- 02/06/2025
यूक्रेन का रूस पर ‘पर्ल हार्बर’ सा अटैक, क्यों बताया जा रहा भारत के लिए भी बड़ा सबक?

यूक्रेन की विशेष सेनाओं ने रूस पर खतरनाक एयर स्ट्राइक किया। इस ड्रोन हमले में 41 रूसी बमवर्षक विमान, जिसमें टीयू-95, टीयू-22 और ए-50 रडार विमान को नुकसान पहुंचा। अनुमान के मुताबिक, रूस के 34% रणनीतिक बमवर्षक बेड़े को निशाना बनाया गया, जिससे लगभग 7 अरब डॉलर का नुकसान हुआ। यूक्रेन ने इस ऑपरेशन में 100 से अधिक ड्रोनों का इस्तेमाल किया, जिन्हें शिपिंग कंटेनर्स में छिपाकर रूसी एयरबेस के पास पहुंचाया गया। रूसी मीडिया ने इस हमले को ‘पर्ल हार्बर’ करार दिया, 1941 के उस हमले की याद दिलाते हुए, जब जापान ने अमेरिकी नौसेना को निशाना बनाया था।
ऑपरेशन ‘स्पाइडर वेब‘
‘स्पाइडर वेब’ नामक इस ऑपरेशन को 18 महीने की योजना के बाद अंजाम दिया गया। यूक्रेन ने ओलेन्या, मरमंस्क, इरकुत्स्क और साइबेरिया के बेलाया हवाई ठिकानों पर हमले किए, जो यूक्रेन से 4,300 किलोमीटर से अधिक दूरी पर और तीन अलग-अलग टाइम जोन में स्थित हैं। ड्रोन को ट्रकों में छिपे कंटेनरों से रिमोट कंट्रोल के जरिए लॉन्च किया गया, जो रूसी रक्षा प्रणालियों को भेदने में कामयाब रहे। यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोडिमिर जेलेंस्की ने इसे ‘शानदार परिणाम’ बताया, जो रूस की लंबी दूरी की मिसाइल हमले की क्षमता को कमजोर करता है।
शांति वार्ता के दूसरे दौर से पहले
यह हमला रूस-यूक्रेन युद्ध के चौथे वर्ष में हुआ, ठीक उस समय जब 2 जून, 2025 को इस्तांबुल में दोनों देशों के बीच शांति वार्ता का दूसरा दौर शुरू होने वाला था। पहला दौर 16 मई को हुआ था, जिसमें कैदियों की सबसे बड़ी अदला-बदली हुई थी। रूस ने जवाबी कार्रवाई में 1 जून को यूक्रेन पर 472 ड्रोन और सात मिसाइलों से हमला किया, जो युद्ध का सबसे बड़ा रातोंरात हवाई हमला था।
स्पेशल ऑपरेशन की रणनीति
यूक्रेन का यह हमला एडमिरल विलियम मैकरेवन के विशेष ऑपरेशन सिद्धांत पर आधारित था, जिसमें सटीक योजना, गुप्त तैयारी, बार-बार अभ्यास और तेजी से कार्यान्वयन शामिल था। ड्रोनों को रूस में तस्करी कर व्यावसायिक सैटेलाइट इमेजरी की मदद से खुले में खड़े विमानों को निशाना बनाया गया। यूक्रेन ने स्पष्ट किया कि यह हमला पूरी तरह उनकी अपनी तकनीक और रणनीति से किया गया, जिसमें नाटो या पश्चिमी देशों का कोई समर्थन शामिल नहीं था।
ऑपरेशन जैकपॉट से तुलना
इस हमले की तुलना इजरायल के 1976 के एंटेबे ऑपरेशन और 2023 के हिजबुल्लाह के खिलाफ पेजर बम हमले से की जा रही है। भारत के 1971 के ऑपरेशन जैकपॉट से भी इसकी तुलना की गई, जिसमें भारतीय नौसेना और मुक्ति वाहिनी ने पूर्वी पाकिस्तान के चार बंदरगाहों पर एक साथ हमला कर 22 जहाजों को नष्ट किया था।
रूस की प्रतिक्रिया और परमाणु खतरा
रूस ने इस हमले को ‘आतंकवादी कृत्य’ करार दिया और जवाबी कार्रवाई की धमकी दी। रणनीतिक बमवर्षकों पर हमले से रूस की परमाणु हथियार लॉन्च करने की क्षमता प्रभावित हुई है, जिसके बाद कुछ रूसी विशेषज्ञों ने ‘सामरिक परमाणु हमले’ की मांग की। हालांकि, रूस ने तत्काल 400 से अधिक ड्रोन और मिसाइलों से यूक्रेन पर पलटवार किया।
ड्रोन युद्ध का नया युग
यह हमला ड्रोन युद्ध के नए युग को दर्शाता है, जहां सस्ते और छोटे ड्रोन महंगे सैन्य उपकरणों को नष्ट करने में सक्षम हैं। रूस और यूक्रेन दोनों हजारों FPV ड्रोनों का उपयोग कर रहे हैं, जो युद्ध के मैदान को प्रथम विश्व युद्ध की तरह खतरनाक बना रहे हैं।
भारत के लिए सबक
यह हमला भारत के लिए भी चेतावनी है। 2021 में जम्मू एयरबेस पर पाकिस्तानी ड्रोन हमले ने भारतीय ठिकानों की कमजोरियों को उजागर किया था। कमर्शियल सैटेलाइट इमेजरी की उपलब्धता और ड्रोन हमलों की बढ़ती क्षमता को देखते हुए, भारत को अपने सैन्य ठिकानों को ब्लास्ट-प्रूफ संरचनाओं और स्वदेशी काउंटर-ड्रोन सिस्टम से सुरक्षित करने की जरूरत है।