• 16/06/2024

वियाग्रा पर ऑक्सफोर्ड की नई रिसर्च में दावा, सेक्स बढ़ाने के साथ ही इस बीमारी का खतरा करता है कम

वियाग्रा पर ऑक्सफोर्ड की नई रिसर्च में दावा, सेक्स बढ़ाने के साथ ही इस बीमारी का खतरा करता है कम

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सिल्डेनाफिल यानी कि वियाग्रा को सेक्स वर्धक दवा के रुप में जाना जाता है। ज्यादा समय तक संभोग क्रिया के लिए पुरुषों में बड़े पैमाने पर इस दवा का इस्तेमाल बढ़ गया है। यह पुरुषों में इरेक्टाइल डिसफंक्शन की समस्या को दूर करता है। इसके साथ ही यह कई अन्य स्वास्थ्य लाभ भी दे सकता है। ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने अपने एक शोध में दावा किया है कि वियाग्रा में ब्रेन में ब्लड का फ्लो बढ़ाने और वैस्कुलर डिमेंशिया (स्मृति हानि) के हाई रिस्क वाले व्यक्तियों में ब्लड वेसल्स के कार्य को बेहतर बनाने की क्षमता है। यानि कि यह दवा मेमोरी लॉस को रिकवर करने में मदद कर सकती है।

अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन (AHA) की रिपोर्ट के मुताबिक वायग्रा में पाया जाने वाला एक्टिव इनग्रेडिएंट सिल्डेनाफिल (Sildenafil) पुरुषों के प्राइवेट पार्ट की ब्लड वेसल्स को ही नहीं, बल्कि ब्रेन की छोटी से छोटी ब्लड वेसल्स को भी खोल सकता है। इसकी वजह से ब्रेन में भी ब्लड फ्लो बेहतर हो सकता है और मेमोरी लॉस में सुधार हो सकता है। इसके साथ ही इससे ब्रेन फंक्शन बेहतर हो सकता है।

शोधकर्ताओं को इस रिसर्च से उम्मीद जगी है कि डिमेंशिया से बचाने और इस बीमारी से पीड़ित लोगों के लिए वियाग्रा सस्ता इलाज हो सता है। हालांकि इसे लेकर बड़े पैमाने पर रिसर्च की जरुरत है।

‘जर्नल ऑफ सर्कुलेशन रिसर्च’ में पब्लिश हुई इस स्टडी के ऑथर और ऑक्सफोर्ड के न्यूरोलॉजिस्ट डॉ. एलेस्टर वेब का कहना है कि किसी रिसर्च में इस तरह के परिणाम पहली बार सामने आया है। डिमेंशिया से जूझ रहे लोगों के ब्रेन की ब्लड वेसल्स में सिल्डेनाफिल पहुंचता है, तो इससे ब्लड फ्लो बेहतर हो जाता है और ब्लड वेसल्स रिस्पॉन्सिव हो जाती हैं। ब्रेन की छोटी ब्लड वेसल्स में खून की कमी और डैमेज डिमेंशिया का कारण बनते हैं। यह स्टडी सिल्डेनाफिल को डिमेंशिया रोकने वाली आसानी से उपलब्ध दवा के रूप में प्रदर्शित करती है, लेकिन अभी बड़े ट्रायल होने बाकी हैं।

क्या है वैस्कुलर डिमेंशिया

वैस्कुलर डिमेंशिया एक ऐसी स्थिति है जिसमें याददाश्त, प्लानिंग, लॉजिक और फैसले लेने में दिक्कत होती है। वैस्कुलर डिमेंशिया से पीड़ित मरीज अपनी रोजमर्रा की जिंदगी में कुछ महत्वपूर्ण चीजों को भूल जाते हैं। डिमेंशिया में दिमाग के अंदर खून की कमी होने लगती है। जिसके कारण दिमाग के सेल्स को भारी नुकसान होने लगता है। आमतौर पर यह 60 से ज्यादा उम्र वाले लोगों में दिखाई देता है। भारत में डिमेंशिया के 50 लाख से भी ज्यादा लोग डिमेंशिया के मरीज हैं। जिसमें से तकरीबन 40 फीसदी वैस्कुलर डिमेंशिया से पीड़ित हैं।

जिन्हें हाई बीपी, डायबिटीज और कोलेस्ट्रॉल की बीमारी है। या फिर जो काफी ज्यादा स्मोकिंग करते हैं उनमें वैस्कुलर डिमेंशिया का खतरा काफी बढ़ जाता है।