- 23/05/2025
सहमति… शादी और बच्चा, नाबालिग से रेप केस में सुप्रीम कोर्ट का आया ये अहम फैसला


सुप्रीम कोर्ट ने ‘न्याय के हित’ में अपने ही पूर्व फैसले को पलटते हुए नाबालिग यौन उत्पीड़न के एक मामले में दोषी की सजा को रद्द कर दिया और मुकदमा समाप्त कर दिया। यह फैसला जस्टिस अभय एस ओका ने अपने कार्यकाल के आखिरी दिन दिया। कोर्ट ने माना कि पीड़िता खुद को पीड़ित नहीं मानती, क्योंकि वह आरोपी से शादी कर चुकी है, उसका एक बच्चा है और वह अपने परिवार को बचाना चाहती है। कोर्ट ने अनुच्छेद 142 की विशेष शक्ति का उपयोग कर निचली अदालत में लंबित केस को बंद कर दिया।
मामले की शुरुआत 18 अक्टूबर 2023 को कलकत्ता हाई कोर्ट के फैसले से हुई, जब जस्टिस चित्तरंजन दास और पार्थसारथी सेन ने नाबालिग के साथ यौन उत्पीड़न के दोषी युवक को आपसी सहमति के आधार पर बरी कर दिया था। हाई कोर्ट ने इस फैसले में युवाओं को नसीहत देते हुए कहा था कि लड़कियों को अपनी यौन इच्छाओं पर नियंत्रण रखना चाहिए और ‘दो मिनट के आनंद’ पर ध्यान नहीं देना चाहिए, जबकि लड़कों को लड़कियों की गरिमा का सम्मान करना चाहिए। इस टिप्पणी को लेकर विवाद खड़ा हो गया।
सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के फैसले पर स्वतः संज्ञान लेते हुए मामले को ‘In Re: Right to Privacy of Adolescent’ के नाम से सुना। 20 अगस्त 2024 को सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के फैसले को खारिज करते हुए उसकी टिप्पणियों को अनुचित बताया और पॉक्सो एक्ट के तहत दोषी को सजा सुनिश्चित करने का आदेश दिया। कोर्ट ने सजा पर फैसला बाद में देने के लिए एक कमिटी गठित की थी।
कमिटी की रिपोर्ट के आधार पर सुप्रीम कोर्ट ने पाया कि पीड़िता और आरोपी की शादी हो चुकी है, उनके बीच प्रेम है और वे अपने छोटे से परिवार को बचाना चाहते हैं। कोर्ट ने माना कि कानूनी प्रक्रिया ने ही पीड़िता को सबसे ज्यादा परेशान किया। इसलिए, दोषी को जेल में रखना न्याय के हित में नहीं होगा। इस आधार पर सुप्रीम कोर्ट ने मुकदमा समाप्त कर दिया।