- 17/07/2025
अस्पताल में हत्या का Live Video, 5 शूटर.. हाथ में बंदूक, मरीज को गोलियों से भूना

बिहार की राजधानी पटना के पारस अस्पताल में गुरुवार (17 जुलाई 2025) की सुबह एक सनसनीखेज वारदात ने पूरे शहर को हिलाकर रख दिया। पांच हथियारबंद अपराधियों ने अस्पताल के आईसीयू में घुसकर एक मरीज, चंदन मिश्रा, की गोली मारकर हत्या कर दी। यह पूरी घटना अस्पताल के सीसीटीवी कैमरों में कैद हो गई, जिसमें अपराधी बेखौफ होकर वारदात को अंजाम देते और फरार होते नजर आ रहे हैं। इस घटना ने बिहार में कानून-व्यवस्था की स्थिति पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।
सीसीटीवी फुटेज में क्या दिखा?
सीसीटीवी फुटेज में पांच अपराधी बड़े आराम से पारस अस्पताल के गलियारे में टहलते हुए चंदन मिश्रा के वार्ड (कमरा नंबर 209) की ओर बढ़ते दिख रहे हैं। वीडियो में साफ नजर आता है कि जैसे ही वे वार्ड के दरवाजे के पास पहुंचे, सभी ने अपने हथियार निकाल लिए। सबसे आगे चल रहे अपराधी ने पहले पिस्तौल निकाली, जिसके बाद बाकी चार ने भी अपने हथियार तैयार किए। पांच में से चार अपराधियों ने टोपी पहन रखी थी, जबकि एक का चेहरा बिना ढका साफ दिखाई दे रहा है। महज 25 सेकंड में उन्होंने चंदन मिश्रा पर ताबड़तोड़ गोलियां चलाईं और उसे मौत के घाट उतारकर बड़े आराम से मौके से फरार हो गए।
कौन था चंदन मिश्रा?
मृतक चंदन मिश्रा बक्सर जिले का निवासी था और एक कुख्यात अपराधी था। उसके खिलाफ हत्या और डकैती सहित दर्जनों आपराधिक मामले दर्ज थे। चंदन मिश्रा 2011 में व्यापारी राजेंद्र केसरी की हत्या के मामले में आजीवन कारावास की सजा काट रहा था। वह बेऊर जेल में बंद था और स्वास्थ्य कारणों से 15 दिन की पैरोल पर था, जो 18 जुलाई को समाप्त होने वाली थी। इलाज के लिए उसे पारस अस्पताल में भर्ती कराया गया था।
पुलिस की कार्रवाई
पटना के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एसएसपी) कार्तिकेय शर्मा ने बताया कि चंदन मिश्रा को प्रतिद्वंद्वी गिरोह ने निशाना बनाया। उन्होंने कहा, “चंदन मिश्रा बक्सर का निवासी था और उसके खिलाफ हत्या के कई मामले दर्ज थे। वह बक्सर से भागलपुर जेल स्थानांतरित किया गया था। पैरोल पर इलाज के लिए पारस अस्पताल में भर्ती था, जहां प्रतिद्वंद्वी गिरोह ने उसे गोली मार दी। हम बक्सर पुलिस की मदद से हमलावरों की पहचान कर रहे हैं। हमारे पास शूटर्स की तस्वीरें हैं।” पुलिस ने घटनास्थल से कई खोखे बरामद किए हैं और फॉरेंसिक साइंस लेबोरेटरी (एफएसएल) की टीम को जांच के लिए बुलाया गया है। अस्पताल के सुरक्षा गार्ड्स और कर्मचारियों से भी पूछताछ की जा रही है ताकि यह पता लगाया जा सके कि हथियारबंद अपराधी बिना किसी रोक-टोक के अस्पताल में कैसे घुस पाए।
सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल
इस घटना ने अस्पताल की सुरक्षा व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं। केंद्रीय रेंज (पटना) के पुलिस महानिरीक्षक जितेंद्र राणा ने कहा, “यह संभव है कि सुरक्षा गार्ड्स की मिलीभगत रही हो। हम इस कोण से भी जांच कर रहे हैं।” उन्होंने बताया कि अस्पताल के रिसेप्शन, प्रवेश/निकास द्वार और गलियारों में लगे सीसीटीवी फुटेज की गहन जांच की जा रही है।
विपक्ष का सरकार पर हमला
इस घटना ने बिहार में सत्तारूढ़ एनडीए सरकार को विपक्ष के निशाने पर ला दिया है। बिहार कांग्रेस ने सीसीटीवी फुटेज शेयर करते हुए ट्वीट किया, “बिहार का ‘गुंडा राज’. पिछले 17 दिन में 46 मर्डर हुए हैं। राजधानी पटना के पारस अस्पताल में 5 हत्यारे बेखौफ हथियार लेकर घुसे और गोलियां चलाकर हत्या कर निकल गए।”
कांग्रेस नेता सुप्रिया श्रीनेत ने भी वीडियो शेयर करते हुए लिखा, “बिहार में अपराधी इतने बेखौफ हैं कि अब अस्पताल भी सुरक्षित नहीं। यह वीडियो देखकर लगता है कि बिहार में असल जिंदगी में OTT सीरीज से भी खौफनाक ड्रामा चल रहा है।”
बिहार का ‘गुNDA राज’
• पिछले 17 दिन में 46 मर्डर हुए हैं
• यह वीडियो राजधानी पटना के पारस हॉस्पिटल का है
• 5 हत्यारे बेधड़क हथियार लेकर घुसे और अंधाधुंध गोलियां चलाकर मर्डर कर के निकल लिए
• बिहार में OTT से भी ज़्यादा ख़ौफ़नाक सीरीज असल ज़िंदगी में चल रही हैं 👇 pic.twitter.com/VMB3nxXu5x
— Supriya Shrinate (@SupriyaShrinate) July 17, 2025
विकासशील इंसान पार्टी के प्रमुख और पूर्व मंत्री मुकेश सहनी ने भी सरकार पर हमला बोला। उन्होंने लिखा, “बिहार क्राइम कैपिटल बन चुका है। पटना की सड़कों से लेकर अस्पतालों तक गोलियां चल रही हैं। जनता दहशत में है, लेकिन नीतीश-भाजपा की सरकार बेफिक्र है।”
विपक्षी नेता तेजस्वी यादव ने भी ट्वीट कर सरकार को घेरा, “सरकारी अपराधियों ने अस्पताल में भर्ती मरीज को आईसीयू में घुसकर गोली मार दी। बिहार में कोई भी कहीं भी सुरक्षित नहीं? 2005 से पहले ऐसा होता था?”
बिहार में बढ़ता अपराध
पटना में हाल के महीनों में कई हाई-प्रोफाइल हत्याएं हुई हैं, जिनमें उद्योगपति गोपाल खेमका, रेत व्यापारी रमाकांत यादव, किराना व्यापारी विक्रम झा और वकील जितेंद्र कुमार की हत्याएं शामिल हैं। यह घटना बिहार में विधानसभा चुनाव से पहले कानून-व्यवस्था के मुद्दे को और गर्म कर सकती है।