- 04/07/2024
शराब घोटाला: ED ने रायपुर से दो शराब कारोबारियों को किया गिरफ्तार, जानें छत्तीसगढ़ के सबसे बड़े घोटाले को कैसे दिया गया अंजाम
प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने छत्तीसगढ़ में हुए शराब घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में राजधानी रायपुर से दो शराब कारोबारियों को गिरफ्तार किया है। ईडी द्वारा जारी बयान में बताया गया है कि जांच एजेंसी ने त्रिलोक सिंह ढिल्लन और अरविंद सिंह को 1 जुलाई को रायपुर की सेंट्रल जेल से गिरफ्तार किया। दोनों को स्पेशल कोर्ट (PMLA) में पेश किया गया। जहां कोर्ट ने 6 जुलाई तक दोनों आरोपियों को ईडी की हिरासत में भेज दिया है।
ईडी ने छत्तीसगढ़ की एसीबी-ईओडब्ल्यू द्वारा शराब घोटाले में दर्ज की गई एफआईआर के आधार पर दोनों आरोपियों को गिरफ्तार किया है। दोनों आरोपियों को एसीबी-ईओडब्ल्यू ने कुछ समय पहले ही शराब घोटाले के मामले में गिरफ्तार किया था। जिसके बाद से दोनों रायपुर की सेंट्रल जेल में बंद हैं।
बैंक खातों और फर्म का इस्तेमाल अवैध आय छिपाने के लिए
ईडी का कहना है कि जांच में पता चला कि त्रिलोक सिंह ढिल्लन मनी लॉन्ड्रिंग के जरिए अर्जित आय का प्रमुख लाभार्थी था। उसने स्वेच्छा से और जानबूझकर अपने बैंक खातों और फर्मों को अपराध की आय की बड़ी मात्रा को छिपाने के लिए इस्तेमाल करने की अनुमति दी थी। बिना किसी उचित स्पष्टीकरण के उसने FL-10A लाइसेंस धारकों से बैंकिंग चैनलों के माध्यम से धन लिया था। जिसे उसने गलत तरीके से असुरक्षित ऋण के रूप में दिखाया गया था और FD के रूप में रखा था।
शराब आपूर्तिकर्ताओं से रिश्वत ली
ईडी के मुताबिक त्रिलोक सिंह ढिल्लन ने व्यापारिक लेन-देन के बहाने प्रमुख देशी शराब आपूर्तिकर्ताओं से भी रिश्वत ली और पैसे अपने पास रखे। जांच में पाया गया है कि दिखाए गए व्यापारिक लेन-देन पूरी तरह से फर्जी थे।
अरविंद सिंह नकली होलोग्राम के आपूर्ति का जिम्मेदार
ED की जांच से पता चला है कि अरविंद सिंह ने छत्तीसगढ़ शराब सिंडिकेट में सक्रिय भूमिका निभाई थी और वह अनवर ढेबर का दाहिना हाथ था। ईडी का कहना है कि अरविंद सिंह नकली होलोग्राम की आपूर्ति, नकद संग्रह आदि के लिए जिम्मेदार थे। वह अपने सहयोगियों के माध्यम से डिस्टिलर्स को बिना बिल के शराब की बोतलें आपूर्ति करने के लिए भी जिम्मेदार थे। अपनी भूमिका के लिए, उसने भी अपराध की आय का महत्वपूर्ण हिस्सा अर्जित किया था। उसे भाग-B (बिना हिसाब-किताब की) शराब की बिक्री से भी हिस्सा मिला था।
2100 करोड़ से ज्यादा की अवैध आय अर्जित
ED के मुताबिक जांच से पता चला है कि छत्तीसगढ़ शराब घोटाले के कारण राज्य खजाने को भारी नुकसान हुआ और शराब सिंडिकेट के लाभार्थियों की जेबें 2100 करोड़ रुपये से अधिक की अवैध अपराध की आय से भर गईं। पहले, ED ने इस मामले में अनिल तुटेजा, पूर्व IAS अधिकारी को भी गिरफ्तार किया था। ED ने पहले ही शराब घोटाले की चल रही जांच में 205.49 करोड़ रुपये की लगभग 18 चल संपत्तियों और 161 अचल संपत्तियों को जब्त कर लिया है, जिसमें अरविंद सिंह की 12.99 करोड़ रुपये की 33 संपत्तियां और त्रिलोक सिंह ढिल्लों की 28.13 करोड़ रुपये की 9 संपत्तियां शामिल हैं।
ED 2019 से 2022 के बीच चले शराब घोटाले की जांच कर रही है, जिसमें विभिन्न तरीकों से भ्रष्टाचार हुआ था:
- भाग-A कमीशन: CSMCL (शराब की खरीद और बिक्री के लिए राज्य निकाय) द्वारा शराब के प्रत्येक केस की खरीद पर डिस्टिलर्स से रिश्वत ली जाती थी।
- भाग-B कच्ची शराब बिक्री: बिना हिसाब-किताब की कच्ची ऑफ-द-बुक्स देशी शराब की बिक्री। इस मामले में, एक भी रुपया राज्य खजाने में नहीं पहुंचा और सभी बिक्री आय को सिंडिकेट द्वारा हड़प लिया गया। अवैध शराब की बिक्री केवल राज्य द्वारा संचालित दुकानों से ही की गई थी।
- भाग-C कमीशन: डिस्टिलर्स से रिश्वत ली जाती थी ताकि उन्हें एक कार्टेल बनाने और निश्चित बाजार हिस्सेदारी रखने की अनुमति मिल सके।
- FL-10A लाइसेंस धारकों से कमीशन लिया जाता था जिन्हें विदेशी शराब खंड में कमाई करने के लिए पेश किया गया था।