• 01/09/2022

इंटरनेट की काली दुनिया: इस राज्य में चल रहा ‘डार्क वेब’ पर ड्रग्स का अवैध कारोबार, ANTF लेगी एक्शन

इंटरनेट की काली दुनिया: इस राज्य में चल रहा ‘डार्क वेब’ पर ड्रग्स का अवैध कारोबार, ANTF लेगी एक्शन

लखनऊ। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रदेश में अवैध नशे के कारोबार के खिलाफ मुहिम में इंटरनेट की दुनिया के सबसे खतरनाक ‘डार्क वेब’ पर शिकंजा कसने के निर्देश दिए हैं.

ANTF ने बनाई रुपरेखा

एंटी नारकोटिक्स टास्क फोर्स (एएनटीएफ) ने प्रदेश में डार्क वेब के माध्यम से होने वाले अवैध ड्रग कारोबार के समूल नाश की रूपरेखा बना ली है और इसे अमलीजामा पहनाने की कार्यवाही शुरू कर दी गई है. यूपी पुलिस की एएनटीएफ ऐसी पहली विंग होगी, जो डार्क वेब पर शिकंजा कसेगी.

सीएम ने दिया है ये निर्देश

जानकारी के मुताबिक मुख्यमंत्री के निर्देश पर प्रदेशभर में ड्रग माफियाओं के खिलाफ अभियान चलाया जा रहा है. जिसके तहत एएनटीएफ का गठन किया गया है. टेक्नोलॉजी का दुरुपयोग कर डार्क वेब, सोशल मीडिया और क्रिप्टो करेंसी के जरिए सिंथेटिक नारकोटिक्स एंड साइकोट्रोपिक ड्रग की सप्लाई की जाती है.

अफीम के अवैध खरीद फरोख्त पर नजर

योगी ने हाल ही में प्रदेश में इसे रोकने के लिए एएनटीएफ को टास्क सौंपा है. इसके अलावा प्रदेश के बाराबंकी, फैजाबाद, शाहजहांपुर, बदायूं, बरेली, गाजीपुर, मऊ और रायबरेली में वैध अफीम की खेती होती है. इसके मद्देनजर अफीम की अवैध खरीद फरोख्त पर भी निगाह रखने के निर्देश एएनटीएफ को दिए गए हैं.

टीम में शामिल हैं कई एक्सपर्ट

सीएम ने बताया कि सिंथेटिक नारकोटिक्स एंड साइकोट्रोपिक ड्रग के नेक्सस को तोड़ने के लिए एएनटीएफ में एक स्पेशल टीम का गठन किया जा रहा है. जिसमें आईटी स्पेशलिस्ट, साइबर एक्सपर्ट और साफ्टवेयर डवलपर होंगे.

स्पेशल टीम ट्रेनिंग के लिए जाएगी दिल्ली

एएनटीएफ के कर्मचारियों को टेक्निकल रूप से प्रशिक्षित करने के लिए नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (एनसीबी) से समन्वय स्थापित कर एएनटीएफ की स्पेशल टीम को ट्रेनिंग के लिए दिल्ली भेजा जाएगा. ऐसे गिरोह के खिलाफ कार्रवाई के लिए एसटीएफ के एक्सपर्ट की भी मदद ली जाएगी.

ऐसे होती है ड्रग्स की सप्लाई

सूत्रों के अनुसार नारकोटिक्स एंड साइकोट्रोपिक ड्रग को केमिकल्स के जरिए बनाया जाता है, जिसकी वजह से यह प्राकृतिक ड्रग से कहीं ज्यादा खतरनाक है. साइकोट्रोपिक के तहत करीब 112 ड्रग्स आती हैं, इसमें इंजेक्शन भी शामिल हैं. इसे बड़े पैमाने पर युवाओं तक पहुंचाने के लिए डार्क वेब का इस्तेमाल किया जाता है. इसमें क्रिप्टो करेंसी के माध्यम से लेनदेन भी किया जाता है.

ANTF चलाएगी जागरूकता अभियान

इस बारे में एएनटीएफ जागरूकता अभियान भी चलाएगी. ड्रग डिमांड रिडक्शन के तहत ड्रग लेने वाले लोगों को इसे बंद करने के लिए जागरुक किया जाएगा. इसके तहत रैली, सोशल और डिजिटल मीडिया के माध्यमों से प्रचार प्रसार किया जाएगा. ड्रग हॉर्म रिडक्शन के तहत नशा मुक्ति केंद्र में भी ऐसे लोगों को भर्ती किया जाएगा, ताकि वह नशे की लत को छोड़ दें. इसके लिए एनसीबी से भी समन्वय किया जाएगा.

क्या है डार्क वेब

इंटरनेट का 96 फीसद हिस्सा डीप वेब और डार्क वेब के अंतर्गत आता है. हम इंटरनेट कंटेंट के केवल 4% हिस्से का इस्तेमाल करते है, जिसे सरफेस वेब कहा जाता है. डीप वेब पर मौजूद कंटेंट को एक्सेस करने के लिए पासवर्ड की जरूरत होती है जैसे ई-मेल, नेट बैंकिंग, आदि.

डार्क वेब इंटरनेट का वो हिस्सा है, जहां वैध और अवैध दोनों तरीके के कामों को अंजाम दिया जाता है. यहां क्रोम, सफारी, ओपेरा जैसे नॉर्मल ब्राउजर की मदद से नहीं पहुंचा जा सकता है क्योंकि इन ब्राउजर्स द्वारा डार्क वेब पर मौजूद वेबसाइटों को इंडेक्स नहीं किया जाता है.

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