- 23/03/2025
कैशकांड Video: जस्टिस वर्मा के घर 4-5 बोरे में मिले 500 के नोटों के अधजले बंडल, SC ने सार्वजनिक किया Video और सभी जांच रिपोर्ट, पढ़ें पूरी रिपोर्ट और CJI का आदेश

दिल्ली हाईकोर्ट के जज जस्टिस यशवंत वर्मा के घर से मिले कैश की तस्वीरें और वीडियो सामने आ गए हैं। दिल्ली हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस डीके उपाध्याय द्वारा सौंपी गई रिपोर्ट को सुप्रीम कोर्ट ने सार्वजनिक कर दी है। इसके साथ ही जस्टिस वर्मा द्वारा दिये गए स्पष्टीकरण को भी सार्वजिक कर दिया गया है। जस्टिस वर्मा के घर इतना कैश कहां से आया, इसकी जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट ने कमेटी गठित कर दी है।
सुप्रीम कोर्ट ने 22 मार्च को अपनी वेबसाइट पर तस्वीरें और वीडियो के साथ सभी दस्तावेजों को जारी कर दिया है। तस्वीरों और वीडियो में 500 रुपये के नोटों के बंडल और अधजले नोट दिखाई दे रहे हैं।
जारी रिपोर्ट में कहा गया है, “जिस कमरे में आग लगी थी वहां आग के काबू में आने के बाद, 4-5 अधजली बोरियां मिली हैं। उनके अंदर भारतीय मुद्रा भरे होने के अवशेष मिले हैं।”
कैश कांड पर सुप्रीम कोर्ट का बयान
सीजेआई ने गठित की तीन सदस्यीय जांच समिति
सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट पर जारी प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया है, “सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस ने दिल्ली हाईकोर्ट के वर्तमान जज जस्टिस यशवंत वर्मा के विरुद्ध आरोपों की जांच करने के लिए तीन सदस्यीय समिति गठित की है, जिसमें पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस शील नागू, हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस जी.एस. संधावालिया और कर्नाटक हाईकोर्ट की न्यायाधीश जस्टिस अनु शिवरामन शामिल हैं।”
CJI ने दिल्ली हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस डीके उपाध्याय से कहा कि फिलहाल जस्टिस यशवंत वर्मा को कोई न्यायिक कार्य न सौंपा जाए।
CJI ने पूछे 3 सवाल
सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस संजीव खन्ना ने 21 मार्च को दिल्ली हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस को पत्र लिखा और कहा कि वह जस्टिस यशवंत वर्मा से निम्नलिखित जानकारी उपलब्ध कराने को कहें: (A) वह अपने परिसर में स्थित कमरे में पैसे/नकदी की मौजूदगी का हिसाब कैसे देते हैं? (B) उक्त कमरे में मिले पैसे/नकदी के स्रोत की व्याख्या करें। (C) वह व्यक्ति कौन है जिसने 15 मार्च, 2025 की सुबह कमरे से जले हुए पैसे/नकदी को हटाया था?
CJI के आदेश
- सीजेआई ने जस्टिव वर्मा के आवास पर पिछले 6 महीनों के दौरान तैनात हाईकोर्ट रजिस्ट्री के ऑफिशियल स्टाफ, पर्सनल सिक्योरिटी ऑफिसर और सुरक्षा गार्डों का विवरण मांगा है।
- सीजेआई ने दिल्ली हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस उपाध्याय को कहा है कि जस्टिस यशवंत वर्मा के आधिकारिक या अन्य मोबाइल फोन नंबरों के पिछले छह महीनों के कॉल रिकॉर्ड विवरण उपलब्ध कराने के लिए मोबाइल सेवा प्रदाता कंपनियों को अनुरोध पत्र भेजें।
- जस्टिस वर्मा से अपील की जाती है कि वे अपने मोबाइल फोन नष्ट नहीं करेंगे, या किसी भी तरह के कन्वर्सेशन, मैसेज और डाटा को अपने फोन से डिलीट नहीं करेंगे।
दिल्ली हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस की रिपोर्ट में क्या?
