- 04/09/2025
सोनिया गांधी ने 1983 में नागरिकता ली तो 1980 में मतदाता कैसे बनी? कोर्ट में याचिका दाखिल, कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष पर जालसाजी का आरोप

कांग्रेस की वरिष्ठ नेता और पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी के खिलाफ दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट में एक याचिका दायर की गई है, जिसमें उनके भारतीय नागरिकता प्राप्त करने से पहले 1980 में मतदाता सूची में नाम शामिल करने को लेकर जालसाजी का आरोप लगाया गया है। याचिका में पुलिस को इस मामले की जांच करने और प्राथमिकी दर्ज करने के निर्देश देने की मांग की गई है। अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट (ACJM) वैभव चौरसिया की कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई 10 सितंबर 2025 के लिए निर्धारित की है।
याचिका में क्या हैं आरोप?
शिकायतकर्ता विकास त्रिपाठी ने याचिका में दावा किया है कि सोनिया गांधी ने 30 अप्रैल 1983 को भारतीय नागरिकता प्राप्त की थी, लेकिन उनका नाम 1980 में नई दिल्ली संसदीय क्षेत्र की मतदाता सूची में शामिल था, जो कि प्रतिनिधित्व अधिनियम 1950 के तहत गैरकानूनी है, क्योंकि केवल भारतीय नागरिक ही मतदाता सूची में शामिल हो सकते हैं। याचिका के अनुसार, सोनिया गांधी का नाम 1980 में मतदाता सूची में सीरियल नंबर 388, पोलिंग स्टेशन 145 में दर्ज था, जिसे 1982 में हटा दिया गया और 1983 में फिर से शामिल किया गया।
शिकायतकर्ता की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता पवन नारंग ने कोर्ट में दलील दी कि 1980 में नाम शामिल करने के लिए चुनाव आयोग को दिए गए दस्तावेजों में जालसाजी की गई होगी, क्योंकि उस समय सोनिया गांधी भारतीय नागरिक नहीं थीं। उन्होंने कहा, “नाम हटाने का कोई कारण दर्ज नहीं है। दो ही संभावनाएं हैं—या तो व्यक्ति ने किसी अन्य देश की नागरिकता ले ली हो, या फॉर्म 8 दाखिल किया हो, लेकिन दोनों के लिए भारतीय नागरिकता अनिवार्य है।” नारंग ने इसे एक “संज्ञेय अपराध” करार देते हुए पुलिस जांच की मांग की।
कानूनी दलीलें और कोर्ट की कार्रवाई
याचिका को भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS) की धारा 175(4) के तहत दायर किया गया है, जो मजिस्ट्रेट को जांच का आदेश देने की शक्ति प्रदान करती है। नारंग ने कोर्ट से अनुरोध किया कि पुलिस को प्राथमिकी दर्ज करने या कम से कम स्थिति रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया जाए। उन्होंने यह भी बताया कि दिल्ली पुलिस को शिकायत दी गई थी, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई, जिसके बाद कोर्ट का रुख करना पड़ा।
याचिका में 1985 के इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले (राकेश सिंह बनाम सोनिया गांधी) का भी हवाला दिया गया, जिसमें कहा गया था कि सोनिया गांधी ने 30 अप्रैल 1983 को पंजीकरण के जरिए भारतीय नागरिकता प्राप्त की थी। इसके आधार पर याचिका में तर्क दिया गया कि 1983 से पहले मतदाता सूची में उनका नाम शामिल करना गैरकानूनी था।
विवाद का पृष्ठभूमि
यह विवाद उस समय और तेज हुआ, जब अगस्त 2025 में बीजेपी के आईटी सेल प्रमुख अमित मालवीय ने सोनिया गांधी के 1980 और 1983 में मतदाता सूची में नाम शामिल होने को लेकर सवाल उठाए थे। मालवीय ने दावा किया था कि यह कदम निर्वाचन कानूनों का उल्लंघन था और इसे “चुनावी कदाचार” करार दिया। बीजेपी नेता अनुराग ठाकुर ने भी प्रेस कॉन्फ्रेंस में इन आरोपों को दोहराया।
जवाब में, कांग्रेस ने इन दावों को खारिज करते हुए कहा कि यदि कोई गलती हुई, तो यह चुनाव आयोग की जिम्मेदारी थी, न कि सोनिया गांधी की। कांग्रेस सांसद तारिक अनवर ने कहा, “यह चुनाव आयोग ने उनका नाम शामिल किया था।”