- 03/06/2025
Big Dicision: बकरीद पर किसी भी जानवर की नहीं दी जाएगी कुर्बानी, इस मुस्लिम देश ने लिया बड़ा फैसला


इस साल 6 और 7 जून को मनाई जाने वाली ईद-अल-अजहा (बकरीद) पर मोरक्को ने पशु कुर्बानी पर रोक लगाने का अभूतपूर्व फैसला लिया है। 99% मुस्लिम आबादी वाले इस इस्लामिक देश में राजा मोहम्मद VI के शाही फरमान के बाद सुरक्षाबलों ने कई शहरों में घर-घर छापेमारी शुरू कर दी है, जिसमें कुर्बानी के लिए रखे गए बकरों और अन्य जानवरों को जब्त किया जा रहा है। इस फैसले से देश में व्यापक गुस्सा और विरोध प्रदर्शन देखने को मिल रहे हैं।
सूखे और पशुधन की कमी के कारण फैसला
राजा मोहम्मद VI ने देश में सात साल से चल रहे भयंकर सूखे और पशुधन की 38% कमी का हवाला देते हुए यह निर्णय लिया है। उन्होंने कहा कि आर्थिक और जलवायु चुनौतियों के कारण कुर्बानी का खर्च कई परिवारों, खासकर कम आय वालों, के लिए भारी पड़ सकता है। राजा ने लोगों से अपील की है कि वे बकरीद को इबादत, दान और प्रार्थना के साथ मनाएं, न कि कुर्बानी करके। उनके मुताबिक, वह स्वयं पूरे देश की ओर से कुर्बानी करेंगे।
सुरक्षाबलों की छापेमारी से नाराजगी
शाही आदेश के बाद अधिकारियों ने पशु बिक्री पर प्रतिबंध लगा दिया और घरों से भेड़-बकरी जब्त करने की कार्रवाई शुरू कर दी। सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो में सुरक्षाबल लोगों के घरों से जानवरों को जबरन ले जाते दिख रहे हैं, जिससे महिलाएं और बच्चे सदमे में हैं। इस कार्रवाई को कई लोगों ने धार्मिक स्वतंत्रता पर हमला बताया है।
क्या कहता है मुस्लिम जगत ?
मोरक्को के इस फैसले पर मुस्लिम जगत में तीखी प्रतिक्रिया देखने को मिल रही है। कई इस्लामिक विद्वानों और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं ने इसे धार्मिक रीति-रिवाजों में हस्तक्षेप और खतरनाक मिसाल करार दिया है। उनका कहना है कि बकरीद की कुर्बानी इस्लाम में पैगंबर इब्राहिम की अल्लाह के प्रति निष्ठा का प्रतीक है, और इसे रोकना धार्मिक अधिकारों का उल्लंघन है। वहीं, कुछ लोग सूखे और आर्थिक संकट को देखते हुए राजा के फैसले का समर्थन कर रहे हैं। मोरक्को के इस्लामिक विद्वान मुहम्मद अब्देलवहाब रफीकी ने कहा कि इस्लामिक कानून सामाजिक और आर्थिक परिस्थितियों को ध्यान में रखकर फैसले लेने की इजाजत देता है।
पहले भी रद्द हुई है कुर्बानी
यह पहली बार नहीं है जब मोरक्को ने ईद-अल-अजहा की कुर्बानी रद्द की है। पूर्व राजा हसन II के शासनकाल में 1963, 1981 और 1996 में युद्ध, सूखे और आर्थिक संकट के कारण ऐसा किया गया था। इस बार, सरकार ने पशुधन की कमी को पूरा करने के लिए ऑस्ट्रेलिया से 1 लाख भेड़ आयात करने का समझौता किया है, लेकिन फिर भी कुर्बानी पर रोक लगाई गई है।