• 26/10/2022

आस्था या अंधविश्वास: नागराज हाजिर हो….. यहां अनूठी अदालत में होती है सांपों की पेशी, बताया लोगों को डसने की वजह

आस्था या अंधविश्वास: नागराज हाजिर हो….. यहां अनूठी अदालत में होती है सांपों की पेशी, बताया लोगों को डसने की वजह

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जमाना भले ही चांद और मंगल ग्रह की बात करें पर सीहोर के ग्राम लसूडिय़ा परिहार में आज भी सर्पदंश से पीड़ित लोग स्वस्थ होने के लिए मंदिर में आते हैं. अब आप इनके इस विश्वास को आस्था कहे या अन्धविश्वास इससे इनको कोई फर्क नहीं पड़ता है. हालांकि ये आस्था या अंधविश्वास की प्रथा 500 वर्षों से चली आ रही है.

दरअसल, जिले के ग्राम लसूडिय़ा परिहार में सालों से नागों की अदालत लगती है. जहां पेशी पर नाग स्वयं मानव शरीर में आकर डसने का कारण बताते हैं. मप्र की राजधानी भोपाल के सीहोर जिले से मात्र 15 किलोमीटर दूर दीपावली के दूसरे दिन पड़वा को यह नजारा देखने को मिल रहा है. कई तो केवल इसी रहस्य को देखने गांव पहुंचे थे.

लसूडिय़ा परिहार में स्थित राम मंदिर में दीपावली के दूसरे दिन सांपों की अदालत लगाई गई. इस अदालत में पिछले एक साल में लोगों को विभिन्न कारणों सांप के काटने के कारण को जानने के लिए आयोजन किया जाता है. हनुमानजी की मडिय़ा के सामने लगी सांपों की पेशी के दौरान हजारों लोग यह जानने पहुंचे थे कि आखिर उन्हें सांप ने क्यों काटा. कारण जानने के लिए कांडी की धुन पर भरनी गाकर इन्हें पेशी पर बुलाया गया.

इस दौरान पेशी पर पहुंचे सांपों ने शरीर में आकर काटने का कारण बताया. ग्राम के मन्नू गिरी जी महाराज की माने तो यहां होने वाली सांपों की पेशी हमारी तीन पीड़ी करती आ रही है. दीपावली के दूसरे दिन प्रदेश भर से सांप के काटने से पीडि़त लोग यहां आते हैं व काटने का कारण जानते हैं. उन्होंने बताया कि कारण जानने के साथ ही दोबारा ऐसी घटना न हो जिसके लिए सांपों से वचन भी लिया जाता है.

बता दें कि पिछले एक साल में सांप के काटने से पीड़ित लोग अपनी परेशानी लेकर मंदिर पहुंचते हैं. जहां काटे जाने का कारण जानने के लिए ढोल मंजिरों और मटकी की धुन पर कांडी व भरनी गाई जाती है. जिसके कारण पीड़ित व्यक्ति सांप की तरह लहराने लगता है. जहां पेशी पर बुलाए गए सांप काटे जाने का कारण बताते हैं. कांड़ी, भरनी और विशेष मंत्र के साथ दोबारा पीड़ित को न काटे इसका संकल्प लिया जाता है.

बहरहाल, आज के वैज्ञानिक युग मे विज्ञान इस परंपरा को भले ही अंधविश्वास कह सकते है पर लोगो की आस्था और विश्वास इस परंपरा को न सिर्फ जीवित रखे हुए है, बल्कि इस परंपरा की बदौलत आज तक हजारों सर्पदश से पीड़ित यहां से स्वस्थ हो चुके हैं.