15 सबसे ज्यादा शराब बिक्री से कमाई वाले जिलों के आबकारी अधिकारियों के साथ बैठक कर अवैध शराब बेचने के निर्देश दिए। एपी त्रिपाठी ने ही विधु गुप्ता के साथ डुप्लिकेट होलोग्राम की आपूर्ति की व्यवस्था की। जांच से पता चला है कि Part-B शराब की बिक्री की आय में से एक निश्चित राशि अरुणपति त्रिपाठी को जाती थी।

2019 से 2022 के बीच ऐसे हुआ भ्रष्टाचार

ईडी की जांच में पता चला कि छत्तीसगढ़ में साल 2019 से लेकर 2022 तक शराब घोटाला हुआ। इसमें कई तरीकों से भ्रष्टाचार किया गया।

PART-A कमीशन: डिस्टिलर्स से प्रत्येक पेटी शराब के लिए रिश्वत ली गई।

PART-B कच्ची शराब बिक्री: बिना हिसाब की कच्ची देशी शराब की बिक्री की गई। इस मामले में एक भी रुपया राज्य को नहीं मिला और सारी बिक्री की आय सिंडिकेट के पास चली गई। अवैध शराब केवल राज्य-नियंत्रित दुकानों से बेची गई।

PART-C कमीशन: डिस्टिलर्स से रिश्वत लेकर उन्हें एक कार्टेल बनाने और निश्चित बाजार हिस्सेदारी सुनिश्चित करने की अनुमति दी गई। FL-10A लाइसेंस धारक जो विदेशी शराब उपलब्ध कराते थे, उनसे कमीशन लिया जाता था।

ED की जांच से पता चला कि छत्तीसगढ़ शराब घोटाले ने राज्य के खजाने को भारी नुकसान पहुंचाया और शराब सिंडिकेट के लाभार्थियों की जेबों को 2100 करोड़ रुपये से अधिक की अवैध आय से भर दिया। इस मामले में ED ने पूर्व IAS अफसर अनिल टुटेजा, अरविंद सिंह और त्रिलोक सिंह ढिल्लों  को भी भी गिरफ्तार किया था। ईडी ने शराब घोटाले के जांच में आरोपियों की 205.49 करोड़ की  18 चल संपत्तियां और 161 अचल संपत्तियां अटैच की है।