- 07/08/2022
सरकार की छवि चमकाने फर्जी सोशल मीडिया अकाउंट बनाने विभाग ने जारी किया निर्देश, कहा- फेक अकाउंट से करें ट्वीट-रिट्वीट, लाइक और कमेंट
सरकार काम चाहे जैसा करे लेकिन उसकी छवि चमकते ही रहना चाहिए। जनता के बीच सरकार की वाह-वाही के लिए अनेकों जतन किया जाता है। उपलब्धियों का बखान करने होर्डिंग, पोस्टर-बैनर छपवाने से लेकर करोड़ों रुपये हर साल विज्ञापन बांटने में खर्च कर दिया जाता है। ताकि सत्तारूढ़ दल की छवि चमकते ही रहे। लेकिन मौजूदा दौर सोशल मीडिया का है। लिहाजा सोशल मीडिया के प्रभाव को देखते हुए राज्य सरकार के एक विभाग ने फर्जी फेसबुक अकाउंट और ट्विटर हैंडल बनाने का आदेश जारी कर दिया। आदेश ही सोशल मीडिया में वायरल हो गया। मामले को तूल पकड़ते देख और सरकार को फजीहत से बचाने के लिए आनन फानन में विभाग के सहायक निदेशक को सस्पेंड कर दिया गया। इसके साथ ही उनके खिलाफ एफआईआर भी दर्ज करा दी गई है। अभी तक राजनीतिक दलों पर आईटी सेल बनाकर इस तरह के फर्जीवाड़े के आरोप लगते रहते थे लेकिन पहली बार फर्जीवाड़ा करने का सरकारी आदेश जारी किया गया।
आदेश के अनुसार युवा मित्रों को खुद की ट्विटर और फेसबुक आईडी के साथ ही 10-10 फर्जी ट्विटर हैंडल और फेसबुक आईडी बनाना है। इन फर्जी आईडी से ट्वीट, रिट्वीट करने के साथ ही कमेंट भी करना है। यह आदेश डायरेक्टर और सचिव के नाम का हवाला देते हुए सहायक निदेशक ने जारी किया था।
आदेश में कहा गया कि हर युवा मित्र का खुद के नाम से एक ट्विटर अकाउंट होना चाहिए। साथ ही उस युवा मित्र को ट्विटर अकाउंट पर 10 डमी अकाउंट भी बनाना है और उन डमी अकाउंट में कहीं भी युवा मित्र शब्द नहीं होना चाहिए। एक मोबाइल नम्बर से 10 डमी अकाउंट बन जाएंगे । सभी अकाउंट से रीट्वीट और कोट रीट्वीट करना है। इसी तरह युवा मित्र का एक फेसबुक अकाउंट होना चाहिए और उसी मोबाइल नम्बर से 5 डमी फेसबुक अकाउंट होने चाहिए। युवा मित्र अपने मुख्य अकाउंट और डमी अकाउंट से सोशल मीडिया का काम करेगा और सभी अकाउंट लाइक, शेयर और कमेंट करना है।
यह आदेश राजस्थान सरकार के आर्थिक और सांख्यिकी विभाग सवाई माधोपुर के सहायक निदेशक सतीश कुमार सहारिया ने जारी किया था। राजीव गांधी युवा इंटर्नशिप प्रोग्राम में चयनित युवा मित्रों के लिए बुधवार को यह आदेश जारी किया गया था। आदेश जारी होते ही बवाल मच गया और सोशल मीडिया में यह ट्रोल होने लगा। जिसके बाद संशोधित आदेश जारी किया गया।
मामले में विपक्षी दल बीजेपी राज्य सरकार पर हमलावर हो गई। मामले को तूल पकड़ता देख सरकार ने एक्शन लेते हुए सहायक निदेशक को सस्पेंड कर दिया और उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज करा दी गई।
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