- 01/05/2023
तलाक पर ‘सुप्रीम’ फैसला, 6 महीने का नहीं करना होगा इंतजार
सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक बेंच ने तलाक को लेकर सोमवार को अहम फैसला सुनाया है। पति-पत्नी में समझौते सारी गुंजाईश खत्म होने के बाद दोनों का साथ रहना असंभव हो तो सुप्रीम कोर्ट सीधे तलाक का आदेश दे सकता है। ऐसी स्थिति में आपसी सहमति के आधार पर तलाक के लिए लागू 6 महीने इंतजार करने की कानूनी बाध्यता भी जरुरी नहीं होगी। सुप्रीम कोर्ट के 5 जजों की खंडपीठ ने यह अहम फैसला दिया है। जिसमें बेंच ने कहा कि वह वह संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत मिली अपनी शक्ति का इस्तेमाल करते हुए फैमिली कोर्ट गए बगैर सीधे तलाक मंजूर कर सकता है।
कोर्ट ने कहा, “हमने माना है कि किसी शादीशुदा रिश्ते में आई दरार के भर नहीं पाने के आधार पर उसे खत्म करना संभव है। यह सरकारी नीति के विशिष्ट या बुनियादी सिद्धांतों का उल्लंघन नहीं होगा।”
सुप्रीम कोर्ट का यह अहम फैसला साल 2014 में दायर शिल्पा शैलेश बनाम वरुण श्रीनिवासन के मामले में आया है। जिसमें दोनों पक्षों ने भारतीय संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत सुप्रीम कोर्ट से तलाक मांगा था।
हिंदू विवाह अधिनियम 1955 की धारा 13बी के तहत आपसी सहमति से तलाक लेने की प्रक्रिया बताई गई है। धारा 13 बी (1) में कहा गया है कि दोनों पक्ष जिला अदालत में तलाक की डिक्री पेश करके अपनी शादी को खत्म करने के लिए याचिका दायर कर सकते हैं। इस आधार पर कि वे एक वर्ष या उससे अधिक समय से अलग रह रहे हैं और वे आगे भी एकसाथ रहने में सक्षम नहीं हैं और वे इस आधार पर आपसी सहमति से अपनी शादी को भंग करना चाहते हैं।