दिल्ली हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस ने कहा, “मैंने जस्टिस वर्मा से संपर्क किया, जो 17.3.2025 को सुबह करीब 8.30 बजे दिल्ली हाईकोर्ट गेस्ट हाउस में मुझसे मिले, जहां मैं फिलहाल रह रहा हूं। जस्टिस वर्मा ने जवाब देते हुए कहा कि जिस कमरे में आग लगी थी, उसमें केवल कुछ फर्नीचर और गद्दे आदि जैसे अनुपयोगी घरेलू सामान रखे हुए थे। उन्होंने यह भी बताया कि कमरे में नौकरों, माली और कभी-कभी सीपीडब्ल्यूडी के कर्मचारी भी आ-जा सकते थे। उन्होंने मुझे यह भी बताया कि घटना के समय वे भोपाल में थे और उन्हें यह जानकारी उनकी बेटी से मिली। जस्टिस वर्मा ने मुझे आगे बताया कि इस समय कमरे में काला जला हुआ पदार्थ (कालिख) पड़ा हुआ है। इसके बाद मैंने उन्हें अपने व्हाट्सएप पर तस्वीरें और वीडियो दिखाए, जो पुलिस आयुक्त मुझे पहले ही भेज चुके थे। इसके बाद उन्होंने अपने खिलाफ किसी साजिश की आशंका जताई।”
गहन जांच होनी चाहिए
दिल्ली हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस ने आगे कहा, “घटना की रिपोर्ट, उपलब्ध सामग्री और जस्टिस यशवंत वर्मा के जवाब की जांच करने पर मुझे यह पता चला कि पुलिस आयुक्त ने 16.3.2025 की अपनी रिपोर्ट में बताया है कि जस्टिस यशवंत वर्मा के आवास पर तैनात गार्ड के अनुसार, 15.3.2025 की सुबह जिस कमरे में आग लगी थी, वहां से मलबा और अन्य आंशिक रूप से जली हुई वस्तुएं हटा दी गई थीं। मेरे द्वारा की गई जांच में प्रथम दृष्टया यह पता नहीं चलता है कि बंगले में रहने वाले लोगों, नौकरों, माली और सीपीडब्ल्यूडी कर्मियों (यदि कोई हो) के अलावा किसी अन्य व्यक्ति ने कमरे में प्रवेश किया था या नहीं। तदनुसार, मेरी प्रथम दृष्टया राय है कि पूरे मामले की गहन जांच की जानी चाहिए।
पुलिस आयुक्त ने चीफ जस्टिस को क्या बताया?
पुलिस आयुक्त ने चीफ जस्टिस को बताया, “पीसीआर कॉल जस्टिस वर्मा के निजी सचिव ने की थी। जस्टिस यशवंत वर्मा के निजी सचिव को आवास पर तैनात एक नौकर ने आग लगने की सूचना दी। यह भी बताया गया है कि अग्निशमन सेवा को अलग से सूचना नहीं दी गई। हालांकि एक बार पीसीआर से संपर्क करने पर आग से संबंधित सूचना स्वतः ही दिल्ली अग्निशमन सेवा को भेज दी गई।”
उन्होंने आगे कहा, “स्टोर रूम गार्ड रूम के बगल में है, जहां केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (बटालियन 70एफ) तैनात है और स्टोर रूम को बंद रखा जाता था ।आवास पर तैनात सुरक्षा गार्ड के अनुसार, 15.3.2025 की सुबह कुछ मलबा और अधजले सामान को हटा दिया गया था। तदनुसार, मेरी प्रथम दृष्टया राय है कि पूरे मामले की गहन जांच की आवश्यकता है।
20 मार्च की शाम को दिल्ली हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस को एक पत्र भेजा गया जिसमें जस्टिस यशवंत वर्मा को इलाहाबाद हाईकोर्ट में वापस भेजने के प्रस्ताव की जानकारी दी गई.
दिल्ली हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस द्वारा की गई जांच का विवरण
दिल्ली हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस द्वारा जांच का विवरण दिया गया है, जिसमें कहा गया कि, “जस्टिस यशवंत वर्मा के मोबाइल फोन नंबर के पिछले छह महीने यानी 1.9.2024 से आज तक के कॉल विवरण रिकॉर्ड और आईपीडीआर प्राप्त करने के लिए दिल्ली के पुलिस आयुक्त को एक अनुरोध पत्र भेजा गया था। कॉल रिकॉर्ड प्राप्त हो गए हैं और उसे एक पेन ड्राइव में सीजेआई को भेज दिया गया है। आईपीडीआर भी सीजेआई को प्रस्तुत किया जाना है. जैसा कि पुलिस आयुक्त, दिल्ली से प्राप्त हुआ है।”
“दिल्ली पुलिस से अनुरोध किया गया कि वह पिछले छह महीनों के दौरान जस्टिस यशवंत वर्मा के आवास पर तैनात निजी सुरक्षा अधिकारियों और सुरक्षा गार्डों का विवरण प्रस्तुत करें।”
जस्टिस वर्मा का बयान
जस्टिस यशवंत वर्मा ने अपने आवास से नोट बरामदगी के आरोप को सिरे से खारिज कर दिया। उन्होंने कहा कि उनके या उनके परिवार के किसी सदस्य द्वारा स्टोर रूम में कभी भी कोई नकदी नहीं रखी गई। दिल्ली हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को सौंपे गए अपने जवाब में जस्टिस वर्मा ने कहा कि उनके आवास पर नकदी मिलने के आरोप स्पष्ट रूप से उन्हें फंसाने और बदनाम करने की साजिश प्रतीत होती है।
उन्होंने कहा, “मैं इस आरोप का भी दृढ़ता से खंडन करता हूं और अगर ऐसा आरोप लगाया गया है कि हमने स्टोर रूम से मुद्रा निकाली है, तो उसे पूरी तरह से खारिज करता हूं। हमें न तो जली हुई मुद्रा की कोई बोरी दिखाई गई और न ही सौंपी गई।”