- 09/02/2023
आरक्षण: नोटिस के खिलाफ राजभवन सचिवालय पहुंचा हाईकोर्ट, आर्टिकल 361 का दिया हवाला, कहा- राष्ट्रपति और राज्यपाल को नहीं बनाया जा सकता पक्षकार
छत्तीसगढ़ में आरक्षण पर मचा बवंडर थमने का नाम नहीं ले रहा है। आरक्षण बिल पर हाईकोर्ट द्वारा राज्यपाल सचिवालय को भेजी गई नोटिस पर ही सवाल उठने लगे हैं। नोटिस के खिलाफ राज्यपाल सचिवालय ने हाईकोर्ट में आवेदन लगाया गया है। जिसमें कहा गया है कि आर्टिकल 361 के तहत किसी भी मामले में राष्ट्रपति या राज्यपाल को पक्षकार नहीं बनाया जा सकता। आवेदन में नोटिस पर रोक लगाने की मांग की गई है। मामले में गुरुवार को हुई बहस के बाद हाईकोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है।
आपको बता दें हाईकोर्ट द्वारा राज्य में लागू 56 फीसदी आरक्षण को असंवैधानिक घोषित करते हुए रद्द पिछले साल 19 सितंबर को रद्द कर दिया गया था। जिसके बाद राज्य सरकार ने पिछले साल 1 औऱ 2 दिसंबर को विधासभा का विशेष सत्र बुलाकर नए आरक्षण बिल को सर्वसम्मति से पारित कराया। सरकार ने बिल में आरक्षण को बढ़ाते हुए 76 फीसदी कर दिया। जिसमें अनुसूचित जनजाति के लिए 32 फीसदी, ओबीसी के लिए 27 फीसदी, अनुसूचित जाति के लिए 13 और ईडब्ल्यूएस के लिए 4 फीसदी आरक्षण का प्रावधान किया गया। विधेयक को राज्यपाल के पास भेजा गया लेकिन उन्होंने हस्ताक्षर नहीं किया और बिल को लेकर राज्य सरकार से 10 सवालों पर जवाब मांगा। जिस पर चली खींचतान के बाद सरकार ने जवाब भेजा लेकिन राज्यपाल सचिवालय का कहना था कि सरकार ने सभी सवालों के जवाब नहीं भेजे।
राज्यपाल द्वारा बिल पर हस्ताक्षर करने में हो रही देरी को लेकर हाईकोर्ट अधिवक्ता हिमांक सलूजा और राज्य शासन ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की। जिसमें कहा गया था कि राज्यपाल किसी भी विधेयक को रोक नहीं सकती। मामले में हाईकोर्ट की सिंगल बेंच ने राजभवन सचिवालय को नोटिस जारी किया था।