• 03/10/2025

कफ सिरप का कहर! 3 और बच्चों की किडनी फेलियर से मौत, एमपी में अब तक 9 और राजस्थान में 2 बच्चों की गई जान

कफ सिरप का कहर! 3 और बच्चों की किडनी फेलियर से मौत, एमपी में अब तक 9 और राजस्थान में 2 बच्चों की गई जान

मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा जिले में किडनी फेलियर से बच्चों की मौतों का आंकड़ा अब 9 तक पहुंच गया है, जबकि पड़ोसी राजस्थान में भी दो मासूमों की जान जा चुकी है। दोनों राज्यों में 4 सितंबर के बाद हुई इन मौतों के पीछे संदेह एक खास किस्म के कफ सिरप पर है, जो सर्दी-खांसी के इलाज में दिया गया था। हालांकि, जांच रिपोर्ट आने तक मौतों की सटीक वजह की पुष्टि नहीं हुई है, लेकिन प्रारंभिक जांच में किडनी बायोप्सी में डायइथाइलीन ग्लाइकॉल (DEG) नामक जहरीले पदार्थ की मौजूदगी पाई गई है। केंद्र सरकार की ओर से नेशनल सेंटर फॉर डिसीज कंट्रोल (NCDC) और ICMR की टीमें सैंपल जांच में जुटी हैं।

छिंदवाड़ा में 28 दिनों में 9 मौतें: सतर्कता बढ़ी

मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा जिले के परासिया क्षेत्र में पिछले एक महीने में 9 बच्चों (उम्र 1 से 7 वर्ष) की मौत किडनी फेलियर से हो चुकी है। पहली मौत 7 सितंबर को दर्ज की गई थी, और कल (2 अक्टूबर) नागपुर के अस्पताल में सातवें से नौवें बच्चे की जान चली गई। सभी बच्चों में शुरुआती लक्षण सर्दी, खांसी, बुखार और पेशाब में दिक्कत के थे, जो कफ सिरप लेने के बाद बिगड़ गए। जिलाधिकारी शैलेंद्र सिंह ने बताया कि कोल्ड्रिफ और नेक्सट्रो-डीएस नामक दो कफ सिरप्स पर तत्काल प्रतिबंध लगा दिया गया है। इन सिरप्स के सैंपल जांच के लिए भेजे गए हैं, और बायोप्सी रिपोर्ट में DEG की मौजूदगी मिलने से संदेह गहरा गया है।

जिला एसडीएम शुभम यादव ने बताया, “एहतियात के तौर पर हमने 1420 बच्चों की सूची तैयार की है, जो हाल में वायरल लक्षणों से प्रभावित रहे। प्रोटोकॉल के अनुसार, दो दिन से अधिक बीमार बच्चे को सीधे सिविल अस्पताल लाया जाता है। 6 घंटे की मॉनिटरिंग के बाद गंभीर केस जिला अस्पताल भेजे जाते हैं, जबकि सामान्य पर घर लौटाकर आशा वर्कर से फॉलो-अप कराया जाता है।” उन्होंने कहा कि केंद्र और राज्य की टीमें पानी, मच्छर और सैंपल जांच कर रही हैं। नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी का एक सैंपल नॉर्मल आया, जबकि पानी के सैंपल CSIR-NEERI में जांचाधीन हैं। मृतकों के परिवारों से बातचीत में पाया गया कि 6 में से 5 ने कोल्ड्रिफ सिरप लिया था, जबकि एक ने दूसरा ब्रांड।

बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. पवन नांदुरकर ने कहा, “मौतों और किडनी दिक्कतों में कोल्ड्रिफ सिरप संदिग्ध है, लेकिन कई वजहें संभव हैं—इंफेक्शन, हैवी मेटल, डिहाइड्रेशन, जहर या दवा। सभी सैंपल जांचे जा रहे हैं। रिपोर्ट आने पर ही स्पष्ट होगा।” जिला कलेक्टर ने चेतावनी दी कि सर्दी-खांसी वाले बच्चों को तुरंत सरकारी अस्पताल ले जाएं, और डॉक्टरों को केवल लक्षण-विशिष्ट दवाएं (जैसे पैरासिटामॉल) देने का निर्देश दिया है।

