• 24/03/2025

8वां वेतन आयोग पर बड़ा Update: इन कर्मचारियों को नहीं मिलेगा लाभ, कहीं आप भी तो इसमें नहीं, जानें पूरा मामला

8वां वेतन आयोग पर बड़ा Update: इन कर्मचारियों को नहीं मिलेगा लाभ, कहीं आप भी तो इसमें नहीं, जानें पूरा मामला

केंद्र सरकार ने हाल ही में 8वें वेतन आयोग के गठन को मंजूरी दी है, जिसकी सिफारिशें 1 जनवरी 2026 से लागू होने की संभावना है। यह आयोग केंद्रीय सरकारी कर्मचारियों और पेंशनभोगियों के वेतन, भत्तों और पेंशन में संशोधन करेगा, जिससे करीब 50 लाख कर्मचारी और 65 लाख पेंशनभोगी लाभान्वित होंगे। हालांकि, हर बार की तरह इस बार भी कुछ कर्मचारी इस दायरे से बाहर रहेंगे। आइए जानते हैं कि कौन से कर्मचारी 8वें वेतन आयोग के लाभ से वंचित रह सकते हैं और इसका कारण क्या है।

कौन से कर्मचारी रहेंगे बाहर?

वेतन आयोग का दायरा हमेशा से सीमित रहा है और यह मुख्य रूप से केंद्र सरकार के नियमित कर्मचारियों और पेंशनभोगियों पर लागू होता है। निम्नलिखित श्रेणियों के कर्मचारियों को 8वें वेतन आयोग का लाभ नहीं मिलेगा:

पब्लिक सेक्टर अंडरटेकिंग (PSU) के कर्मचारी: सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों में काम करने वाले कर्मचारी वेतन आयोग के दायरे से बाहर रहते हैं। इनके वेतन और भत्ते PSU के अपने नियमों और नीतियों के तहत तय होते हैं, जो सरकार की लाभ-हानि और आर्थिक स्थिति पर निर्भर करते हैं।
स्वायत्त संस्थानों (ऑटोनॉमस बॉडी) के कर्मचारी: स्वायत्त निकायों जैसे विश्वविद्यालयों, अनुसंधान संस्थानों और अन्य स्वतंत्र संगठनों में कार्यरत कर्मचारी भी इस आयोग के लाभ से वंचित रहेंगे। इनके लिए वेतन संशोधन संगठन-विशेष नीतियों पर आधारित होता है।

ग्रामीण डाक सेवक (GDS): डाक विभाग में कार्यरत ग्रामीण डाक सेवक, जो नियमित कर्मचारी नहीं माने जाते, भी वेतन आयोग के दायरे से बाहर हैं। इनके लिए अलग से भत्ते और वेतन संशोधन की व्यवस्था होती है।

हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के जज: न्यायपालिका के उच्च पदों पर आसीन जजों के वेतन और भत्ते अलग कानूनों और नियमों के तहत तय होते हैं। इन पर वेतन आयोग का कोई प्रभाव नहीं पड़ता।

अनुबंधित और अस्थायी कर्मचारी: केंद्र सरकार के अधीन काम करने वाले ठेका कर्मचारी, दैनिक वेतनभोगी या अस्थायी कर्मचारी भी इस दायरे से बाहर रहते हैं। इनका वेतन संशोधन विभागीय नीतियों पर निर्भर करता है।

क्यों नहीं मिलता इनको लाभ?

वेतन आयोग का गठन केंद्र सरकार के नियमित कर्मचारियों के आर्थिक कल्याण और महंगाई के प्रभाव को कम करने के लिए किया जाता है। लेकिन PSU, स्वायत्त संस्थानों और अन्य विशेष श्रेणियों के कर्मचारियों के वेतन ढांचे को उनके संगठन की स्वतंत्रता और वित्तीय स्थिति के आधार पर तय किया जाता है। उदाहरण के लिए, PSU कर्मचारियों का वेतन उनकी कंपनी के मुनाफे और प्रदर्शन से जुड़ा होता है, जबकि ग्रामीण डाक सेवकों को नियमित कर्मचारी का दर्जा नहीं मिलता। इसी तरह, न्यायपालिका की स्वतंत्रता बनाए रखने के लिए जजों के वेतन को अलग रखा जाता है।
8वें वेतन आयोग का संभावित प्रभाव

8वें वेतन आयोग के तहत नियमित केंद्रीय कर्मचारियों की न्यूनतम बेसिक सैलरी में 20-50% तक की बढ़ोतरी की उम्मीद है। फिटमेंट फैक्टर 2.57 से बढ़कर 2.86 तक हो सकता है, जिससे न्यूनतम वेतन 18,000 रुपये से बढ़कर 51,480 रुपये तक पहुंच सकता है। पेंशनभोगियों की न्यूनतम पेंशन भी 9,000 रुपये से बढ़कर 25,740 रुपये तक हो सकती है। लेकिन जो कर्मचारी इस दायरे से बाहर हैं, उन्हें इन लाभों के लिए अपनी संस्था की नीतियों पर निर्भर रहना होगा।

8वां वेतन आयोग लाखों केंद्रीय कर्मचारियों और पेंशनभोगियों के लिए खुशखबरी लेकर आया है, लेकिन PSU, स्वायत्त संस्थानों, ग्रामीण डाक सेवकों और कुछ विशेष श्रेणियों के कर्मचारियों को इससे कोई फायदा नहीं मिलेगा। इन कर्मचारियों के लिए वेतन वृद्धि की उम्मीद उनके संगठन की नीतियों और सरकार के अलग फैसलों पर टिकी रहेगी। ऐसे में यह सवाल उठता है कि क्या भविष्य में इन श्रेणियों को भी वेतन आयोग के दायरे में लाने पर विचार किया जाएगा? फिलहाल, यह अनिश्चित है।