- 22/10/2022
आरक्षण पर HC के फैसले पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगाने से किया इंकार, एक याचिकाकर्ता ने सरकार को भेजा अवमानना का नोटिस, कहा- प्रदेश में RESERVATION समाप्त
छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट द्वारा आरक्षण पर दिए गए फैसले के खिलाफ सर्वोच्च न्यायालय ने रोक लगाने से इंकार कर दिया है। न्यायालय ने कहा कि फिलहाल बिलासपुर उच्च न्यायालय के फैसले पर स्टे ऑर्डर नहीं दिया जा सकता। उच्च न्यायालय ने काफी विचार के बाद दो अधिनियमों को अपास्त किया है। इसलिए इस पर पर्याप्त सुनवाई होने तक सरकार को विधि-सम्मत कार्रवाई करनी ही होगी। विद्या सिदार की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को सुनवाई करते हुए यह कहा।
संविधान विशेषज्ञ और विधिक सलाहकार बीके मनीष ने बताया कि न्यायमूर्ति गंवई ने सोमवार की ही तरह शुक्रवार की भी सुनवाई में इस प्रकरण में किसी भी तरह का स्थगन दने से इकांर कर दिया। न्यायमूर्ति गवई ने सीनियर एडवोकेट दवे के बार-बार निवेदन के बाद भी स्टे देने से इंकार कर दिया। (बीके मनीष 2013 नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी बैंगलोर और 2014 में नेशनल लॉ यूनिर्वर्सिटी नालका में पढ़ा चुके हैं।)
वहीं एक और याचिकाकर्ता योगेश ठाकुर ने राज्य सरकार को अवमानना का नोटिस भेजा है। योगेश ठाकुर के अधिवक्ता जॉर्ज थॉमस ने राज्य के मुख्य सचिव, समान्य प्रशासन विभाग के सचिव और विधि-विधायी कार्य विभाग के सचिव को नोटिस जारी किया है।
उन्होंने यह नोटिस हाईकोर्ट के फैसले के बाद 29 सितंबर को सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा भेजे गए सर्कुलर में सभी विभागों को आवश्यक कार्रवाई के लिए कहा गया था। जबकि उस सर्कुलर में किसी भी स्थिति को साफ नहीं किया गया था। जबकि उन्हें यह साफ-साफ सभी विभागों को बताना था कि प्रदेश में आरक्षण पूरी तरह से समाप्त हो गया है। जो कि उन्होंने सूचित नहीं किया था।
अधिकारियों को भेजे गए नोटिस में कहा गया है कि हाईकोर्ट के फैसले के बाद शैक्षणिक संस्थानों और नौकरियों में आरक्षण पूरी तरह से समाप्त हो गया है। सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा सभी विभागों को यह सूचित करना होगा कि राज्य सरकार द्वारा जब तक कोई नया अधिनियम, अध्यादेश या सर्कुलर जारी नहीं किया जाता तब तक आरक्षण पूरी तरह शून्य रहेगा। यानि कि नौकरियों औऱ शैक्षणिक संस्थानों में अभी आऱक्षण नहीं मिलेगा।
पूरा आरक्षण कैसे समाप्त हो गया ?
नोटिस में कहा गया है कि संविधान पीठ के सुप्रीम कोर्ट ऍडवोकेट ऑन रिकॉर्ड असोशिएसन बनाम भारत संघ, (2016) 5 SCC 1 फ़ैसले में कहा गया था कि अपास्त किए गए प्रावधानों से ठीक पहले की स्थिति बहाल हो जाएगी| अपर्याप्त कानूनी व्याख्या की वजह से भ्रम की स्थिति बन गई थी।
परंतु संविधान पीठ के बी.एन. तिवारी बनाम भारत संघ के फैसले की वजह से साफ है कि आरक्षण समाप्त हो गया है। क्योंकि संशोधन अधिनियम 2011 और 2012 के शैक्षणिक संस्थाओं के अधिनियम की धारा 3 हटने से पिछले प्रावधान पुनर्जीवित नहीं होते (संशोधन का कानून निरस्त या अपास्त किए जाने पर पूर्व का प्रावधान स्वत: पुनर्जीवित नहीं होता क्योंकि वह पहले ही समाप्त हो चुका है।)
सुप्रीम कोर्ट के फैसले का इंतजार कीजिए – महाधिवक्ता (छग हाईकोर्ट)
हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ राज्य सरकार ने भी सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। इस पूरे मामले में महाधिवक्ता सतीश चंद्र वर्मा ने कुछ भी कहने से इंकार कर दिया। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार की तरफ से हम ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है। अभी हम इस पर कुछ नहीं कहेंगे। सुप्रीम कोर्ट के फैसले का इंतजार कीजिए।