राजस्थान में दो मौतें, डॉक्टर भी बीमार: 22 बैच बैन

राजस्थान में भी कफ सिरप से हड़कंप मच गया है। सीकर जिले में 29 सितंबर को 5 वर्षीय नितीश की मौत हो गई, जबकि भरतपुर के बयाना में 22 सितंबर को 2 वर्षीय सम्राट जाटव की जान गई। दोनों को सरकारी स्वास्थ्य केंद्रों पर डेक्स्ट्रोमेथॉर्फन हाइड्रोब्रोमाइड सिरप दिया गया था, जो मुख्यमंत्री निःशुल्क दवा योजना के तहत केयसंस फार्मा द्वारा सप्लाई किया गया। इसके अलावा, बांसवाड़ा, जयपुर, झुंझुनू और अन्य जिलों में 8-10 बच्चे बीमार पड़े, जिनमें उल्टी, बेहोशी और किडनी समस्या के लक्षण दिखे।

सबसे चौंकाने वाली घटना भरतपुर के बयाना स्वास्थ्य केंद्र की है, जहां प्रभारी डॉ. ताराचंद योगी ने चिंतित अभिभावकों को आश्वस्त करने के लिए 24 सितंबर को सिरप खुद पिया और दो एंबुलेंस स्टाफ को भी दिया। 8 घंटे बाद डॉ. योगी अपनी कार में बेहोश मिले। राजस्थान मेडिकल सर्विसेज कॉर्पोरेशन (RMSCL) ने 22 बैचों पर तत्काल प्रतिबंध लगाया और 1.33 लाख बोतलों का रिकॉल ऑर्डर किया। खुलासा हुआ कि केयसंस फार्मा के सैंपल पिछले 2 वर्षों में 40 बार फेल हो चुके थे, और कंपनी कई बार ब्लैकलिस्टेड भी रही, फिर भी सप्लाई जारी रही।

राजस्थान ड्रग कंट्रोलर अजय फाटक ने कहा, “सभी बैचों की जांच हो रही है। डॉक्टरों को सिरप लिखना बंद करने और माता-पिता को सतर्क रहने का निर्देश दिया गया है।” विशेषज्ञों ने चेतावनी दी कि बच्चों को कफ सिरप की जरूरत नहीं; घरेलू उपाय पर्याप्त हैं।

केंद्र की जांच और सवाल

केंद्र ने NCDC और ICMR की संयुक्त टीम भेजी है, जो दोनों राज्यों में सैंपल कलेक्ट कर रही है। यह मामला 2022 के गाम्बिया कफ सिरप कांड की याद दिला रहा है, जहां भारतीय दवाओं से 70 बच्चों की मौत हुई थी। विपक्ष ने बीजेपी सरकारों पर लापरवाही का आरोप लगाया है, जबकि डिप्टी सीएम राजेंद्र शुक्ला ने मध्य प्रदेश में कहा, “मौतें कफ सिरप से नहीं हुईं, यह निराधार है।” सोशल मीडिया पर अभिभावक और कार्यकर्ता सरकार की सुस्ती पर सवाल उठा रहे हैं।

स्वास्थ्य मंत्रालय ने देशभर के डॉक्टरों को अलर्ट जारी किया है। विशेषज्ञों का कहना है कि OTC दवाओं पर नियंत्रण मजबूत करने की जरूरत है। फिलहाल, माता-पिता सतर्क रहें: सर्दी-खांसी में बिना सलाह दवा न दें, और लक्षण बिगड़ने पर तुरंत अस्पताल जाएं। जांच रिपोर्ट जल्द आने की उम्मीद है, जो इस सिलसिले को रोकने में मददगार साबित होगी।