• 05/05/2024

राधिका खेड़ा ने कांग्रेस से दिया इस्तीफा, लिखा- जब न्याय की बात आई तो पार्टी में खुद को हारा हुआ पाया

राधिका खेड़ा ने कांग्रेस से दिया इस्तीफा, लिखा- जब न्याय की बात आई तो पार्टी में खुद को हारा हुआ पाया

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लोकसभा चुनाव के बीच भी कांग्रेस को एक और झटका लगा है। कांग्रेस नेता राधिका खेड़ा ने पार्टी से इस्तीफा दे दिया है। छत्तीगसगढ़ में कांग्रेस के कार्यालय में कुछ दिन पहले सुशील आनंद शुक्ला के साथ हुए विवाद के बाद उन्होंने आज पार्टी छोड़ दी। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे को उन्होंने अपना इस्तीफा भेजा है। अपने इस्तीफे में उन्होंने लिखा कि दूसरों के न्याय के लिए मैं हमेशा लड़ती रही। लेकिन जब स्वयं के न्याय की बात आई तो पार्टी में मैंने स्वयं को हारा हुआ पाया।

उन्होंने अपने सोशल मीडिया अकाउंट एक्स पर इस्तीफा पोस्ट करते हुए लिखा, “आज अत्यंत पीड़ा के साथ पार्टी की प्राथमिक सदस्यता त्याग रही हूं व अपने पद से इस्तीफ़ा दे रही हूं। हां मैं लड़की हूं और लड़ सकती हूं, और वही अब मैं कर रहीं हूं। अपने व देशवासियों के न्याय के लिए मैं निरंतर लड़ती रहूंगी। ”

इस्तीफे में क्या लिखा?

आदिकाल से ये स्थापित सत्य है कि धर्म का साथ देने वालों का विरोध होता रहा है। हिरण्यकश्यप से लेकर रावण और कंस तक इसका उदाहरण हैं। वर्तमान में प्रभु श्री राम का नाम लेने वालों का कुछ लोग इसी तरह विरोध कर रहे हैं। हर हिंदू के लिए प्रभु श्री राम की जन्मस्थली पवित्रता के साथ बहुत मायने रखती है और राम लल्ला के दर्शन मात्र से जहां हर हिंदू अपना जीवन सफल मानता है वहीं कुछ लोग इसका विरोध कर रहे हैं।

मैंने जिस पार्टी को अपने 22 साल से ज़्यादा दिए, जहां एनएसयूआई से लेकर एआईसीसी के मीडिया विभाग में पूरी ईमानदारी से काम किया, आज वहां ऐसे ही तीव्र विरोध का सामना मुझे करना पड़ा है क्योंकि मैं अयोध्या में राम लल्ला के दर्शन करने से खुद को रोक नहीं पाई।

बेहद आहत हूं, पार्टी से न्याय नहीं मिला

मेरे इस पुनीत कार्य का विरोध इस स्तर तक पहुंच गया कि मेरे साथ छत्तीसगढ़ प्रदेश कांग्रेस कार्यालय में हुए घटनाक्रम में मुझे न्याय देने से इनकार कर दिया गया। मैंने हमेशा ही दूसरों के न्याय के लिए हर मंच से लड़ाई लड़ी है, किंतु जब स्वयं के न्याय की बात आई तो पार्टी में मैंने स्वयं को हारा हुआ पाया।

प्रभु श्री राम की भक्त व एक महिला होने के नाते मैं बेहद आहत हूं। बार बार पार्टी के समस्त शीर्ष नेताओं को अवगत कराने के बाद भी जब मुझे न्याय नहीं मिला, इससे आहत होकर मैंने आज यह कदम उठाया है।