- 21/04/2025
बच्चों के यौन शोषण पर मांगी माफी, पादरियों पर कार्रवाई, जानें पोप फ्रांसिस के बारे में सबकुछ


वेटिकन सिटी: कैथोलिक चर्च के प्रमुख और विश्व के 1.4 अरब कैथोलिकों के आध्यात्मिक नेता पोप फ्रांसिस, जिनका निधन 21 अप्रैल, 2025 को 88 वर्ष की आयु में हुआ, अपने कार्यकाल के दौरान बच्चों के यौन शोषण के मुद्दे पर बार-बार माफी मांगने और सुधारों की दिशा में कदम उठाने के लिए जाने गए। पहले लैटिन अमेरिकी और जेसुइट पोप के रूप में, उन्होंने चर्च में समावेशिता, गरीबों की सेवा और यौन शोषण के मामलों में सख्त कार्रवाई को बढ़ावा दिया। उनकी मृत्यु के बाद, उनकी इस विरासत को याद किया जा रहा है।
यौन शोषण पर माफी और कार्रवाई
पोप फ्रांसिस ने अपने 12 वर्षीय कार्यकाल में कई बार कैथोलिक चर्च में बच्चों के यौन शोषण के लिए माफी मांगी। 2018 में, पेनसिल्वेनिया (अमेरिका) में एक ग्रैंड जूरी की रिपोर्ट ने 1,000 से अधिक बच्चों के साथ 300 “हिंसक पादरियों” द्वारा दशकों तक किए गए शोषण का खुलासा किया। इसके जवाब में, पोप फ्रांसिस ने 2,000 शब्दों का एक खुला पत्र लिखा, जिसमें उन्होंने कहा, “हमने छोटों की परवाह नहीं की; हमने उन्हें छोड़ दिया।” उन्होंने शोषण और उसके दबाव को छिपाने की निंदा की और “शून्य सहनशीलता” नीति लागू करने की बात कही।
2018 में चिली में, पोप फ्रांसिस ने शुरू में बिशप जुआन बैरोस का बचाव किया, जिन पर शोषण को छिपाने का आरोप था। हालांकि, बाद में उन्होंने अपनी “गंभीर गलतियों” को स्वीकार किया और पीड़ितों से माफी मांगी। उन्होंने जांच के लिए आर्कबिशप चार्ल्स स्सिक्लुना को नियुक्त किया, जिसके बाद चिली के 33 बिशपों ने इस्तीफा दे दिया। 2021 में, फ्रांस में एक रिपोर्ट ने 1950 के बाद 330,000 बच्चों के शोषण का खुलासा किया, जिस पर पोप ने “शर्मिंदगी” जताई और पीड़ितों को प्राथमिकता देने में चर्च की नाकामी को स्वीकार किया।
2022 में, कनाडा की यात्रा के दौरान, पोप फ्रांसिस ने स्वदेशी बच्चों के साथ चर्च द्वारा संचालित आवासीय स्कूलों में हुए यौन शोषण के लिए माफी मांगी। उन्होंने इसे “बुराई” करार दिया और “फिर कभी नहीं” होने की प्रतिज्ञा ली। हालांकि, कुछ बचे लोगों ने उनकी माफी को अपर्याप्त बताया, क्योंकि उन्होंने शुरू में यौन शोषण का स्पष्ट उल्लेख नहीं किया था।
कौन थे पोप फ्रांसिस?
जॉर्ज मारियो बेर्गोग्लियो के नाम से 17 दिसंबर, 1936 को अर्जेंटीना के ब्यूनस आयर्स में जन्मे, पोप फ्रांसिस 2013 में पोप बेनेडिक्ट सोलहवें के इस्तीफे के बाद 266वें पोप बने। वे 1,000 वर्षों में पहले गैर-यूरोपीय और पहले जेसुइट पोप थे। उनकी सादगी और विनम्रता ने उन्हें विश्व भर में लोकप्रिय बनाया। उन्होंने वेटिकन के भव्य अपार्टमेंट की बजाय साधारण गेस्ट हाउस में रहना चुना और सार्वजनिक परिवहन का उपयोग किया।
पोप फ्रांसिस ने गरीबी, पर्यावरण संरक्षण, और प्रवासियों के अधिकारों की वकालत की। उनकी 2015 की एनसाइक्लिकल “लौडाटो सी” ने जलवायु संकट को मानवता की सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक बताया। उन्होंने समलैंगिक नागरिक यूनियनों का समर्थन किया और तलाकशुदा लोगों के लिए पुनर्विवाह को मान्यता दी, जिससे चर्च में समावेशिता को बढ़ावा मिला।
यौन शोषण के खिलाफ कदम
पोप फ्रांसिस ने यौन शोषण के खिलाफ कई कदम उठाए। 2019 में, उन्होंने एक नया चर्च कानून लागू किया, जो पादरियों और ननों को शोषण और इसके दबाव की सूचना देने के लिए बाध्य करता है। उसी वर्ष, उन्होंने वेटिकन में एक चार दिवसीय शिखर सम्मेलन बुलाया, जिसमें विश्व भर के बिशप सम्मेलनों के अध्यक्षों ने शोषण रोकथाम पर चर्चा की। उन्होंने पादरियों की जवाबदेही बढ़ाने के लिए नीतियों को संशोधित किया और कई उच्च-स्तरीय पादरियों को हटाया, जैसे कि कार्डिनल थिओडोर मैककैरिक, जिन पर शोषण के आरोप थे।
हालांकि, कुछ आलोचकों का कहना है कि उनकी कार्रवाइयां अपर्याप्त थीं। डेविड क्लोहसी, सर्वाइवर्स नेटवर्क ऑफ दोज एब्यूज्ड बाय प्रीस्ट्स (SNAP) के सदस्य, ने कहा कि पोप ने वैश्विक स्तर पर “एक बार गलती और बाहर” नीति लागू नहीं की, जिससे कई दोषी पादरी अभी भी सेवा में हैं।
पोप फ्रांसिस ने चर्च को आधुनिक बनाने और पीड़ितों की आवाज सुनने की कोशिश की, लेकिन यौन शोषण का संकट उनकी सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक रहा। उनकी माफी और सुधारों ने कुछ पीड़ितों को राहत दी, लेकिन कई ने ठोस कार्रवाई की कमी की शिकायत की। उनकी मृत्यु के बाद, कॉन्क्लेव में नया पोप चुनने की प्रक्रिया शुरू होगी, और यह देखना बाकी है कि उनका उत्तराधिकारी इस संकट से कैसे निपटेगा।
पोप फ्रांसिस की सादगी, करुणा और सुधारवादी दृष्टिकोण ने उन्हें एक अनूठा नेता बनाया। उनकी माफी और यौन शोषण के खिलाफ लड़ाई ने चर्च के इतिहास में एक महत्वपूर्ण अध्याय जोड़ा, जो भविष्य में भी चर्च की दिशा को प्रभावित करेगा।